भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने मालबाजार में किया दुर्घटनास्थल का दौरा, मृतकों के परिजनों से की मुलाकात
पश्चिम बंगाल के उत्तर क्षेत्र स्थित जलपाईगुड़ी जिले के माल नदी में घटी घटना का जायजा लेने के लिए भाजपा का प्रतिनिधिमंडल घटनास्थल पर पहुंचा. जहां उन्होंने मृतकों के परिजनों से मुलाकात भी की.
पश्चिम बंगाल के उत्तर क्षेत्र स्थित जलपाईगुड़ी जिले के माल नदी में बह जाने से 8 लोगों की मौत हो गई जबकि कई लोग लापता हो गये है. इस दर्दनाक हादसे के बाद भाजपा का 9 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को जलपाईगुड़ी पहुंचा. जहां उन्होंने मृतक के परिजनों से मुलाकात की. बीजेपी के इस प्रतिनिधिमंडल में बीजेपी के 7 विधायक और एक सांसद शामिल थे. भाजपा के प्रतिनिधिमंडल ने पहले घटनास्थल का दौरा किया और उसके बाद मालबाजार थाने जाकर प्रशासन के खिलाफ लापरवाही का केस थाने में दर्ज कराया.
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भाजपा का आरोप पुलिस और प्रशासन की गलती से घटी घटना
विजय दशमी के दिन प्रतिमा विसर्जन के दौरान अचानक नदी का प्रवाह तेज हो जाने से कई लोग नदी के बहाव में बह गये वहीं कई लोगों की मौत हो गई. नदी तट पर तैनात नागरिक सुरक्षा कर्मियों ने बताया कि रात आठ बजे के बाद नदी में पानी बढ़ना शुरू हो गया था. नागरिक सुरक्षा कर्मियों ने दावा किया है कि नदी में उतरने वालों को जगह खाली करने के लिए कहा गया था लेकिन किसी ने बात नहीं सुनी और ये घटना घट गई. भाजपा अधिकारियों का कहना है कि इतनी बड़ी घटना के लिए पुलिस और प्रशासन जिम्मेदार है अगर वे लोग लापरवाही नहीं करते तो इतने लोगों की मौत नहीं होती . बीजेपी शुरू से ही इस घटना के लिये पुलिस और प्रशासन को जिम्मेदार ठहराती आ रही है.
भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने तैयार की रिपोर्ट
शुक्रवार सुबह भाजपा के 9 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल विधायक मनोज तिग्गा, शंकर घोष, दीपक बर्मन, जलपाईगुड़ी अध्यक्ष बापी गोस्वामी के साथ घटनास्थल का जायजा लेकर एक रिपोर्ट तैयार किया. वहां से वे मालबाजार सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल गये वहां घायलों से बात की . इसके आधार पर पूरी रिपोर्ट तैयार कर उसे भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को सौंपा जाएगा . भाजपा प्रतिनिधिमंडल का कहना है कि जब प्रशासन को पता था कि नदी किनारे प्रतिमा विसर्जन किया जाएगा तो पहले से ही सुरक्षा की व्यवस्था क्यों नहीं की गई थी. केवल 8 नागरिक सुरक्षा कर्मी ही क्यों थे जहां हजारों लोगों को इकट्ठा होना था? नदी के आस-पास एंबुलेंस की व्यवस्था क्यों नहीं थी? कई लोगों का मानना है कि अगर प्रशासनिक अधिकारी थोड़ा और सतर्क होते तो इतनी भयानक आपदा से निपटा जा सकता था.