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बीरभूम हत्याकांड: अनारुल समेत आठ लोगों के पॉलीग्राफ टेस्ट का आवेदन अदालत ने ठुकराया 

बीरभूम हिंसा: कानून के मुताबिक आरोपी को कोर्ट में पेश करना होता है और उसके सामने पॉलीग्राफ टेस्ट की सहमति लेनी होती है. लेकिन इस मामले में अदालत ने अनारुल हुसैन की सहमति नहीं मानी, उनके वकील ने दावा किया न्यायाधीश ने आरोपी की सहमति के लिए एक न्यायाधीश नियुक्त किया.

बीरभूम हिंसा: पश्‍चिम बंगाल के बीरभूम जिले के रामपुरहाट एक ब्लॉक के बागतुई नरसंहार के आरोपी तृणमूल नेता अनारुल हुसैन समेत आठ लोगों की याचिका रामपुरहाट कोर्ट ने खारिज कर दी है. रामपुरहाट अनुमंडल न्यायालय के पास सीबीआई ने 8 आरोपियों के पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए किया आवेदन शुक्रवार को किया था. देर रात तक चली बहस के बाद मामले की सुनवाई हुई. अनारूल के वकील अनिर्बान गुहाठाकुर्ता  ने कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शीर्ष अदालत के नियमों के अनुपालन में पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए आवेदन नहीं किया है. इसलिए उन्होंने जज के सामने पॉलीग्राफ टेस्ट का विरोध किया.

कानून के मुताबिक आरोपी को कोर्ट में पेश करना होता है और उसके सामने पॉलीग्राफ टेस्ट की सहमति लेनी होती है. लेकिन इस मामले में अदालत ने अनारुल हुसैन की सहमति नहीं मानी, उनके वकील ने दावा किया न्यायाधीश ने आरोपी की सहमति के लिए एक न्यायाधीश नियुक्त किया.अतिरिक्त लोक अभियोजक सुरजीत सिन्हा ने कहा कि सभी आठ आरोपी पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए सहमत नहीं थे. चूंकि इस दिन अनारुल द्वारा नियुक्त वकील अदालत में मौजूद नहीं था, न्यायाधीश ने 13 अप्रैल को मामले की फिर से सुनवाई करने का निर्देश दिया है. अदालत ने तृणमूल नेता अनारुल हुसैन को भी 21 अप्रैल तक जेल हिरासत में भेज दिया है.

वकील अनिर्बान गुहाठाकुर्ता ने इसी दिन अनारुल की जमानत पर सवाल उठाया था. इसे खारिज कर दिया गया है. इस बीच रामपुरहाट मामले में मुंबई से गिरफ्तार 4 आरोपियों को शुक्रवार को ही रामपुरहाट अनुमंडल अदालत में पेश किया गया .आरोपियों की पहचान बप्पा शेख, साबू शेख, सिराजुल इस्लाम और ताज मोहम्मद के रूप में हुई है. मोबाइल टावर लोकेशन की पहचान करने के बाद चारों को मुंबई से गिरफ्तार किया गया था. जब उन्हें कोर्ट ले जाया गया तो जज ने उन्हें सात दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया.

गौरतलब है कि 21 मार्च की रात रामपुरहाट के बागतुई गांव में तृणमूल के नेता तथा उप प्रधान भादू शेख की बम मारकर हत्या कर दी गई थी. इसके बाद देर रात आगजनी की घटना को अंजाम देकर 9 लोगों को जिंदा जलाकर नृशंस हत्या कर दी गई थी. घटना के 2 दिन बाद 23 मार्च को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मौके वारदात पर पहुंची और उनके निर्देश के बाद तृणमूल ब्लॉक नेता अनारूल हुसैन को पुलिस ने गिरफ्तार किया था.

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इधर कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्देश के बाद नरसंहार मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी .हाईकोर्ट के निर्देश के तहत सीबीआई ने प्राथमिक रिपोर्ट गत 7 अप्रैल को हाईकोर्ट में पेश किया है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने तृणमूल नेता भादू शेख की हत्या का मामला भी अब सीबीआई को सौप दिया है. चूंकि भादू शेख और नरसंहार की घटना का आपसी लिंक है. ऐसे में सीबीआई ने भादू शेख हत्या मामले में मुंबई से चार फरार आरोपियों को सीबीआई ने मोबाइल टावर ट्रेस कर गिरफ्तार किया था इस मामले में सीबीआई की यह पहली गिरफ्तारी थी.आरोपियों को मुंबई से ट्रांजिट रिमांड पर सीबीआई ने रामपुरहाट लाकर पेश किया था. शुक्रवार को अदालत ने चारों को सात दिनों के लिए सीबीआई हिरासत में भेज दिया. हालांकि अदालत में पेशी के पूर्व अनारूल हुसैन ने मीडिया को बताया था कि वह निर्दोष है.उसे षड्यंत्र कर फंसाया जा रहा है. मुख्यमंत्री के निर्देश पर उसने आत्मसमर्पण किया है.

सवाल है कि अनारूल किसकी ओर इंगित कर रहा है कि उसे षड्यंत्र कर फंसाया गया है. इस मामले में और कौन कौन लोग शामिल है जिसका अबतक सीबीआई  उल्लेख नही कर पायी है. जबकि आजाद शेख ने स्वयं स्वीकार कर कहा था कि अनारूल हुसैन के फोन के बाद ही उसने आगजनी की घटना को अंजाम दिया था. ऐसे में कौन सच कह रहा कौन झूट सीबीआई इसे लेकर ही शायद पॉलीग्राफ जांच की मांग अदालत से कर रही है.

रिपोर्ट : मुकेश तिवारी

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