ओडिशा में दुर्लभ ‘ब्लैक टाइगर’ की मौत, शरीर में पाये गये चोट के निशान, जानें अन्य बाघ से ये कैसे अलग है
मृत ‘ब्लैक टाइगर’ की मौत तीन साल है. वन संरक्षक का तो ये भी कहना था कि कभी कभी नर बाघ अपनी रक्षा के लिए आपस में संघर्ष करते रहते हैं. इस दौरान ये कई बार हिंसक भी हो जाते हैं.
‘ब्लैक टाइगर’ के नाम से जाना जाने वाला एक दुर्लभ बाघ ओडिशा के मयूरभंज जिले में स्थित सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान में मृत पाया गया है. टाइगर के शरीर पर चोट के कई निशान पाये गये हैं, फिलहाल मौत के स्पष्ट कारणों का पता लगाने के लिए मामले की चल रही है. वन के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि बाघ के शव का पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है. रिपोर्ट आने के बाद ही इस मामले में कुछ कहा जा सकेगा.
‘ब्लैक टाइगर’ के नाम से जाना जाने वाला एक दुर्लभ बाघ ओडिशा के मयूरभंज जिले में स्थित सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान में मृत पाया गया है. टाइगर के शरीर पर चोट के कई निशान पाये गये हैं, फिलहाल मौत के स्पष्ट कारणों का पता लगाने के लिए मामले की चल रही है. वन के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि बाघ के शव का पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है. रिपोर्ट आने के बाद ही इस मामले में कुछ कहा जा सकेगा.
अधिकारियों की मानें तो बाघ की उम्र साढ़े तीन साल है. वन संरक्षक का तो ये भी कहना था कि कभी कभी नर बाघ अपनी रक्षा के लिए आपस में संघर्ष करते रहते हैं. इस दौरान ये कई बार हिंसक भी हो जाते हैं.
केवल सिमिलिपाल में पाये जाते हैं इस तरह के बाघ
आपको बता दें कि सिमलीपाल टाइगर रिज़र्व दुनिया के एकमात्र स्थान है पर ब्लैक टाइगर पाये जाते हैं. इनके शरीर पर चौड़ी काली रेखाएं होती है जो सामान्य बाघ की तुलना में मोटी होती है. इसे मेलानिस्टिक बाघ के नाम से भी जाना जाता है. सिमलीपाल में बाघ के अलावा तेदुआ, हाथी समेत कई अन्य वन्य जीवों का घर भी है. कहा तो ये भी जाता है यहां पर कई ऐसे जानवर है जिसकी अभी तक पहचान नहीं हो पायी है.