किसान, खेत मजदूर, छोटे दुकानदार, मंडी मजदूर व कर्मचारियों की आजीविका पर भाजपा ने किया क्रूर हमला : झारखंड कांग्रेस

Farm Bill Protest: नरेंद्र मोदी सरकार ने तीन काले कानूनों कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य कानून, कृषि कीमत आश्वासन कानून, कृषि सेवा पर करार कानून के माध्यम से किसान, खेत मजदूर, छोटे दुकानदार, मंडी मजदूर व कर्मचारियों की आजीविका पर एक क्रूर हमला बोला है. यह किसान, खेत और खलिहान के खिलाफ एक घिनौना षड्यंत्र है. यह आरोप लगाया है झारखंड प्रदेश कांग्रेस ने.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 26, 2020 6:00 PM
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लोहरदगा : नरेंद्र मोदी सरकार ने तीन काले कानूनों कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य कानून, कृषि कीमत आश्वासन कानून, कृषि सेवा पर करार कानून के माध्यम से किसान, खेत मजदूर, छोटे दुकानदार, मंडी मजदूर व कर्मचारियों की आजीविका पर एक क्रूर हमला बोला है. यह किसान, खेत और खलिहान के खिलाफ एक घिनौना षड्यंत्र है. यह आरोप लगाया है झारखंड प्रदेश कांग्रेस ने.

लोहरदगा जिला मुख्यालय में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस के नेताओं ने ये आरोप लगाये. कृषि सुधार बिल के विरोध में लोहरदगा जिला कांग्रेस कमेटी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर इसकी आलोचना की. प्रदेश प्रवक्ता आलोक दुबे एवं लाल किशोर नाथ शाहदेव ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी केंद्र की मोदी सरकार द्वारा संसद से पारित किसान विरोधी कानून का विरोध करेगी.

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार 3 काले कानूनों के माध्यम से देश की हरित क्रांति को हराने की साजिश कर रही है. देश के अन्नदाता व भाग्यविधाता किसान, खेत मजदूर की मेहनत को चंद पूंजीपतियों के हाथों गिरवी रखने का षड्यंत्र किया जा रहा है. आज देश भर में 62 करोड़ किसान मजदूर, 250 से अधिक किसान संगठन इस कानून के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं.

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इन्होंने कहा कि अन्नदाता किसान की बात सुनना तो दूर, सांसद में उनके नुमाइंदों की आवाज को दबाया जा रहा है. साथ ही सड़कों पर किसानों व मजदूरों को लाठियों से पिटवाया जा रहा है. झारखंड प्रदेश कांग्रेस ने कहा कि अगर अनाज मंडी, सब्जी मंडी व्यवस्था पूरी तरह से खत्म हो जायेगी, तो कृषि उपज खरीद प्रणाली भी पूरी तरह नष्ट हो जायेगी.

ऐसे में किसानों को न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलेगा, न ही उनका विकास ही संभव हो पायेगा. कांग्रेस नेताओं ने कहा कि क्या एफसीआइ 15 करोड़ किसानों के खेत से एमएसपी पर उनकी फसल की खरीद कर सकती है? बड़ी-बड़ी कंपनियों द्वारा किसान की फसल को एमएसपी पर खरीदने की गारंटी कौन देगा? एमएसपी पर फसल न खरीदने से क्या सजा मिलेगी, मोदी जी के पास इन सभी बातों का कोई जवाब नहीं है.

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इसका जीता-जागता उदाहरण भाजपा शासित बिहार है. वर्ष 2006 में एपीएमसी एक्ट यानी अनाज मंडियों को खत्म कर दिया गया. बिहार के किसानों की हालत बद से बदतर हो रही है. किसानों की फसल को दलाल औने-पौने दामों पर खरीदकर दूसरे प्रांतों की मंडियों में मुनाफा कमा रहे हैं. अगर पूरे देश की कृषि उपज मंडी व्यवस्था ही खत्म हो गयी, तो सबसे बड़ा नुकसान किसान, खेत मजदूरों को होगा. मुट्ठी भर पूजीपति मालामाल हो जायेंगे.

Posted By : Mithilesh Jha

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