UP Election 2022: वाराणसी दक्षिण की विधानसभा सीट पर रहा भाजपा का कब्जा, रोचक समीकरणों वाली है सीट

साल 2017 में भाजपा ने दक्षिणी विधानसभा से डॉ. नीलकंठ तिवारी को टिकट दिया था. डॉक्टर नीलकंठ तिवारी ने यहां से जीत हासिल की और यूपी सरकार में पर्यटन मंत्री बने. साथ ही, इसी सीट पर बीजेपी से पहले दो बार जनसंघ भी चुनाव जीत चुका है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 8, 2022 8:12 PM
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Varanasi News: यूपी चुनाव की घोषणा होते ही विधानसभावार लोग समीकरण बैठाने लगे हैं. वाराणसी की सभी सीट पर अंतिम चरण में 7 मार्च को मतदान होंगे. पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की एक सीट काफी ऐतिहासिक है.

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव उत्तर प्रदेश में सरकार चाहे किसी की भी रही हो मगर 33 साल से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी ने ही दक्षिणी विधानसभा में बीजेपी की जीत का परचम लहराया है. 1889 से लेकर 2017 तक दक्षिणी विधानसभा से सात बार विधायक रहे थे श्यामदेव राय चौधरी. वहीं, साल 2017 में भाजपा ने दक्षिणी विधानसभा से डॉ. नीलकंठ तिवारी को टिकट दिया था. डॉक्टर नीलकंठ तिवारी ने यहां से जीत हासिल की और यूपी सरकार में पर्यटन मंत्री बने. साथ ही, इसी सीट पर बीजेपी से पहले दो बार जनसंघ भी चुनाव जीत चुका है.

वाराणसी के दक्षिणी विधानसभा का अतीत बहुत गौरवशाली रहा है. देश की आजादी के बाद हुए चुनाव में साल 1951 में डॉक्टर संपूर्णानंद ने जीत हासिल की थी. 1957 के चुनाव में फिर जीत हासिल करके डॉक्टर संपूर्णानंद यूपी के मुख्यमंत्री चुने गए. आज़ादी के बाद के पहले चुनाव से 1967 तक कांग्रेस का कब्जा रहा. 1967 के दक्षिणी विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस को इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा था. कांग्रेस प्रत्याशी की हार हुई और सीपीआई के रुस्तम सैंटिन विधायक चुने गए. साल 1969 और 1974 में दक्षिणी विधानसभा जीतकर जनसंघ ने परचम लहराया. वर्ष 1974 से इस विधानसभा सीट पर अलग दल के लोग जीतते रहे.

वाराणसी दक्षिणी विधानसभा सीट पर साल 1989 में बीजेपी से श्यामदेव राय चौधरी चुनाव लड़े और जीत हासिल की. उसके बाद बीजेपी के विधायक श्यामदेव राय चौधरी ने सात बार दक्षिणी विधानसभा से जीत हासिल की. उत्तर प्रदेश में किसी की भी सरकार रही हो श्यामदेव राय चौधरी हर बात दक्षिणी से भाजपा का परचम लहराते हुए नजर आते थे. साल 2017 में दक्षिणी विधानसभा से सात बार के विधायक श्यामदेव राय चौधरी का टिकट काटकर डॉक्टर नीलकंठ तिवारी को दिया गया था.

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रिपोर्ट : विपिन सिंह

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