Exclusive: भोजपुरी सुपरस्टार निरहुआ लॉकडाउन में लगी इस आदत को छोड़ना नहीं चाहते, खुद किया खुलासा
bhojpuri superstar dinesh lal yadav nirhua lockdown habit exclusive interview: देश में 1 जून से अनलॉक 1.0 की शुरुआत के ज़रिए ज़िंदगी को पटरी पर लाने की कवायद शुरू हो चुकी है. शूटिंग भी जल्द ही शुरू होने वाली है. भोजपुरी सुपरस्टार (Bhojpuri Superstar) दिनेश लाल यादव निरहुआ (Dinesh Lal Yadav Nirahua) बता रहे हैं कि 65 दिनों के इस लॉकडाउन को किस तरह से उन्होंने लिया.
देश में 1 जून से अनलॉक 1.0 की शुरुआत के ज़रिए ज़िंदगी को पटरी पर लाने की कवायद शुरू हो चुकी है. शूटिंग भी जल्द ही शुरू होने वाली है. भोजपुरी सुपरस्टार (Bhojpuri Superstar) दिनेश लाल यादव निरहुआ (Dinesh Lal Yadav Nirahua) बता रहे हैं कि 65 दिनों के इस लॉकडाउन को किस तरह से उन्होंने लिया. क्या चीज़ें उन्होंने सीखी. किस तरह से खुद को पॉजिटिव रखा. उर्मिला कोरी से बातचीत के प्रमुख अंश…
मेडिटेशन को आगे भी जारी रखूंगा
लॉकडाउन को मैंने बहुत ही पॉजिटिवली लिया. मुझे बहुत सारी चीजों के लिए समय नहीं मिल पाता था जो मैं करना चाहता था. जैसे मैं किताबें पढ़ने का बहुत शौकीन हूं लेकिन एक अरसे से किताबें पढ़नी छूट गयी थी. साहित्य से दूर हो गया था वो इस लॉकडाउन में पढ़ पाया. अच्छी-अच्छी फिल्में जो एक अरसे से देखना चाहता था वो देख पाया. काफी सालों से मैं मेडिटेशन सेन्टर जाकर ध्यान का अभ्यास करना चाहता था. ध्यान की वृद्धि सीखना चाहता था. इस लॉकडाउन के दौरान मैंने आदि गुरु शंकराचार्य, स्वामी विवेकानंद, गौतम बुद्ध, नानक,ओशो इन सब महान लोगों को पढ़ा औऱ उनकी सीख के अनुरूप मैंने ध्यान की विधि को डेवलप किया. अब मैं ध्यान भी कर पा रहा हूं. आध्यामिक जीवन को मैं एक अरसे से मजबूत करना चाहता था. इस लॉकडाउन में मैंने सबसे अधिक इस पर काम किय. मैं बहुत शांति और सुकून महसूस कर रहा हूं. सांसारिक जीवन के साथ साथ आध्यामिक जीवन भी मजबूत हो जाए तो मज़ा आ जाता है. इसको मैं महसूस कर रहा हूं. यही वजह है कि शूटिंग जब शुरू होगी मैं अपने दर्शकों को अच्छी फिल्में देने के साथ साथ जो कुछ इस लॉकडाउन के दौरान अच्छी चीज़ें सीखी है खासकर मेडिटेशन करना, वो मेरी आदत बन गयी है. इसे आगे भी जारी रखूंगा.
गीता के सार को समझा
बचपन में मैं जब महाभारत देखता था तो भगवान कृष्ण जो अर्जुन को गीता का ज्ञान देते थे वो समझ नहीं आता था. अब समझ नहीं आता था तो लगता था कि कब ये खत्म होगा और धनुष बाण चालू होगा. लड़ाई कब होगी. अपने को लड़ाई से ही मतलब था. उस टाइम पर थे तो बच्चे. अब जब महाभारत का प्रसारण हुआ तो उस पार्ट को न सिर्फ पूरा देखा बल्कि समझ भी पाया. बचपन में उसे देखते हुए लगता था कि क्यों ये दिखाया जाता है. अब समझ में आया कि वह हिस्सा महाभारत को सबसे ज़रूरी हिस्सा है. महाभारत उसके बिना अधूरा है और वह ज्ञान आम आदमी को भी समृद्व बनाता है.
लोगों की मदद भी की
जितनी मेरी क्षमता थी उतनी मैंने अपने इंडस्ट्री के लोगों की ।देश के अलग अलग हिस्सों में फंसे मज़दूरों की जितना मैं कर सकता था मदद किया. जब तक मेरे एकाउंट में रुपया था मैं लगातार मदद करता रहा था. तीन महीने बीत चुके हैं मैं भी बिल्कुल खाली हो गया हूं.बस अब शूटिंग शुरू होने का इंतज़ार है ताकि काम पर लौट सकूँ.
Posted By: Budhmani Minj