जन्मदिन विशेष : एनी फ्रैंक ने अपनी डायरी से दी दुनिया को बड़ी सीख

Birthday special Anne Frank writer of The Diary of a Young Girl gave a big lesson to the world with her diary : पत्रकार एवं प्रसिद्ध लेखिका बनने की इच्छा रखनेवाली एनी ने 12 जून, 1942 को डायरी में पहली एंट्री में लिखा- ‘मुझे उम्मीद है कि मैं अपनी हर बात तुम्हें बता सकूंगी, क्योंकि मैंने अपनी बातें कभी किसी से नहीं कहीं, और मैं आशा करती हूं कि हूं कि तुम मेरे लिए सुकून और संबंल का एक बड़ा स्रोत बनोगी.’

By दिल्ली ब्यूरो | June 12, 2020 12:37 PM
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आज ‘द डायरी ऑफ ए यंग गर्ल’ की लेखक एनी फ्रैंक का जन्मदिन है. एनी का जन्म 12, जून 1929 को जर्मनी के फ्रैंकफुर्ट शहर में एक यहूदी परिवार में हुआ था. एनी को अपने 13वें जन्मदिन पर उपहार के तौर पर लाल और सफेद चौखानों वाली एक डायरी मिली थी. डायरी लिखना एनी का सबसे पसंदीदा काम था. पत्रकार एवं प्रसिद्ध लेखिका बनने की इच्छा रखनेवाली एनी ने 12 जून, 1942 को डायरी में पहली एंट्री में लिखा- ‘मुझे उम्मीद है कि मैं अपनी हर बात तुम्हें बता सकूंगी, क्योंकि मैंने अपनी बातें कभी किसी से नहीं कहीं, और मैं आशा करती हूं कि हूं कि तुम मेरे लिए सुकून और संबंल का एक बड़ा स्रोत बनोगी.’

यह द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) का दौर था. एनी की मौत के बाद प्रकाशित हुई यह डायरी नाज़ियों द्वारा यहूदियों पर किये गये अत्याचारों और जनसंहार का एक जीवंत दस्तावेज बन गयी. एक यातना शिविर में महज 15 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह देनेवाली एनी की इस डायरी का अभी तक तकरीबन 67 भाषाओं में अनुवाद हो चुका है और दुनिया भर में इसकी सवा करोड़ से अधिक प्रतियां बिक चुकी हैं.

एनी ने यह डायरी 1942 से 1944 के बीच लिखी, जब नाजियों से बचने के लिए एनी और उनके परिवार को एम्स्टर्डम के एक गुप्त स्थान पर छिपने के लिए मजबूर होना पड़ा. इस दौरान वह अपनी डायरी साथ लेते गयीं. एनी ने 28 सितंबर, 1942 को डायरी में एक टिप्पणी जोड़ी- ‘अब मुझसे उन लम्हों का इंतजार नहीं हो पाता, जब मैं लिखने की स्थिति में होती हूं. ओह, मैं खुश हूं कि तुम्हें यहां अपने साथ ले आयी.’

यह परिवार तकरीबन दो वर्ष तक छिपा रहा. लेकिन, जब इनके बारे में नाजियों को जानकारी मिली, तो इन्हें जबरन वहां से निकालकर यहूदियों के लिए बनाये गये यातना शिविरों में भेज दिया गया. फरवरी 1945 में एक यातना शिविर में एनी की मौत हो गयी. विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद पिता को एनी की डायरी मिली, जिसे बहुत विचार-विमर्श के बाद उन्होंने प्रकाशित करने का फैसला किया. इस तरह एनी का लेखक बनने का सपना उनकी मौत के बाद पूरा हुआ. वर्ष 1952 में इसके अंग्रेजी संस्करण ‘एनी फैंक : द डायरी ऑफ ए यंग गर्ल’ के प्रकाशन के बाद एनी की यह डायरी दुनिया भर में प्रसिद्ध हो गयी. अमेरिका के दो नाटककारों ने 1955 में इस पर नाटक मंचित किया और यह नाटक इतना प्रसिद्ध हुआ कि इस पर 1959 में फिल्म बनी.

ऐनी की डायरी पर ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स बुक रिव्यू’ की टिप्पणी है-‘इतने साल पुरानी यह डायरी आज भी उतना ही हतप्रभ करती है, उतनी ही यातना देती है…इस डायरी में जो है, वह है उसकी जीवन के प्रति लालसा. आज भी यह हमें चुभती है. ‘

Posted By : Rajneesh Anand

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