चीन के सांस्कृतिक आंदोलन जैसा है बंगाल में चुनाव के बाद हंसा, श्यामा प्रसाद की पुण्यतिथि पर बोले भाजपा सांसद
श्यामा प्रसाद की पुण्यतिथि पर भाजपा सांसद ने बंगाल हिंसा की तुलना चीन की सांस्कृतिक आंदोलन से की
कोलकाता: जनसंघ के संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्य तिथि पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्यसभा सांसद स्वपन दासगुप्ता ने बंगाल में चुनाव बाद हो रही हिंसा की तुलना चीन के हिंसक आंदोलन से की है. स्वपन दासगुप्ता ने बंगाल में चल रही राजनीतिक हिंसा की तुलना वर्ष 1960 में चीन के कल्चरल रिवोल्यूशन के दौरान हुए आतंक से की है.
डॉ स्वपन दासगुप्ता ने पश्चिम बंगाल की तृणमूल सरकार पर यह कहकर हमला बोला है कि राज्य में राजनीतिक हिंसा चीन की सांस्कृतिक क्रांति के समान है. उन्होंने भाजपा के सदस्यों और समर्थकों पर हो रहे अत्याचार और हमलों की तुलना 1960 के दशक के मध्य में चीन में माओ त्से तुंग द्वारा शुरू किये गये आतंकी अभियान से की.
Many will recall the horrors of China’s Cultural Revolution in the mid-1960s: mass denunciations, self-criticism & other forms of public humiliation of people by Red Guards, and destruction of shrines. These scenes are now being re-enacted across W.Bengal against BJP workers.
— Swapan Dasgupta (@swapan55) June 23, 2021
चौंकाने वाला बयान तब आया है, जब लगभग 200 भाजपा कार्यकर्ता मंगलवार को तृणमूल में लौट गये और उन लोगों ने अपना सिर मुंडवाकर प्रायश्चित करने की बात कही थी. उन्होंने बुधवार को ट्वीट किया कि कई लोग वर्ष 1960 के दशक के मध्य में चीन की सांस्कृतिक क्रांति की भयावहता को याद करेंगे.
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श्री दासगुप्त ने कहा कि सामूहिक निंदा, आत्म-आलोचना और रेड गार्ड्स द्वारा लोगों के सार्वजनिक अपमान के अन्य रूप और मंदिरों का विनाश जैसे दृश्यों को अब भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ पश्चिम बंगाल में फिर से लागू किया जा रहा है. उल्लेखनीय है कि बंगाल चुनाव के बाद 2 मई को मतगणना हुई थी. इसके बाद से बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमले जारी हैं.
भाजपा का दावा- 2 मई के बाद बढ़े विरोधियों पर हमले
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष का दावा है कि 2 मई के बाद से अब तक पार्टी के 30 से अधिक कार्यकर्ताओं की तृणमूल कांग्रेस के गुंडों ने हत्या कर दी है. हालांकि, तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी और उनकी पार्टी के नेताओं का कहना है कि बंगाल में कहीं कोई हिंसा नहीं हो रही है. जो भी हिंसा हुई, चुनाव आयोग के शासनकाल में हुई.
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Posted By: Mithilesh Jha