कृषि विधेयक, प्रस्तावित बिजली बिल समेत कई मुद्दे पर भाकपा माले का प्रदर्शन, यूपी-बिहार मुख्य मार्ग पर घंटों जाम में फंसे रहे लोग

Bihar News Update कृषि कानून, प्रस्तावित बिजली बिल सहित कई मुद्दों पर माले के कार्यकर्ताओं ने पार्टी के राज्यव्यापी चक्का जाम आह्वान पर शनिवार को गुठनी चौराहा पर सड़क जाम कर प्रदर्शन किया. सुबह सात बजे भाकपा माले कार्यकर्ता गुठनी चौराहे पर एकत्र हुए और चारों दिशा की सड़कें जाम कर यातायात बंद कर दिया. जिससे यूपी-बिहार मुख्य मार्ग (राष्ट्रीय राजमार्ग 227-ए) पर यातायात ठप हो गया.

By Prabhat Khabar News Desk | December 5, 2020 5:41 PM

Bihar News Update कृषि कानून, प्रस्तावित बिजली बिल सहित कई मुद्दों पर माले के कार्यकर्ताओं ने पार्टी के राज्यव्यापी चक्का जाम आह्वान पर शनिवार को गुठनी चौराहा पर सड़क जाम कर प्रदर्शन किया. सुबह सात बजे भाकपा माले कार्यकर्ता गुठनी चौराहे पर एकत्र हुए और चारों दिशा की सड़कें जाम कर यातायात बंद कर दिया. जिससे यूपी-बिहार मुख्य मार्ग (राष्ट्रीय राजमार्ग 227-ए) पर यातायात ठप हो गया.

लगभग तीन घंटे तक रहे चक्का जाम में यात्रियों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी. अंत में 10 बजे जाम पार्टी ने जाम हटाया. गुठनी थाना के एसआइ विनोद कुमार पुलिस बल के साथ मौजूद रहकर जाम हटने के बाद वाहनों को पास करवाया. गुठनी चौराहा पर चक्का जाम कर प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ताओं में इनौस के राज्य परिषद सदस्य जगजीतन शर्मा, उप प्रमुख रवींद्र पासवान, पार्टी सचिव सुरेश राम व पूर्व मुखिया राजकुमार राजभर ने कहा कि पिछले एक सप्ताह से दिल्ली की सीमा को कृषि कानून को लेकर किसानों ने चारों तरफ से घेर रखा है.

ऐसा लग रहा है कि देश की मोदी सरकार किसानों से जंग लड़ रही है. केंद्र सरकार ने जिस तरह से राज्यसभा में संविधान व लोकतंत्र की हत्या करके कृषि कानूनों को पारित करवाया है, उससे किसानों के अंदर का संचित गुस्सा विस्फोटक बन गया है. नया कृषि कानून खेती व किसानी को चौपट कर कॉरपोरेटों का गुलाम बनाने वाली नीतियां हैं.

आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत आलू-प्याज जैसे आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी और कालाबाजारी नहीं हो सकती थी. लेकिन अब उसका दरवाजा खोल दिया गया है. अब पूंजीपति सस्ते दर पर किसानों का सामान खरीदेंगे और और फिर महंगा बेचेंगे. उन्हें मुनाफा कमाने की छूट मिल गयी है.

किसानों की मांग है कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी करे. खेती के लागत का डेढ़ गुनी कीमत तय करने की सिफारिश स्वामीनाथन आयोग ने की थी. लेकिन, सरकार उसे केवल कागज पर लागू कर रही है. जमीन पर वह कहीं लागू नहीं है. हालांकि, बिहार के किसान सबसे गरीबी की हालत में हैं. इस मौके पर रामजी यादव, इंद्रजीत कुशवाहा, शेषनाथ राम, भान जी राम, फेकू बैठा, शिवशंकर पासवान, नटवर लाल सहित काफी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद थे.

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