Bihar Flood 2022: अररिया में डूबा युवक 6 दिनों बाद भी लापता, 16 घंटे बाद खोज तो 3 दिनों बाद आये गोताखोर

Bihar Flood 2022: अररिया में बाढ़ से तबाही है. नेपाल में बारिश के बाद पानी छोड़ने से जिले की बकरा नदी में उफान है. वहीं बकरा नदी में डूबे एक युवक को 5 दिन बाद भी नहीं ढूंढा जा सका. प्रशासनिक लापरवाही भी सामने आई.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 8, 2022 5:46 PM

Bihar Flood 2022: भारत-नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्र अररिया में शोक के रूप में बकरा, नूना, परमान, रतवा नदी जानी जाती है. हर वर्ष इस नदी में नेपाल से आने वाला जल प्रलय कई गोद को सूना, तो कई गांवों का नामोनिशान मिटा देता है. बकरा नदी में स्नान करने गये बच्चों में एक अनुराग सिंह अन्नू बीते दिनों डूब गया. लेकिन 5 दिन बाद भी उसका कोई पता नहीं चल सका.

2 जुलाई को डूबा युवक, आज भी लापता

02 जुलाई को आठ बच्चों की टोली नदी में स्नान करने जाती है. उनमें कुर्साकांटा पंचायत समिति दवेंद्र कुमार सिंह उर्फ मुन्ना का 23 वर्षीय पुत्र अनुराग सिंह अन्नू भी था. आठ बच्चों में से तीन बच्चे नदी में डूबने लगे थे. इन्हें बचाने के क्रम में अनुराग सिंह नदी में डूब गया. बकरा नदी जिसकी तेज वेग व कटान की स्थिति से हर कोई वाकिफ है.

16 घंटे बाद टूटी प्रशासन की नींद

अनुराग सिंह 02 जुलाई को पांच बजे डूबता है, स्थानीय स्तर पर उसकी तलाश शुरू होती है. लेकिन प्रशासनिक स्तर पर लगभग 16 घंटे बाद प्रयास शुरू किये जाते हैं. एसडीआरएफ की टीम दो बोट के साथ आती 03 जुलाई को 08 बजे सुबह पहुंची है. उनमें गोताखोर नहीं होते हैं.

Also Read: बिहार के प्रोफेसर ललन कुमार हकीकत में लौटा रहे थे पूरी 23 लाख सैलरी? हटी परत तो सामने आया नया विवाद
3 दिनों के बाद गोताखोर की एंट्री

03 व 04 जुलाई को एसडीआरएफ की टीम पानी के ऊपर ही प्रयास करती रहती है. इसके बाद जनप्रतिनिधियों के प्रयास के बाद तीन दिनों के बाद भागलुपर से एक गोताखोर पहुंचता है. चंद घंटो में ही हथियार डाल देता है. वे कहने लगते हैं कि बालू की कटाव में अन्नू दब गया. काश पहले बुलाते..पुत्र के गम में गमगीन मां यह सोचती या पिता या फिर उसके परिजन, नदी में रेस्क्यू कराने का अनुभव इनके पास था, या आपदा विभाग के पास.

रेस्क्यू के नाम पर  केवल खानापूर्ती

बहरहाल सिस्टम का दोष की बस रेस्क्यू के नाम पर मरहम लगाने भर का प्रयास किया गया. ऐसा क्यों व कब तक? आज लोग पूछ रहे हैं कि क्यूं नहीं बाढ़ पूर्व जिले के बाढ़ प्रभावित प्रखंडों में एसडीआरएफ व गोताखोर की टीम प्रतिनियुक्त की जाती है, इस लोकतंत्र में जब तक आदमी महफूज नहीं होगा तो फिर सरकारी तत्रों का क्या लाभ. नदी में एक रेस्क्यू अभियान चलाने की इतनी पुरानी प्रक्रिया को क्यों नहीं आधुनिक बनाया जा रहा है.इसके लिए विधानसभा से लेकर संसद तक में आवाज उठायी गयी है.अगर नहीं तो क्यों? आखिर ऐसा कब तक चलेगा.

Published By: Thakur Shaktilochan

Next Article

Exit mobile version