कानपुर के बिकरू कांड के मुख्य आरोपी कुख्यात विकास दुबे (Vikas Dubey) की पत्नी की मुश्किलें बढ़ सकती है. दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रिचा दुबे की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें रिचा दुबे नौकर के फोन इस्तेमाल और धोखाधड़ी के आरोप में दाखिल चार्जशीट पर मजिस्ट्रेट के संज्ञान लेने के आदेश व मुकदमे की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की थी.
जानकारी के मुताबिक इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिकरू कांड (Bikru Kand) के मुख्य आरोपी विकास दुबे की पत्नी ऋचा दुबे को राहत देने से इनकार कर दिया है. रिचा दुबे ने अधिवक्ता के माध्यम से हाईकोर्ट में नौकर के फोन इस्तेमाल और धोखाधड़ी के आरोप में दाखिल चार्जशीट पर मजिस्ट्रेट के संज्ञान लेने के आदेश व मुकदमे की कार्यवाही पर रोक लगाने के लिए याचिका दाखिल की थी, जिसपर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति शमीम अहमद की बेंच ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.
याचिका पर अधिवक्ता प्रभाशंकर मिश्र व राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने बहस की. याची रिचा दुबे के अधिवक्ता का कहना था कि याची के खिलाफ एसआईटी रिपोर्ट पर कानपुर (Kanpur) नगर के चौबेपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है. पुलिस चार्जशीट दाखिल होने के बाद रमाबाई नगर कानपुर देहात की विशेष अदालत में आपराधिक केस चल रहा है.
रिचा दुबे के वकील ने आगे कहा कि मजिस्ट्रेट ने पुलिस चार्जशीट को संज्ञान में लेकर याची के खिलाफ समन जारी कर दिया है, याची ने याचिका के माध्यम से कोर्ट से कहा कि उसके पास मोबाइल फोन नहीं है, जिस नंबर का वह इस्तेमाल कर रही है, वह उसके नौकर महेश का है. उसे कोई आपत्ति नहीं है और ना ही फोन से कोई अपराध किया गया है. उसे बिकरू कांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे की बीवी होने के नाते मुकदमे में झूठा फंसाया जा रहा है.
रिचा दुबे के वकील ने कोर्ट से कहा कि 3 जुलाई 2020 को बिकरू गांव में हुए गोलीकांड की घटना के बाद नौकर डरकर सीतापुर भाग गया. उसने अपना फोन वहीं छोड़ दिया था. पुलिस ने तथ्यों पर विचार किए ही चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी, जिसका संज्ञान लेते हुए मजिस्ट्रेट कोर्ट ने समन जारी कर दिया,यह कार्यवाही रद्द कर दी जाए.
मामले में अभियोजन पक्ष का कहना था कि 19 नवंबर 20 को याची के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी. याची के अनापत्ति लिए बगैर सिम लिया गया है जो कि केंद्र सरकार की गाइडलाइंस का खुला उल्लंघन है. उन्होंने कोर्ट से कहा की यह अपराध है. याची महेश का मोबाइल फोन सन 2017 से ही इस्तेमाल कर रही है. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद मुकदमे की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी.
इनपुट : एसके इलाहाबादी