Bareilly : यूपी की सियासत में जातिगत समीकरण काफी सफल साबित होते हैं. केंद्र की सत्ता में काबिज भारतीय जनता पार्टी (BJP) जातिगत समीकरणों का विशेष ख्याल रखती है. मगर, सपा पर जातिगत समीकरणों के साथ ही बेस वोट (यादव-मुस्लिम) को नजरअंदाजी करने के आरोप काफी समय से लग रहे हैं. बरेली सपा के घोषित नए संगठन में यादव समाज के नेताओं को प्रमुख जिम्मेदारी न मिलने से समाज के नेता काफी खफा हैं.
लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बरेली सपा संगठन की कमान यादव नेता को मिलने की उम्मीद थी. क्योंकि, बरेली लोकसभा में यादव मतदाताओं की संख्या भले ही कम हो. मगर, बरेली की आंवला लोकसभा में यादव मतदाता निर्णायक संख्या में हैं. विधानसभा चुनाव में सपा प्रमुख की नजरअंदाजी के चलते लोकसभा चुनाव 2019 और यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में काफी वोट भाजपा में गया था.
यह वोट साधने के लिए केंद्र की सत्ता में हैट्रिक लगाने की कोशिश में जुटी भाजपा आंवला संगठन की कमान यादव समाज के युवा नेता को देने की तैयारी में है. जिससे आंवला के साथ ही बरेली, बदायूं और शाहजहांपुर लोकसभा में भी सियासी फायदा मिल सके.
इनको भाजपा संगठन की जिम्मेदारी दिलाने की कोशिश में मंडल के प्रमुख नेता जुटे हैं. इसके साथ ही सांसद भी पक्ष में हैं. मगर, पार्टी के एक नेता वैश्य समाज के युवा नेता को संगठन की कमान दिलाने की कोशिश में हैं, लेकिन भाजपा के विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो यादव नेता को कमान मिलना तय है.
बरेली की आंवला लोकसभा सीट पर लंबे समय तक कांग्रेस का कब्जा रहा है. मगर, इसके बाद सपा ने भी 2 बार जीत दर्ज की. एक बार जदयू के टिकट पर सर्वराज सिंह ने जीत दर्ज की थी, लेकिन वर्ष 2009 लोकसभा चुनाव में यह सीट भाजपा के खाते में चली गई. यहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सुल्तानपुर से भाजपा सांसद मेनका गांधी ने जीत दर्ज की थी.
उन्होंने सपा प्रत्याशी एवं भाजपा के वर्तमान सांसद धर्मेंद्र कश्यप को मामूली अंतर से चुनाव हराया था. हालांकि, 2014 लोकसभा में वह अपनी पीलीभीत लोकसभा सीट पर वापस लौट गई, लेकिन उन्होंने धर्मेंद्र कश्यप को भाजपा से टिकट दिलाने में मुख्य भूमिका निभाई थी. इस सीट से धर्मेंद्र कश्यप लगातार भाजपा के टिकट पर 2014 और 2019 लोकसभा का चुनाव बड़े अंतर से जीतकर सांसद हैं.
यूपी नगर निकाय चुनाव में सपा की बरेली में करारी हार हुई थी. इसके बाद संगठन में फेरबदल की उम्मीद जताई जा रही थी. मगर, सपा ने एक बार फिर शिवचरण कश्यप को जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है. उनकी नई कमेटी में संजीव यादव महासचिव है. पार्टी में जिला महासचिव समेत 12 यादव समाज के लोगों को संगठन में जिम्मेदारी दी गई है, जबकि मुस्लिम समाज के 6 लोगों को ही 49 सदस्यीय कमेटी में जगह दी गई है, लेकिन कश्यप समाज के भी 6 लोगों को जिम्मेदारी दी गई है. संगठन में जातिगत समीकरणों का ख्याल न रखने के आरोप लग रहे हैं. बरेली की कमेटी में 7 उपाध्यक्ष बनाए गए हैं.
इसमें तनवीर उल इस्लाम, मनोहर सिंह पटेल, तारिक लिटिल, चौधरी बिरेंदर सिंह, नदीम अली, विजेंद्र यादव और रविंद्र सिंह यादव को बनाया गया है. गौरव जायसवाल को कोषाध्यक्ष बनाया गया है. सचिव के रूप में बृजेश श्रीवास्तव, राजेश सिंह यादव, ठाकुर चंद्रपाल सिंह, द्रोण कश्यप, मयंक शुक्ला मोंटी, खालिद राणा, अतुल पाराशरी, मोहम्मद अकरम, अमित सिंह, मोहर सिंह, संजीव यादव, प्रमोद सिंह यादव, प्रेमपाल मौर्य, विशाल कश्यप, मनोहर लाल गंगवार हैं. इसके साथ ही सदस्य के रूप में संतोष यादव, ओमपाल यादव, विक्रम कश्यप, हाजी वफा उर्र्हमान, शिवम कश्यप, सोमपाल, लाल बहादुर, चौधरी अमित सिंह, संजीव यादव, नवीन कश्यप, शिवम मौर्य, नरोत्तम गंगवार, शरदवीर यादव, भजनलाल, राजशेखर, गुरुप्रसाद काले, नरेश सोलंकी, अरविंद यादव, शैलेंद्र मौर्य, शिव कुमार प्रजापति, विपिन यादव के, सोनू जेम्स, मीना शाक्य, और नीलम वर्मा को बनाया गया है.
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी को संगठन की कमान संभाले हुए करीब एक वर्ष हो चुका है. मगर, जिलों में उनकी टीम का ऐलान नहीं हो पाया है. एमएलसी और निकाय चुनाव के चलते लगातार नए संगठन की घोषणा टल रही थी. मगर, अब लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के 40 से 50 जिलाध्यक्ष बदलना तय हैं. इसके साथ ही जिला संगठनों में भी बड़ा बदलाव होने की उम्मीद है. भाजपा के यूपी में 98 संगठनात्मक जिले हैं.
रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद, बरेली