अररिया: सीमांचल व बिहार के कोसी-कमलांचल का इलाका नेपाल से आने वाली बाढ़ से प्रत्येक वर्ष प्रभावित होता है. लेकिन उत्तर बिहार के लिए अतिमहत्वपूर्ण कोसी बराज के मरम्मत कराने की दिशा में कोई भी प्रयास होता नहीं दिख रहा है. सरकार का रवैया इस ओर उदासीन ही रहा है. अगर आकड़ों पर नजर डालें तो भारत सरकार इस महत्वपूर्ण बराज के प्रति उदासीन रही है. कोसी बराज का निर्माण 1962 में कोलकाता के निर्माण एजेंसी जोसेफ एंड कंपनी लिमिटेड के द्वारा किया गया था. उस वक्त इस बैराज की आयु 50 वर्ष रखी गयी थी. कोसी बराज की तय उम्र 8 वर्ष पूर्व ही खत्म हो चुकी है.
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वहीं पिछले 9 वर्षों से बराज का मरम्मत भी नहीं किया गया है. आवश्यक मरम्मत के अभाव में कोसी पुल के पानी के दबाव को थामने की क्षमता दिन प्रतिदिन कमजोर होती जा रहा है. जिसके कारण कोसी बराज में खतरा बढ़ रहा है. कोसी बराज के इतिहास में अगर नजर डाला जाये तो अभी तक सर्फ दो बार ही 56 फाटकों को खोला गया है.
बराज निर्माण के 6 वर्ष बाद अर्थात 1968 में पानी का बहाव 9 लाख 13 हजार क्यूसेक पंहुचने पर सभी फाटकों को खोला गया था. वहीं दो वर्ष पूर्व 2018 में भी पानी का बहाव सिर्फ 3 लाख 71 हजार क्यूसेक पहुंचने पर ही 56 फाटकों को खोल दिया गया था. किसी जमाने में 9 लाख क्यूसेक पानी के बहाव को थामने वाला कोसी बराज अब 3 लाख 50 हजार से ऊपर पानी का दबाव भी नहीं थाम पा रहा है. पानी की थोड़ा सा बढ़ते ही खतरा बढ़ जाता है. निर्माण के 58 वर्ष होने के बाद भी सही समय पर मरम्मत नहीं होने के कारण पुल जर्जर हालत में पहुंच चुका है.
वहीं भारत नेपाल सांस्कृतिक मंच के अध्यक्ष राजेश शर्मा ने बताया की मंगलवार की सुबह आठ बजे कोसी का बहाव 3 लाख 42 हजार 970 क्यूसेक मापन होने पर 48 गेट खोला गया था. कोसी पर बने बैरेज व भारत नेपाल समझौता के अनुसार कोसी बराज के रख रखाव, सड़क निर्माण, बांध की मरम्मत, बराज का मरम्मत यह सभी भारत सरकार के जिम्मे है. वहीं 2016 में सांस्कृतिक मंच द्वारा पत्र लिख कर भारत सरकार को इस दिशा में ध्यान आकर्षण कराया गया था.
भारत नेपाल सामाजिक सांस्कृतिक मंच के अध्यक्ष राजेश कुमार शर्मा ने कोसी पुल के मरम्मत, पुल के ऊपर जर्जर सड़क के निर्माण के लिए 2016 में प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इस तरफ ध्यान आकर्षण कराया था. वहीं समय-समय पर कोसी परियोजना के अधिकारियों से भी आग्रह करते रहे हैं. मंच के अध्यक्ष शर्मा का कहना है कि इस तरफ किसी भी प्रशासनिक अधिकारी का ध्यान नहीं जा रहा है. वही दूसरी ओर सरकारी उदासीनता के कारण कोसी नदी के किनारे बसे बिहार के गांव व कस्बे हर वर्ष बाढ़ का दंश झेलने को मजबूर हैं.
पलासी .थाना क्षेत्र के अंर्तगत बहनें वाली बकरा व रतवा नदी के जलस्तर में कमी होने से निचले इलाके के लोगों ने राहत की सांस ली है. नदी का जलस्तर में कमी होने के साथ ही बकरा व रतवा नदी के किनारे बसे गांव सहित उपजाऊ जमीन पर नदी का कटाव तेज हो गया है. जिससे बकरा नदी के किनारे बसे गांव छपैनिया, बेलगच्छी, बकेनिया, पिपरा बिजवार, कोढैली, डेहटी सहित आदि गांवों में बकरा नदी का कटाव जारी है. वहीं दूसरी ओर रतवा नदी के जलस्तर में वृद्धि होने से कटाव में वृद्धि काशीबाडी, बुद्धि आदि गांव में कटाव बढ़ गया है.
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya