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ओडिशा की रिटायर्ड जज कर रहीं थीं विभागीय कार्यवाही का सामना, सुप्रीम कोर्ट ने दी बड़ी राहत

ओडिशा में ‘केयरटेकर’ के चयन प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं के लिए विभागीय कार्यवाही का सामना कर रहीं सेवानिवृत्त जज के खिलाफ आरोपपत्र को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. शीर्ष अदालत ने कहा कि वह सभी सेवानिवृत्ति लाभ का अधिकार रखती हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा में ‘केयरटेकर’ के चयन की प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं के लिए विभागीय कार्यवाही का सामना कर रहीं एक सेवानिवृत्त जज के खिलाफ आरोपपत्र को खारिज कर दिया. शीर्ष अदालत ने कहा कि वह सभी सेवानिवृत्ति लाभों का अधिकार रखती हैं. न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि ओडिशा लोक सेवा (पेंशन) नियम, 1992 के अनुसार, सरकार की मंजूरी प्राप्त कर एक सेवानिवृत्त कर्मचारी के खिलाफ जांच शुरू की जा सकती है और ऐसा उस पद को छोड़ने के चार वर्ष की अवधि के दौरान किया जाना चाहिए.

पीठ के मुताबिक, माना जाता है कि मौजूदा मामले में याचिकाकर्ता 31 जुलाई, 2021 को सेवा से सेवानिवृत्त हो गयीं थीं और आरोप पत्र अक्तूबर, 2021 में पेश किया गया था. आरोपपत्र उस अवधि के लिए है, जब याचिकाकर्ता ने 28 जून, 2012 से 3 अक्तूबर, 2015 तक एक रजिस्ट्रार के रूप में कार्य किया था. यह निर्विवाद रूप से उस संस्था में काम के बाद चार साल की अवधि से परे है.

पीठ ने कहा कि दिये गये तथ्यों और परिस्थितियों में, हमारे विचार में, याचिकाकर्ता को दिनांक 11/16 अक्तूबर, 2021 को दिया गया आरोपपत्र नियम 1992 के नियम 7 के आदेश का स्पष्ट उल्लंघन है. न्यायिक अधिकारी को राहत देते हुए, शीर्ष अदालत ने कहा कि वह सभी सेवानिवृत्ति लाभों की हकदार हैं, यदि विभागीय जांच के लंबित होने के कारण उन्हें रोक दिया गया है, साथ ही उस तिथि से नौ प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से उक्त राशि पर ब्याज का भी भुगतान किया जाये, जिस समय से उसे रोका गया था.

शीर्ष अदालत सुचिस्मिता मिश्रा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने आरोपपत्र के मुताबिक उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही को रद्द करने की मांग की थी. याचिका के अनुसार, न्यायिक अधिकारी ने 28 जून, 2012 से तीन अक्तूबर, 2015 तक ओडिशा प्रशासनिक न्यायाधिकरण के रजिस्ट्रार के रूप में कार्य किया. उन पर ‘केयरटेकर’ की नियुक्ति प्रक्रिया में कथित अनियमितता बरतने का आरोप था.

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