Bhishma Dwadashi 2023: भीष्म द्वादशी आज यानी 2 फरवरी को मनाया जा रहा है. धार्मिक ग्रंथों में माघ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को श्राद्ध और द्वादशी के दिन भीष्म पितामह की पूजा करने का विधान है. इससे घर में सुख, समृद्धि और शांति का आगमन होता है.
माघ शुक्ल द्वादशी तिथि की शुरुआत एक फरवरी दोपहर 2.04 बजे से हो चुका है, द्वादशी तिथि 2 फरवरी 4.27 बजे संपन्न हो रही है. इसलिए उदयातिथि में द्वादशी 2 फरवरी को मनाई जाएगी. इसी दिन जया एकादशी का पारण भी होगा.
भीष्म द्वादशी पर मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से उत्तम संतान की प्राप्ति होती है और यदि संतान है तो उसकी प्रगति होती है. इसके साथ ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण होकर सुख-समृद्धि मिलती है. भीष्म द्वादशी को गोविंद द्वादशी भी कहते हैं.
भीष्म द्वादशी के दिन इस विधि से पूजा करना कल्याणकारी माना जाता है. इस दिन भीष्म की कथा सुनी जाती है. मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा पूर्वक विधि विधान से पूजा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. बीमारियां दूर होती हैं और पितृ दोष से छुटकारा भी मिलता है.
1. भीष्म द्वादशी के दिन स्नान ध्यान के बाद भगवान विष्णु के स्वरूप श्रीकृष्ण की पूजा करें.
2. भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर भीष्म पितामह के निमित्त तर्पण करें. खुद तर्पण नहीं कर सकते तो किसी जानकार से भी तर्पण करा सकते हैं.
3. ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन कराएं.
4. इस दिन तिल का दान भी करना चाहिए.
भीष्म द्वादशी के दिन पूर्वजों का तर्पण करने का विधान बताया गया है. इसके अलावा इस दिन भीष्म पितामह की कथा सुनी जाती है. जो कोई भी व्यक्ति इस दिन सच्ची श्रद्धा और पूरे विधि विधान से इस दिन की पूजा आदि करता है उसके जीवन के सभी कष्ट और परेशानियां दूर होते हैं और साथ ही पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. सही ढंग से किया जाए तो व्यक्ति को इस दिन की पूजा से पितृ दोष जैसे बड़े दोष से भी छुटकारा प्राप्त होता है.