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चंद्रयान-3 इसरो के साथ काम कर बीरभूम के भूमिपुत्र विजय कुमार दाई ने जिले का किया नाम रोशन 

इसरो के इस टीम में जिले के भूमिपुत्र विजय कुमार दाई के शामिल रहने को लेकर बहुत गर्वित है. बताया जाता है की विजय का जन्म जिले के मल्लारपुर थाना क्षेत्र के दाईपाड़ा, दक्षिणग्राम के एक गरीब किसान परिवार में हुआ था.

बीरभूम, मुकेश तिवारी : कहावत है की पूत के पांव पालने में ही नजर आता है. वास्तविक तौर पर बीरभूम जिले के भूमि पुत्र विजय कुमार दाई ने चांद पर चंद्रयान-3 को सफलता पूर्वक भेजने में अपना सहयोग किया. भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक उतारकर इतिहास रच दिया है. देश ने बुधवार शाम को अंतरिक्ष विज्ञान में एक नया क्षितिज खोला है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र और इसरो के वैज्ञानिकों ने इसे असंभव कर दिखाया है. निर्धारित दिन बुधवार शाम 6:40 बजे चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह पर उतरा. और इस सफलता में शामिल हैं. बीरभूम जिले के सुदूर गांव के विजय कुमार दाई वह भी चंद्रयान 3 भेजने के पीछे इसरो के वैज्ञानिकों में से एक हैं. इसके साथ ही  बीरभूम वासियों को दोहरी खुशी मिली है.

बीरभूम के लोगों ने मनाया  जश्न

इसरो के इस टीम में जिले के भूमिपुत्र विजय कुमार दाई के शामिल रहने को लेकर बहुत गर्वित है. बताया जाता है की  विजय का जन्म जिले के मल्लारपुर थाना क्षेत्र के दाईपाड़ा, दक्षिणग्राम के एक गरीब किसान परिवार में हुआ था. उन्होंने गरीबी पर विजय पाने और चंद्रयान भेजने के इस अभियान में भाग लिया. विजय चंद्रयान की इलेक्ट्रिकल टीम के सदस्यों में से एक हैं. इसरो की विश्व प्रसिद्ध गतिविधियों में विजय की भागीदारी पर उनके माता-पिता और गांव वासियों को गर्व है. भले ही चंद्रयान 2 सफल नहीं हुआ, लेकिन चंद्रयान 3 के चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरने से बीरभूम के लोग खुश हैं.

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छोटे से गांव के रहने वाले है विजय कुमार दाई

2000 में विजय कुमार दाई ने मल्लारपुर थाना क्षेत्र के दक्षिणग्राम जगतारिणी विद्याथान से 89 प्रतिशत अंकों के साथ माध्यमिक परीक्षा उत्तीर्ण की थी. इसके बाद बेलूर रामकृष्ण मठ से हायर सेकेंडरी उत्तीर्ण की. फिर उन्होंने कल्याणी विश्वविद्यालय से स्नातक और जादवपुर विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री पूरी की. फिर उन्हें इसरो में नौकरी मिल गई. विजय ने वहां चंद्रयान 2 और चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग में हिस्सा लिया था. छात्र की इस सफलता से उसके स्कूल टीचर से लेकर स्थानीय लोग खुश हैं. विजय की मां श्यामली दाई खुशी से झूम उठी है. विजय की इस सफलता पर गांव के लोगों में भी खुशी है. आज गांव में लड्डू बांटकर ग्रामीणों ने दोहरी खुशी का इजहार किया है. ग्रामीणों का कहना है की आगे भी विजय इसी तरह विजय पाता रहेगा.

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चंद्रयान-3 से क्या लेकर जुड़े है विजय

वैज्ञानिक विजय कुमार दाई चंद्रयान-3 से सीधे तौर पर जुड़े हुए है.उनका काम अंतरिक्ष यान के स्वास्थ्य की निगरानी करना है. ग्राउंड स्टेशन के समन्वय से अंतरिक्ष यान को आदेश भेजना है. किसी भी प्रकार की समस्या होने पर सुधारात्मक कार्रवाई करना है. फिर वह सीधे तौर पर चंद्रयान-3 से जुड़े हुए. प्रक्षेपण के दिन से लेकर चांद की धरती पर उतरने तक की जिम्मेदारी उनकी भी थी. इस अहम जिम्मेदारी की जानकारी परिवार वालों ने दी है.

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मेधावी विद्यार्थी थे विजय

परिवार सूत्रों के अनुसार इसरो के वैज्ञानिक विजय कुमार दाई शुरू से ही पढ़ाई में काफी होशियार थे.उन्होंने आठवीं कक्षा में राष्ट्रीय छात्रवृत्ति जीती भी जीती थी उन्हें माध्यमिक में गणित में 100% अंक मिले थे. जो स्कूल के इतिहास में पहला था. गाँव में स्कूली शिक्षा के बाद, वह रामकृष्ण मिशन विद्यामंदिर में अध्ययन करने के लिए बेलूर मठ गए. फिर विजय ने गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज कल्याणी से गेट परीक्षा पास की और जादवपुर विश्वविद्यालय से ईसीई में एम.टेक किया और 2007 में इसरो में वैज्ञानिक के रूप में नियुक्त हुए थे. एक वैज्ञानिक के रूप में शोध करने के लिए उन्होंने एम.टेक की पढ़ाई पूरी की.

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चंद्रयान 3 को लेकर अभी व्यस्त रहेंगे विजय

चंद्रयान 3 की चंद्रमा की धरती पर सफल लैंडिंग के बाद अन्य अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की तरह विजय कुमार दाई की भी आंखों में मेहनत सफल होने की खुशी झलक उठी है. वो तस्वीर हम तक पहुंच गई है. लेकिन अब यह मिशन पूरा नहीं होने के कारण वह काफी व्यस्त हैं. सिर्फ सफल लैंडिंग ही नहीं, अब इसरो वैज्ञानिकों का मुख्य लक्ष्य सफलतापूर्वक डेटा जुटाना भी है. विजय कुमार दाई के भाई बापी दाई, बड़े भाई विनय कुमार दाई, पिता नारायण चंद्र दाई, मां श्यामली दाई सभी अपने बेटे की सफलता पर गौरवान्वित हैं. बेटे की सफलता पर परिजन ही नहीं पूरा जिला, प्रदेश, देश गौरवान्वित है. सभी को उम्मीद है कि विजय आने वाले दिनों में और अधिक सफलता हासिल करेंगे और देश के लिए और अधिक काम करके देश को आगे ले जाएंगे.

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