भाजपा विधायकों को लेना होगा बढ़ा हुआ वेतन, विधानसभा के नियमानुसार इंकार करने की कोई जगह नहीं
मुख्यमंत्री द्वारा वेतन बढ़ोतरी के फैसले की घोषणा के बाद जब विपक्ष के नेता ने इसे खारिज करने की घोषणा की, तो कई विधायकों ने विधानसभा में वेतन के मुद्दे पर सवाल उठाए. बढ़ा हुआ वेतन कैसे लौटाया जाए, मूलतः यही पूछा जा रहा है.
पश्चिम बंगाल में 7 सितंबर को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधानसभा में विधायकों का वेतन बढ़ाने के फैसले की घोषणा की थी. उस घोषणा के साथ ही विपक्षी नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि गेरुआ शिविर के विधायक बढ़ा हुआ वेतन नहीं लेंगे. लेकिन बीजेपी संसदीय दल ने जांच के बाद पाया कि विधानसभा में बढ़ा हुआ वेतन न लेने का कोई कानून या नियम नहीं है.ऐसे में विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल के विधायकों को न चाहते हुए भी बढ़ी हुई सैलरी लेनी पड़ रही है. भाजपा के संसदीय दल के अधिकांश सदस्य पहली बार विधायक बने हैं. मुट्ठी भर विधायक ऐसे हैं जो विधान सभा के सदस्य भी थे. इसकी जानकारी उन्हें भी नहीं थी.
कई विधायकों ने विधानसभा में वेतन के मुद्दे पर उठाए सवाल
लेकिन पिछले हफ्ते मुख्यमंत्री द्वारा वेतन बढ़ोतरी के फैसले की घोषणा के बाद जब विपक्ष के नेता ने इसे खारिज करने की घोषणा की, तो कई विधायकों ने विधानसभा में वेतन के मुद्दे पर सवाल उठाए. बढ़ा हुआ वेतन कैसे लौटाया जाए, मूलतः यही पूछा जा रहा है. लेकिन विधानमंडल सचिवालय ने विधायकों को बताया कि बढ़ा हुआ वेतन लौटाने का कोई नियम नहीं है. तो आपको बढ़ी हुई सैलरी लेनी होगी.
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मंत्री से लेकर विधायक तक सभी स्तरों पर मुख्यमंत्री ने बढ़ाया था वेतन
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने पिछले गुरुवार को विधानसभा में कहा था कि सरकार मंत्री से लेकर विधायक तक सभी स्तरों पर वेतन में 40 हजार रुपये की बढ़ोतरी कर रही है. सरकार के वेतन ढांचे के अनुसार विधायकों का वेतन 10,000 रुपये से बढ़कर 50,000 रुपये प्रति माह कर दिया गया है. राज्य के मंत्रियों को 10 हजार 900 रुपये महीना मिलता था. अब से उन्हें 50 हजार 900 रुपये मिलेंगे. इसके अलावा राज्य में पूर्व मंत्रियों का वेतन 11 हजार रुपये था .उन्हें इस बार से 51 हजार रुपये वेतन के तौर पर मिलेंगे.
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वेतन और भत्ते में की गई बढ़ोत्तरी
विपक्षी दलों के नेताओं और राज्य मंत्रियों, पूर्व मंत्रियों को वेतन और भत्ते में 1 लाख 10 हजार रुपये मिलते थे. इस बार से उन्हें करीब डेढ़ लाख रुपये मिलेंगे. संयोगवश, जब मुख्यमंत्री ने यह घोषणा की तो भाजपा विधायक विधानसभा हॉल से बाहर चले गये. वहीं उस घोषणा के बाद जब भाजपा नेता शुभेंदु से इस मामले में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह बढ़ी हुई सैलरी नहीं लेंगे. हालांकि पश्चिम बंगाल विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों को अगले अक्टूबर से उनके बैंक खातों में बढ़ा हुआ वेतन मिलेगा. इस संबंध में विधानसभा के एक अधिकारी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने वेतन बढ़ा दिया है, इसलिए सभी विधायकों को वेतन लेना होगा. यदि बिना वेतन बढ़ाए भत्ते बढ़ाए जाते तो भाजपा विधायक भत्तों को नौटंकी नहीं मान सकते थे. ऐसे में बीजेपी विधायकों के पास वो मौका नहीं है.
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मार्च 2017 में बजट सत्र में विधायकों का वेतन बढ़ाया गया था.
गौरतलब है कि इससे पहले मार्च 2017 में बजट सत्र में विधायकों का वेतन बढ़ाया गया था. उस वक्त भी जादवपुर से सीपीएम विधायक और लेफ्ट पार्टी नेता सुजन चक्रवर्ती ने बढ़ी हुई सैलरी में हिस्सा नहीं लेने का ऐलान किया था. वामपंथी विधायकों ने विरोध पत्र लिखकर बढ़ा हुआ वेतन नहीं लेने का फैसला किया. लेकिन आखिर में नियमों की कमी के कारण वामपंथी विधायकों को बढ़ा हुआ वेतन लेना पड़ा. उस समय तत्कालीन संसदीय मंत्री पार्थ चट्टोपाध्याय ने वामपंथियों के तर्कों को स्वीकार नहीं किया और उनकी आलोचना की. लेकिन इस बार ममता ने किसी कमेटी की सिफारिश पर नहीं बल्कि एक ही फैसले में विधायकों की सैलरी बढ़ाने का फैसला किया है.
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हमें नहीं चाहिए बढ़ा वेतन : शुभेंदु
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के मंत्रियों, राज्य मंत्रियों और विधायकों के वेतन में वृद्धि की घोषणा की है. लेकिन नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि वह इस फैसले का समर्थन नहीं करेंगे. शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि मैं विधायकों का भत्ता बढ़ाने के फैसले का समर्थन नहीं करता हूं. इसके बजाय उन्होंने सरकारी कर्मचारियों के डीए, आशाकर्मियों का वेतन बढ़ाये जाने की मांग की. शुभेंदु ने कहा कि वेतन बढ़ाये जाने का फैसला एकतरफा लिया गया है. हम सत्र में नहीं थे, तब यह घोषणा की गयी. हम नहीं चाहते कि विधायकों का वेतन बढ़े.