बिरसा हरित ग्राम योजना : कोरोना काल में रोजगार देने की थी योजना, लगने के पहले ही उजड़ गया आम बागान, किसान निराश
धनबाद (संजीव झा) : गलफत में दोनों गये, माया मिली न राम वाली हालत धनबाद के किसानों की हो गयी है. सपना दिखाया गया बागान के मालिक बनने का, लेकिन आम पौधे की जगह पहले उन्हें टहनी थमा दी गयी. सूख गया तो दोबारा कई किसानों को पौधे दिये गये. वह भी कई स्थानों पर सूख गये. लगने के पहले ही आम का बागान उजड़ गया है. कोरोना काल में बिरसा हरित ग्राम योजना से लोगों को रोजगार देने की प्लानिंग की गयी थी. इसी के तहत वृक्षारोपण किया जा रहा था.
धनबाद (संजीव झा) : गलफत में दोनों गये, माया मिली न राम वाली हालत धनबाद के किसानों की हो गयी है. सपना दिखाया गया बागान के मालिक बनने का, लेकिन आम पौधे की जगह पहले उन्हें टहनी थमा दी गयी. सूख गया तो दोबारा कई किसानों को पौधे दिये गये. वह भी कई स्थानों पर सूख गये. लगने के पहले ही आम का बागान उजड़ गया है. कोरोना काल में बिरसा हरित ग्राम योजना से लोगों को रोजगार देने की प्लानिंग की गयी थी. इसी के तहत वृक्षारोपण किया जा रहा था.
लॉकडाउन के दौरान गांव के लोगों को गांव में ही रोजगार देने व किसानों को समृद्ध बनाने के उद्देश्य से शुरू बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत बागवानी योजना फ्लॉप हो गयी. मनरेगा की दूसरी योजनाओं के तहत यह योजना भी लूट-खसोट की भेंट चढ़ गयी. पूरे जिले में 90 फीसदी से अधिक पौधे सूख गये हैं.
केस स्टडी वन
धनबाद प्रखंड की बरडुभी पंचायत में बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत कुल 224 पौधे लगाये गये. इनमें से अधिकतर पौधे सूख गये हैं. इसके बाद फिर धीरे-धीरे पौधे की सप्लाई कर रहे वेंडर ने लगभग दो सौ पौधे फिर से रैयत रामलखन सिंह को मुहैया कराया है. यहां पर 3.59 लाख रुपये की लागत से लगभग तीन एकड़ भूमि में बागान लगाया गया है.
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तोपचांची प्रखंड में आम बागान योजना के तहत 106 एकड़ में पौधरोपण किया गया. कुल 143 लाभुकों का भूमि सत्यापन कर बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत चयन हुआ. इसमें 127 लाभुकों ने बागवानी की. प्रखंड में कुल 9006 पौधे लगाये गये. 50 डिसमील में 48 पौधा, वहीं एक एकड़ में 112 पौधा लगाना है. यहां आम बागान को देखने के लिए 25 बागवानी मित्र सखी हैं जो बागवानी की देखरेख करती हैं. 9006 पौधों में से अधिकतर पौधे सूख गये. लाभुकों को दोबारा पौधा मंगाकर प्रखंड कार्यालय परिसर स्थित मनरेगा कार्यालय से वितरित किया जा रहा है.
Also Read: IRCTC/Indian Railways : दुर्गा पूजा से पहले दो ट्रेनों को मिली हरी झंडी, झारखंड, बिहार व बंगाल का सफर होगा आसानझारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने कोरोना काल में रोजगार उपलब्ध कराने के लिए बिरसा हरित ग्राम योजना शुरू की. इसके तहत रैयतों को सिर्फ जमीन उपलब्ध करानी थी. एक रैयत को कम से कम 50 डिसमिल जमीन देनी थी. इस जमीन पर खुदाई, आम का पौधा तथा खाद सहित अन्य सामग्री राज्य सरकार की तरफ से मिलनी है. अगर छोटे किसान चाहें तो दो-तीन लोग मिल कर भी इस योजना का लाभ उठा सकते हैं. उसके लिए प्रत्येक किसान के पास कम से कम 25-25 डिसमिल जमीन होनी चाहिए.
Also Read: Green ration card : राशन कार्ड के लिए जल्द करें आवेदन, विशेष अभियान दिवस पर भी कर सकते हैं अप्लाई, पढ़िए लेटेस्ट अपडेटधनबाद जिले में इस योजना के तहत 834 एकड़ जमीन पर बागवानी का लक्ष्य रखा गया था. इसके विरुद्ध अब तक 609 एकड़ जमीन पर पौधरोपण का सरकारी दावा है. विभाग के अनुसार यहां 75 हजार आम के पौधे लगाये जाने थे. उसकी जगह लगभग 68 हजार से अधिक पौधे लगाने का दावा किया जा रहा है. इसमें तीन वर्षों तक बागान के रख-रखाव का भी प्रावधान है. सूत्रों के अनुसार इस योजना के तहत आम के पौधे खरीदने का टेंडर राज्य स्तर पर ही हुआ. रांची से ही यह काम एक अधिकारी के पुत्र ने लिया.
Also Read: Durga Puja 2020 : कोरोना महामारी के बीच दुर्गा पूजा, स्थानीय मूर्तिकारों को मिल रहा रोजगारबंगाल के किसी सप्लायर को इसका काम मिला. सप्लायर ने अधिकतर स्थानों पर आम पेड़ की हटनी दे दी. जो लगने के कुछ दिन बाद ही सूख गयी. यह शिकायत जिले के सभी प्रखंडों की लगभग पंचायतों से हुई. रैयत खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. बात बढ़ने के बाद कुछ स्थानों पर रातों-रात सूखे हुए पौधे को हटा कर नया पौधा लगा दिया गया.
लेदाटांड़ पंचायत के कामता गांव के प्रदीप महतो ने बताया कि पचास डिसमिल में आम का पौधा लगाया था. आधा से अधिक पौधे सूख गये. दोबारा पौधा लगाने के बाद फिर से सूख गया. अब बागवानी करने का मन नहीं करता.
दुमदुमी पंचायत के दांदु भगांठ के उमेश महतो ने बताया कि पहली बार एक एकड़ में 120 पौधा लगाया था. जिसमें से 14 पेड़ मरे थे. फिलवक्त सभी पेड़ों को अज्ञात व्यक्ति द्वारा कबाड़ दिया गया है. इसकी शिकायत प्रखंड से लेकर थाना तक कर के थक गया, लेकिन किसी ने सुध नहीं ली. अंतत: थक हार कर घर में बैठ गया. आम बागवानी के कारण टपक खेती के पटवन का सारा सामान तोड़ दिया गया है.
Also Read: jharkhand news : बीपीएल बच्चों के लिए प्राइवेट स्कूलों को हर माह मिलेंगे 750 रुपयेधनबाद के डीडीसी दिनेश चंद्र दास ने बताया कि आम बागान के लिए पौधे की आपूर्ति में गड़बड़ी की शिकायत मिली है. कई स्थानों पर उन्हें बदला भी गया है. रैयतों की परेशानी दूर की जा रही है. आपूर्तिकर्ता को उम्दा कोटि का पौधा देने को कहा गया है.
Posted By : Guru Swarup Mishra