दहेज की लालच में सौतेली मां नहीं होने दे रही थी शादी, ग्रामीणों की मदद से लड़के ने मंदिर में किया विवाह
सासाराम में एक शादी चर्चा का विषय बना हुआ है. क्योंकि जहां दहेज की लालच में सौतेली मां अपने बेटे की शादी नहीं होने दे रही थी. लेकिन लड़के ने गांव वालों की मदद से स्वयं ही मंदिर में जाकर ब्याह रचा लिया.
बिहार के सासाराम में एक शादी चर्चा का विषय का बना हुआ है जहां लड़के ने बेहतरीन मिसाल पेश की है. लड़के ने खास अंदाज में शादी कर समाज को संदेश दिया है कि अगर लड़का चाहे तो शादी में दहेज समस्या नहीं बन सकती है.
दहेज के लिए मां शादी तोड़ने पर अड़ गई
दरअसल कोचस थानाक्षेत्र के बलथरी गांव के फुलबास साह का पुत्र धनजी गुप्ता सासाराम के मुरादाबाद के रहने वाले स्वर्गीय श्याम लाल साह एवं माता रुकमणी कुंवर की पुत्री सोनी कुमारी से प्रेम करता था. लेकिन जब लड़के की सौतेली मां दहेज के लिए शादी तोड़ने पर अड़ गई तो लड़के ने लड़की की सहमति से मंदिर में जाकर स्वयं ही शादी रचा ली.
ग्रामीणों ने करवा दी मंदिर में शादी
ग्रामीणों ने भी लड़का-लड़की की सहमति से मंदिर में जाकर दोनों की शादी करा दी. बता दें की दोनों की सगाई हो चुकी थी. लेकिन, सगाई के 6 महीना बीत जाने के बाद भी शादी के लिए कोई सुगबुगाहट नहीं देख लड़का-लड़की परेशान रहने लगे. उधर लड़की के पिता का भी निधन हो गया. ऐसे में लड़की अपने मां के साथ मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करने लगी.
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शादी में खाना बनाने आई थी लड़की
बताया जाता है कि लड़की सोनी कुमारी करगहर में किसी शादी विवाह में अपने मां के साथ खाना बनाने आई हुई थी, लड़के को जब यह सूचना मिली थी कि तो वह मौके पर पहुंच गया. इसी बीच किसी ने लड़के के सौतेली मां तथा पिता फुलवास साह को इसकी सूचना दे दी.
गांव वालों ने इकट्ठा किया चंदा
जिसके बाद उसके परिवार के लोग मौके पर पहुंच लड़की एवं उसकी विधवा मां के साथ बदसलूकी करने लगे और मोबाईल छीन लिया. गांव वाले यह सारा नजारा देख रहें थे, इसके बाद गांव वालों ने लड़की पक्ष की तरफ से युवक के परिवार वालों को बुरा भला कह कर वहां से भागा दिया. उसके बाद जब लड़के ने शादी की इच्छा जताई तो गांव के लोगों ने आपस में चंदा इकट्ठा कर पैसे जुटाए और पूरी रीति रिवाज के साथ दोनों की शादी करवा दी.