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Bihar Flood: 7 दशक बाद भी फरकिया को हर साल मिलती बाढ़ की सजा, कोसी में ऊफान के बाद फिर उजड़ने का खतरा

बिहार में बाढ़ ने दस्तक दे दी है. सहरसा के कई इलाके हर साल जलमग्न हो जाते हैं.सलखुआ प्रखंड के तटबंध के अंदर कई पंचायत के निचले इलाकों के खेत कोसी में समा जाते हैं. फरकिया का जानें दर्द...

गोपाल कृष्ण, सहरसा: कोसी नदी में जलस्तर बढ़ने से सलखुआ प्रखंड के तटबंध के अंदर कई पंचायत के निचले इलाकों के खेत खलिहान में कोसी का पानी 17 जून से उटेशरा, बहुअरवा, बनगमा सहित अंदर अन्य गांव के खेत खलिहान में भरने लगा है, जिससे किसानों के खेतों में लगे धान का बिचड़ा व मूंग की फसल डूबने लगी है.

किसान चिंतित

किसान चिंतित हैं, वहीं लोग नाव की मरम्मत कर नाव को पानी में उतारने लगे हैं. बतातें चलें कि बाढ़ का पानी अभी पूरी तरह नहीं फैला है. जलस्तर में यही गति रही तो जल्द ही पानी से पूरा इलाका जलमग्न हो जायेगा और ग्रामीणों की जिंदगी नाव के सहारे चलने लगेगी.

फरकियावासी 74 वर्ष से आजीवन कारावास की तरह सजा काट रहे

कोसी नदी की आयी बाढ़ से हर वर्ष फरकियावासी उजड़ते व बसते हैं. प्रलयकारी बाढ़ हर वर्ष तबाही लाती है और उपजाऊ भूमि के साथ घर द्वार, फसल, आवजाही के लिए सड़क़ को अपनी आगोश में समा लेती है. जिससे अजीब परिस्थिति के दौर से गुजरना पड़ता है.

पूरा इलाका होता है जलमग्न

कोसी तटबंध के अंदर बसे 43 गांव का इलाका जलमग्न होने पर आजादी के 74 वर्ष बाद भी कारावास की भांति ज़िंदगी महसूस होती है. पूरा इलाका जलमग्न होते ही इनके समक्ष जानमाल की क्षति, शिक्षा-स्वास्थ्य, खाने पीने व आवागमन बंद होने से कारावास की तरह ज़िंदगी गुजर बसर करना पड़ती है.

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सारी उपजाऊ जमीन पानी में

फरकिया वासी कहते हैं कि यहां बसे लोगों की हालात यह है कि हमारी सारी उपजाऊ जमीन पानी में है, फिर भी हम उसकी मालगुजारी दे रहे हैं. अंग्रेजों ने भी हमको अधिकार से वंचित किया और अब सरकार भी हमें वंचित कर रही है.

उपजाऊ जमीन नदी में विलीन

फरकियावासी कहतें है हर वर्ष धीरे-धीरे उपजाऊ जमीननदी में विलीन होती जा रही है. जहां हमारे पास कई बीघा जमीन था, आज कोसी में समाने के कारण हम दूसरे की जमीन पर रह रहे हैं. पूरा इलाका कोसी में समा गया. अब हम कोसी बांध पर शरण लिए हुए हैं.

Posted By: Thakur Shaktilochan

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