बरेली लोकसभा सीट पर पीलीभीत के विधायक की निगाह, वरुण गांधी का कटेगा टिकट? जितिन प्रसाद-हेमराज वर्मा रेस में
पीलीभीत लोकसभा सीट से यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद के चुनाव लड़ने की चर्चा शुरू हो गई है. विश्वसनीय सूत्रों की मानें, तो जितिन प्रसाद को पहले लखीमपुर खीरी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ाने की तैयारी थी. मगर, वह पीलीभीत लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं.
Bareilly News: यूपी की बरेली लोकसभा सीट का टिकट भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने लगभग फाइनल कर दिया है. यहां से एक बार फिर पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं वर्तमान सांसद संतोष कुमार गंगवार चुनाव लड़ेंगे. वहीं पड़ोसी जनपद पीलीभीत के एक भाजपा विधायक की बरेली लोकसभा के टिकट पर निगाह है. हालांकि, उन्होंने पहले पीलीभीत लोकसभा सीट से टिकट का दावा ठोका था. क्योंकि, पीलीभीत के भाजपा सांसद वरुण गांधी कुछ दिनों से केंद्र से लेकर यूपी सरकार पर हमलावर हैं, जिसके चलते उनके भाजपा से चुनाव लड़ने की उम्मीद काफी कम बताई जा रही है.
जितिन प्रसाद को पीलीभीत में अपने पक्ष में लग रहे समीकरण
पीलीभीत लोकसभा सीट से यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद के चुनाव लड़ने की चर्चा शुरू हो गई है. विश्वसनीय सूत्रों की मानें, तो जितिन प्रसाद को पहले लखीमपुर खीरी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ाने की तैयारी थी. मगर, वह पीलीभीत लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं. यह सीट उनके गृह जनपद शाहजहांपुर से मिली हुई है. पहले पीलीभीत का काफी हिस्सा शाहजहांपुर में आता था. इसके साथ ही उनके चाचा जयेश प्रसाद शाहजहांपुर-पीलीभीत एमएलसी सीट से एमएलसी रह चुके हैं.
हेमराज वर्मा भी पीलीभीत लोकसभा सीट से टिकट की रेस में
इसके अलावा यूपी सरकार के पूर्व मंत्री और पीलीभीत की बरखेड़ा विधान सभा के पूर्व विधायक हेमराज वर्मा भी लोकसभा टिकट को लेकर भाजपा की रेस में शामिल हो चुके हैं. उन्होंने पीलीभीत लोकसभा सीट से पिछला लोकसभा चुनाव सपा-बसपा के टिकट पर लड़ा था. लेकिन, भाजपा सांसद वरुण गांधी से चुनाव हार गए. इस बार वह भाजपा से चुनाव लड़ने की कोशिश में लगे हैं.
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रिश्तेदार करने लगे प्रचार, मतदाताओं की टटोल रहे नब्ज
पीलीभीत के भाजपा विधायक की बरेली में काफी रिश्तेदारियां हैं. उनके परिवार के लोग भी बरेली में रहते हैं. विधायक ने अपने मीरगंज, नवाबगंज, शहर और भोजीपुरा के रिश्तेदारों को चुनाव लड़ने के संबंध में फोन करने शुरू कर दिए हैं. उनके रिश्तेदार के एक करीबी ने बताया कि विधायक का फोन आया था. उनका कहना था कि संगठन ने टिकट कन्फर्म कर दिया है. चाचा अब तैयारी करो, चुनाव हर कीमत पर जीतना है. इसके साथ ही उनके कुछ रिश्तेदार भी खामोशी से प्रचार में जुटे हैं.
कुर्मी मतदाताओं पर निगाह
बरेली लोकसभा सीट पर करीब 18 लाख मतदाता हैं. इसमें करीब 3 लाख कुर्मी मतदाता हैं. कुर्मी मतदाता सबसे अधिक नवाबगंज विधानसाभा में हैं. मगर, इनकी संख्या भोजीपुरा, मीरगंज और शहर विधानसभा में भी ठीक है. कैंट विधानसभा में संख्या कम है. इन्हीं कुर्मी मतदाताओं पर भाजपा विधायक की निगाहें लगी है. बरेली लोकसभा सीट पर मुस्लिम मतदाता 7.50 लाख, 2.50 लाख एससी, 1 लाख वैश्य, 75 हजार ब्राह्मण, 65 हजार कायस्थ, 32 हजार यादव और 45 हजार सिख मतदाता हैं. वहीं बरेली के भी एक भाजपा विधायक बरेली लोकसभा सीट से खामोशी से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं. मगर, उनको भी टिकट मिलना नामुमकिन बताया जा रहा है.
संतोष गंगवार 8वीं बार सांसद
बरेली लोकसभा सीट से सांसद संतोष गंगवार की जीत का सिलसिला 1989 में शुरू हुआ था. इसके बाद उन्होंने 1991, 1996, 1998, 1999, और 2004 लोकसभा चुनाव जीतकर डबल हैट्रिक लगाई थी. मगर, वर्ष 2009 का चुनाव कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीण सिंह ऐरन से करीब 9000 वोट से हार गए थे. इसके बाद 2014 और 2019 में एक बार फिर बड़े अंतर से जीत कर सांसद बने. बरेली लोकसभा सीट से भाजपा सांसद संतोष गंगवार 1996,1998, 1999, 2014 और 2019 में चुनाव जीत कर केंद्र में मंत्री बने थे. मगर, उनको कुछ वर्ष पहले ही मंत्रिमंडल से हटा दिया गया था. वह भाजपा के काफी सीनियर लीडर हैं. बरेली लोकसभा सीट से भाजपा सांसद संतोष कुमार गंगवार को वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव में 565270 वोट मिले थे, जबकि सपा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी भगवत शरण गंगवार को 397888 वोट मिले थे. सांसद संतोष गंगवार ने भगवत शरण गंगवार को 167282 मतों से चुनाव हराया था.
बरेली के तीन नेता बने थे पीलीभीत से सांसद
पीलीभीत लोकसभा सीट पर कुर्मी और किसान-लोध मतदाता काफी संख्या में हैं. यहां मुस्लिम के बाद सबसे अधिक यही दोनों जातियां हैं. बरेली के भानुप्रताप सिंह, हरीश कुमार गंगवार और मीरगंज के सहोड़ा गांव निवासी कुंवर मोहन स्वरूप गंगवार सांसद रह चुके हैं. आजादी के बाद पीलीभीत, और नैनीताल लोकसभा सीट एक थी. मगर,वर्ष 1951 में मुकुंद लाल अग्रवाल कांग्रेस के पहले सांसद बने थे. 1977 में पूरनपुर के शेरपुर कला गांव निवासी नवाब शमसुल हसन खां भी सांसद रह चुके हैं. वहीं 1989 में पहली बार मेनका गांधी सांसद बनी. इसके बाद से दोनों मां-बेटों का लगातार कब्जा है. 2019 लोकसभा चुनाव में सांसद वरुण गांधी को 704549 वोट मिले थे, जबकि सपा-बसपा प्रत्याशी हेमराज वर्मा ने 448922 मत हासिल कर पाए थे.
रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद, बरेली