बिहार का एक इलाका ऐसा भी, जहां हर घर में लोग रखते हैं अपना नाव, आवागमन का बनता है जरिया, जानें वजह

बिहार में बाढ़ से हालात बिगड़ने लगे हैं. कटिहार जिले के भी हालात बिगड़ते जा रहे हैं. वहीं एक इलाका ऐसा भी है जहां लोग अपने-अपने नाव से ही आना-जाना करते हैं. लोग निजी नाव क्यों रखते हैं, जानिये..

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 5, 2022 2:17 PM

Bihar Flood: बिहार में बाढ़ से तबाही जारी है. कटिहार जिले के भी हालात बिगड़ते जा रहे हैं. नदियों में उफान के कारण पानी अब लोगों के घरों में प्रवेश कर रहा है. वहीं एक इलाका ऐसा भी है जहां हर घर में नाव तैयार रखा जाता है. ताकि बाढ़ की बाधा के बीच आने-जाने का उपाय रहे.

सभी प्रमुख नदियों के जलस्तर में उतार-चढ़ाव

कटिहार जिले की सभी प्रमुख नदियों के जलस्तर में उतार-चढ़ाव जारी है. महानंदा नदी के जलस्तर में पिछले दो दिनों से कमी दर्ज की जा रही है. सोमवार को भी इस नदी के जलस्तर में नरमी रही है. महानंदा नदी के जलस्तर में लगातार हो रही कमी की वजह से लोगों ने राहत की सांस ली है. दूसरी तरफ गंगा व कोसी नदी के जलस्तर में वृद्धि अभी भी जारी है.बरंडी नदी के जलस्तर में सोमवार को फिर से अप्रत्याशित वृद्धि शुरू हो गयी है.

सभी लोगों के पास अपना नाव 

बाढ़ की तबाही से लोग इस कदर परेशान रहते हैं कि जुलाई माह आते ही लोग अपना नाव दुरुस्त कर लेते हैं. अमदाबाद प्रखंड में प्रत्येक वर्ष कमोबेश बाढ़ का आगमन होता है. कई पंचायत बाढ़ के चपेट में आ जाता है. बाढ़ के दौरान लोगों के समक्ष आवागमन का साधन एकमात्र नाव ही रह जाता है.

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गंगा व महानंदा नदी का जलस्तर

प्रखंड के दक्षिणी करीमुल्लापुर, पार दियारा, दुर्गापुर, भवानीपुर खट्टी एवं चौकिया पहाड़पुर सहित कई अन्य पंचायत बाढ़ से प्रभावित हो जाता है. गंगा व महानंदा नदी के जलस्तर में चढ़ा-उतार के साथ लोग अपना नाव दुरुस्त कर नदी में उतारने में जुट गये है.

हर साल बाढ़ का दंश झेलते हैं गांव के लोग

बबला बन्ना, युसूफ टोला, झब्बू टोला, मेघु टोला, भादु टोला, तिलोकी डारा, घेरा गांव सहित अन्य कई गांव के लोग करीब 3 से 4 माह तक बाढ़ का दंश झेलते हैं. उक्त गांव के लोगों के समक्ष आवागमन से लेकर रोजमर्रा की खरीदारी को लेकर कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. जिस वजह से यहां के लोगों के घर-घर में अपना निजी नाव मिलता है.

अपने निजी नाव से आते-जाते हैं लोग

लोग अपने निजी नाव से करीब 3 से 4 माह तक आवागमन करते हैं. नाव से विभिन्न स्थानों तक पहुंचते हैं. साथ ही माल मवेशी को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाते हैं. अपना भोजन का व्यवस्था के साथ-साथ मवेशियों का चारा का व्यवस्था नाव से ही करते हैं.

सड़कों पर पानी 

यहां के लोगों के घर में यदि नाव नहीं रहा तो ये लोग कहीं भी आना जाना नहीं कर पायेंगे. उपरोक्त गांव के लोगों के आने-जाने का एकमात्र साधन नाव ही रहता है. बाढ़ के समय में सभी सड़कों पर जलजमाव हो जाता है. कई सड़कों पर बाढ़ का पानी बहने लगता है. जिस वजह से आवागमन बाधित हो जाता है. लोगों ने बताया कि बाढ़ के समय यहां करीब 3 से 4 माह तक नाव से आवागमन करना पड़ता है. जिस वजह से यहां के लोगों के घर-घर में अपना निजी नाव मिलता है.

Published By: Thakur Shaktilochan

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