खगड़िया: साल दर साल कोसी की लहरे विस्थापित समेत बाढ़ प्रभावित परिवारों की इंम्तिहान लेकर इनकी खुशियां निगल रही है, तो ऐसे में देश के आजादी के 74 वी वर्षगांठ की खुशियां भी इन पीड़ित परिवारों को नसीब नहीं है. घर एवं आसपास का ईलाका जलमग्न है. दिन रात पानी के बीच रहकर अपनी दिनचर्या पूरी करने समेत भविष्य की समस्याओं की चिंता ने इन पीड़ित परिवारों की नींद उड़ा दी है. ऐसे में देश कोरोना संकट का दंश झेल रहा है या आजादी की 74 वी वर्षगांठ की खुशियां मना रहा है, इनसे बेखबर पीड़ित परिवार इन समस्याओं से उबड़ने का पल पल बाट जोहते जैसे तैसे अपना समय गुजारने को बेवश हैं.
बीते दो वर्ष पूर्व ही कोसी कटाव की त्रासदी मे इतमादी पंचायत के कुंझारा गांव उजड़ चुकी है. गांव के सभी 40 घर समेत टू एसीआर का प्राथमिक विद्यालय कुंझारा कोसी में समाकर पंचायत के नक्शे से ही मिट चुकी है. विस्थापन का दंश झेल पीड़ित परिवार पुनर्वासित कुंझारा में अपना तिनका तिनका इकट्ठा कर आशियाना बनाकर जीवन को पटरी पर लाने की जद्दोजहद में है. लेकिन उफनाई कोसी उक्त पुनर्वासित टोले में भी फैलकर अपनी गिरफ्त में ले लिया है.
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बाढ के पानी से घिरे उक्त टोले मे लोग घरो में कैद होकर जलचर का जीवन जीने को विवश है. वही कोसी नदी का जलस्तर में धीरे धीरे हो रही गिरावट के बावजूद भी प्रभावित लोगों की समस्याएं कम नही हुई है. सरकार वेट एंड वाच की स्थिति में है तो वही एक पखवाड़े पूर्व से पीड़ित परिवार समस्याओं से जूझते सिसकिया भर रहे हैं. ससमय स्थिति का अवलोकन नही हुआ तो न तो पीड़ित किसानों को मुआवजा मिल पायेंगा न तो बाढ पीडित परिवारों को सरकारी सहायता. इससे पीड़ित लोगों में नाराजगी पनप रही है.
बाढ पीड़ित ग्रामीणों में गणेश सिंह, राजो सिंह, नवीन सिंह, जगरूप सिंह, विनोद सिंह, काशी लाल सिंह, कपिल देव सिंह, रामचंद्र सिंह, धर्म सिंह समेत दर्जनों ने बताया कि बाढ़ के समय सरकार के प्रतिनिधि एवं पदाधिकारी सुधि लेने नहीं पहुंचे. भगवान भरोसे पीड़ित लोगों ने संकटों के बीच समय गुजारा है. वही पीड़ित किसानों ने बताया कि कोरोना के कहर से किसान अभी उबर भी नहीं पाये थे कि खरीफ की फसल धान को बर्बाद कर कोसी ने रही सही कसर भी पूरी कर दी है.
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya