बिहार में एक बड़ा रेल हादसा टला है. सहरसा से पूर्णिया कोर्ट जा रही 18626 कोसी एक्सप्रेस (Koshi Express) के इंजन में ओवरहेड तार बुरी तरह से उलझ गया. आनन-फानन में चालक ने इमरजेंसी ब्रेक लगाया. ट्रेन उस दौरान काफी तेज रफ्तार से चल रही थी और अचानक लगे ब्रेक से ट्रेन थोड़ी दूर जाकर तेज झटके से रूक गयी. वहीं इमरजेंसी ब्रेक लगने से यात्रियों के बीच अफरातफरी का माहौल बन गया. सहरसा-पूर्णिया रेलखंड पर आधी रात को ट्रेनों का परिचालन बाधित रहा.
बुधवार को रात में सहरसा जंक्शन से कोसी एक्सप्रेस पूर्णिया कोर्ट के लिए निर्धारित समय पर रवाना हुई थी. रात्रि 12:45 पर कृत्यानंद नगर स्टेशन से ट्रेन 100 किलोमीटर की स्पीड से निकल रही थी. पूर्णिया कोर्ट पहुंचने से 7 किलोमीटर पहले अचानक चालक पिंकू चौधरी और सहायक चालक बृजेश कुमार ने देखा कि ऊपर से गुजर रहे ओवरहेड तार लटक रहे हैं. जिसके बाद बड़ी दुर्घटना की संभावना को देखते हुए चालक ने इमरजेंसी ब्रेक लगा दिया. लेकिन इस दौरान ओवरहेड तार बुरी तरह इंजन और कोच में फंस गया.
प्रत्यक्षदर्शी यात्रियों ने बताया कि तार की रगड़ से चिंगारी भी निकलने लगी थी. जोरदार आवाज के साथ ट्रेन 200 मीटर आगे जाकर रुकी वहीं चालक ने कहा कि ट्रेन 100 के स्पीड से चल रही थी. इमरजेंसी ब्रेक भी चालक ने बेहद सूझबूझ के साथ लगाया, नहीं तो थोड़ी सी चूक पर बड़ा हादसा हो सकता था. लेकिन चालक ने सफलतापूर्वक ट्रेन को रोक दिया.
कोसी एक्सप्रेस के रुकने से सहरसा-पूर्णिया रेलखंड पर रात्रि 12:45 से लेकर 3:45 तक ट्रेन परिचालन बाधित रहा. मनिहारी से जयनगर जाने वाली जानकी एक्सप्रेस को पूर्णिया कोर्ट में ही रोक दिया गया. जानकी एक्सप्रेस 3 घंटे विलंब हुई तो पूर्णिया कोर्ट से सहरसा होकर हटिया जाने वाली कोसी एक्सप्रेस सहरसा जंक्शन पर 2 घंटा 30 मिनट विलंब से पहुंची. इस दौरान कोसी एक्सप्रेस पकड़ने वाले यात्री ट्रेन विलंब होने से काफी परेशान रहे.
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बता दें कि जिस समय ओवरहेड तार इंजन में फंसी थी आसपास रोशनी का कोई प्रबंध नहीं था. रेल कर्मचारी के पहुंचने से पहले यात्रियों ने मोबाइल का लाइट जला कर तार हटाने और काटने का प्रयास किया. ट्रेन में बैठे यात्रियों ने कहा कि अगर चालक ने इमरजेंसी ब्रेक नहीं लगाई होती तो ट्रेन पलट सकती थी. पहले तो लगा कि ट्रेन में कोई पत्थरबाजी शुरू कर दिया. यात्री जल्दी से खिड़की-दरवाजा बंद करने लगे थोड़ी लेकिन कुछ देर बाद पता चला कि इंजन में तार फंस गया है.
बता दें कि वर्तमान में मधेपुरा से पूर्णिया जंक्शन के बीच इलेक्ट्रिफिकेशन का काम चल रहा है. ऐसे में रेल कर्मचारियों की लापरवाही साफ उजागर होती है. ओवरहेड तार बिछाने के दौरान तार को नीचे लटकता छोड़ दिया जाता है. इंजन से अधिक ऊंचाई नहीं होने की वजह से तार आसानी से ट्रेन में फंस जाते हैं और बड़े हादसे को निमंत्रण देते हैं.
ऐसा ही हादसा वर्ष 2017 में सहरसा मानसी रेलखंड पर भी हो चुका है. इसके अलावा वर्ष 2018 में सहरसा से मधेपुरा के बीच भी इलेक्ट्रिफिकेशन के दौरान घटना हुई थी. तार इंजन में फंस गया था और पैसेंजर ट्रेन पलटने से बाल-बाल बच गई थी. उस दौरान भी ड्राइवर ने इमरजेंसी ब्रेक लगाई थी और किसी तरह हादसा टाला था.
Posted By: Thakur Shaktilochan
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