Bihar Fair: मेले में युवक-युवतियां चुनते हैं अपनी पसंद का जीवनसाथी, अनोखे ढंग से करते हैं प्यार का इजहार
Bihar Fair: पूर्णिया जिले के बनमनखी अनुमंडल के मलिनियां गांव में एक मेला लगता है. इस मेले में जीवन साथी को पसंद करने और चुनने की छूट होती है. इस प्रसिद्ध मेले का नाम पत्ता मेला है.
Bihar Fair: (बनमनखी से सुनील कुमार सम्राट) : पूर्णिया जिले के बनमनखी अनुमंडल के मलिनियां गांव में एक मेला लगता है. इस मेले में जीवन साथी को पसंद करने और चुनने की छूट होती है. इस प्रसिद्ध मेले का नाम पत्ता मेला है. बिहार के अपनी तरह के इसे अनोखे मेले में हर जवां दिल आने से पहले और घर लौटने तक धड़कता रहता है. यह धड़कन तब तक रहती है, जब तक कि उनकी शादी नहीं हो जाती है.
Also Read: Mithila Tradition : गुम होता जा रहा मिथिला का मिलन स्थल कंसार, भूंजा भुंजवाने के लिए जुटते थे लोग 100 साल से ज्यादा पुराना है मेले का इतिहासपत्ता मेले की शुरुआत बैसाखी सिरवा त्योहार से होती है. मेले को लेकर कई दिलों की धड़कनें भी तेज हो गयी हैं. दरअसल, यह मेला आदिवासी समाज का है. इसका इतिहास 100 साल से भी ज्यादा पुराना है. पुराने जमाने में जब किसी को अपना जीवन साथी चुनने का खुला अधिकार नहीं था, उस समय का आदिवासी समाज इतना मुखर जरूर था कि उनके युवाओं को अपना जीवन साथी खोजने की खुली छूट की प्रथा थी. आज भी यही परंपरा इस मेले में बरकरार है. अब तो इसी समाज से प्रेरित होकर अन्य वर्गों में भी इसका असर दिखने लगा है.
हर साल बैसाखी सिरवा-विषवा के अवसर पर आदिवासी समाज के लोग यहां भव्य मेला का आयोजन करते हैं. यह दो-दिनों तक चलता है. मेले का मुख्य आकर्षण का केंद्र लकड़ी के टावर पर चढ़ कर की जानेवाली खतरनाक पूजा है. मेला आयोजन समिति ने बताया कि इस साल एक बार फिर बिहार, झारखंड, बंगाल, ओड़िशा और नेपाल से आदिवासी समुदाय के नामचीन कलाकार पत्ता मेले में अपने पारंपरिक कला का जलवा बिखेरा.
ऐसे करते हैं प्यार का इजहारबिहार के चर्चित पत्ता मेले में देश के विभिन्न भागों झारखंड, नेपाल, बंगाल, ओड़िशा के अलावा बिहार के विभिन्न जिलों के आदिवासी युवक-युवतियां सज-धज कर अपने भावी जीवनसाथी को ढूंढ़ने आते हैं. इनमें आपसी रजामंदी जाहिर करने का तरीका भी निराला होता है. सबसे पहले लड़के को जो लड़की पसंद आ जाती है, उसे वे प्रपोज करने के लिए पान खाने का न्योता देते हैं. यदि लड़की पान खा लेती है, तो लड़का उसे आपसी रजामंदी से अपने घर लेकर चले जाते हैं. कुछ दिनों तक साथ रहने के बाद दोनों को विवाह बंधन में बांध दिया जाता है. मेले में पसंद के बाद विवाह से इनकार करनेवालों को आदिवासी समाज बड़ा जुर्माना और कड़ा दंड भी देता है.
Also Read: Viral video: भाजपा विधायक ने महिला डांसर संग लगाये ठुमके, कहा- ”नाचना-गाना गलत नहीं”, …देखें वीडियो क्या है पत्ता मेले का इतिहासपत्ता मेला आयोजन समिति के अध्यक्ष सह पूर्व मुखिया बटन लाल टुडडू, निवर्तमान मुखिया मंगल हंसदा, पीतांबर टुड्डू, शिक्षक प्रधान हासदा, छोटेलाल हासदा, पूर्व समिति सदस्य गंगाराम बेसरा, राजेश बेसरा, दिनेश रमानी,मोहर लाल रमानी, दयाल रमानी, लक्षण टुड्डू, मंटू रमानी, जीतन रमानी आदि लोगों ने बताया कि उनके पूर्वजों को भगवान महादेव व माता पार्वती ने स्वप्न में कहा कि यहां पर हमारी पूजा करें. उसी समय से बिहार के मलिनियां में महादेव-पार्वती की पूजा के साथ पत्ता मेला लगने लगा.