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महादलित बस्ती की पहली लड़की दे रही मैट्रिक की परीक्षा, जानें बिहार के किस जिले की रहने वाली है इंद्रा

बचपन बचाओ आंदोलन की बाल समिति सदस्य इंद्रा को परीक्षा केंद्र तक छोड़ने गांव के कई लोग पहुंचे. बचपन बचाओ आंदोलन के सहायक परियोजना अधिकारी मुकुंद कुमार चौधरी ने परीक्षा केंद्र पर इंद्रा को कलम भेंट की.

सीतामढ़ी. महादलित बस्ती से आने वाली इंद्रा पहली ऐसी लड़की है जो गांव से निकलकर मैट्रिक की परीक्षा देने जिला मुख्यालय स्थित गीता भवन परीक्षा केंद्र पर पहुंची है. इंद्रा परिहार प्रखंड की बथुआरा पंचायत के दुबे टोला गांव की निवासी है. बचपन बचाओ आंदोलन की बाल समिति सदस्य इंद्रा को परीक्षा केंद्र तक छोड़ने गांव के कई लोग पहुंचे. बचपन बचाओ आंदोलन के सहायक परियोजना अधिकारी मुकुंद कुमार चौधरी ने परीक्षा केंद्र पर इंद्रा को कलम भेंट की. उन्होंने बताया कि आर्थिक संकट व जागरूकता की कमी के कारण वहां की लड़कियां शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाती हैं. उम्मीद है कि इंद्रा को आगे बढ़ता देख पढ़ाई के प्रति लोग जागरूक होंगे.

इंद्रा की उम्र की 150 लड़की हैं नन मैट्रिक

200 परिवार व एक हजार से अधिक आबादी वाले गांव की इंद्रा का कहना है कि उसके मैट्रिक की परीक्षा देने से पूरे गांव के लोग खुश हैं. इससे वह अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रही है. वह प्रयास करेगी कि गांव की सभी लड़कियां उच्च शिक्षा हासिल करें. इंद्रा ने बताया कि उसकी उम्र की तकरीबन 150 लड़कियां नन मैट्रिक हैं. इंद्रा के पिता महेश मांझी चेन्नई में मजदूरी करते हैं. तीन भाई-बहन में इंद्रा सबसे बड़ी है.

इंद्रा ने बताया कि उसे पढ़ने की ललक बचपन से ही थी

बाल समिति का सदस्य बनने के बाद वह अपनी टीम के सहयोग से 40-50 बच्चों का स्कूल में नामांकन करा चुकी है. इंद्रा ने बताया कि उसे पढ़ने की ललक बचपन से ही थी. माता-पिता ने उसे पढ़ने के लिए प्रेरित किया और मजदूरी कर पैसे दिये. उन्होंने कभी बीच में पढ़ाई छोड़ने के लिए नहीं कहा. उसने बताया कि वह आगे भी पढ़ाई जारी रखेगी और लड़कियों को प्रेरित करेगी.

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