धनबाद (मनोज रवानी) : गोरखपुर ऑक्सीजन कांड में ब्लैकलिस्टेड कंपनी मेसर्स पुष्पा सेल्स यहां एसएनएमएमसीएच में ऑक्सीजन पाइप लाइन का काम कर रही है. मुख्यालय से हुए टेंडर में यह काम उक्त कंपनी को मिला है. काम जल्दी कराने पर जोर है, लेकिन काम की गुणवत्ता की जांच करने को कोई तैयार नहीं है. राज्य मुख्यालय ने स्थानीय स्तर पर इसकी जांच करा लेने को कहा है. इधर स्थानीय स्तर पर जांच करने को कोई तैयार नहीं है. अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि हमारे पास जांच की कोई व्यवस्था नहीं है. हम सिर्फ मेटेरियल के कागजात की जांच कर रहे हैं. इस वजह से काम शुरू कराने में भी अस्पताल प्रबंधन को परेशानी हो रही है.
धनबाद (मनोज रवानी) : गोरखपुर ऑक्सीजन कांड में ब्लैकलिस्टेड कंपनी मेसर्स पुष्पा सेल्स यहां एसएनएमएमसीएच में ऑक्सीजन पाइप लाइन का काम कर रही है. मुख्यालय से हुए टेंडर में यह काम उक्त कंपनी को मिला है. काम जल्दी कराने पर जोर है, लेकिन काम की गुणवत्ता की जांच करने को कोई तैयार नहीं है. राज्य मुख्यालय ने स्थानीय स्तर पर इसकी जांच करा लेने को कहा है. इधर स्थानीय स्तर पर जांच करने को कोई तैयार नहीं है. अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि हमारे पास जांच की कोई व्यवस्था नहीं है. हम सिर्फ मेटेरियल के कागजात की जांच कर रहे हैं. इस वजह से काम शुरू कराने में भी अस्पताल प्रबंधन को परेशानी हो रही है.
एसएनएमएमसीएच में करीब साढ़े चार करोड़ की लागत से ऑक्सीजन पाइप लाइन के काम का टेंडर पुष्पा सेल्स को मिला है. जंबो सिलिंडर से ऑक्सीजन की सप्लाई हर वार्ड में की जानी है. जनवरी माह से काम शुरू हुआ था, लेकिन 25 मार्च से लॉकडाउन के बाद से ही काम बंद है. अक्तूबर माह से काम शुरू करने की कवायद शुरू हुई है.
22 अक्टूबर को एसएनएमएमसीएच के प्राचार्य के कार्यालय में बैठक हुई थी. इसमें निर्णय लिया गया था कि आइआइटी या फिर सिंफर से मेटेरियल की जांच करायी जायेगी. सिंफर ने जांच करने में असमर्थता जतायी. इसके बाद तय हुआ कि मेटेरियल की जो खरीदारी की गयी है, उसके पेपर के अनुसार ही मेटेरियल की गुणवत्ता देखी जायेगी.
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एसएनएमएमसीएच (पीएमसीएच) में ऑक्सीजन पाइपलाइन के लिए वर्ष 2018 से टेंडर निकाला जा रहा है. 2019 में इस टेंडर की प्रक्रिया शुरू हुई थी. इसमें पांच एजेंसियों ने भाग लिया था. प्रबंधन ने टेंडर के बाद पाइप लाइन के लिए अलग से टेंडर व गैस प्लांट लगाने के लिए अलग टेंडर निकालने की प्रक्रिया शुरू की थी. पीएमसीएच प्रबंधन ने टेंडर प्रक्रिया को रद्द कर दिया था, क्योंकि अलग से टेंडर निकालने के लिए चार एजेंसी इसके पक्ष में थी, जबकि एक एजेंसी ने दोनों कार्यों को एक ही एजेंसी को देने की बात कही, लेकिन अलग-अलग टेंडर निकलने पर इसकी शिकायत मुख्यालय तक चली गयी. इसके बाद टेंडर की प्रक्रिया रद्द कर इस पर रोक लगा दी गयी थी. इसके बाद मुख्यालय से ही टेंडर किया गया. ठेका पुष्पा सेल्स को मिला था.
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गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अगस्त, 2017 में 30 से अधिक बच्चों की मौत हो गयी थी. जांच में पता चला कि अस्पताल में ऑक्सीजन ही नहीं था. इस वजह से बच्चों की मौत हुई. इस कांड के बाद कार्रवाई करते हुए मेसर्स पुष्पा सेल्स प्राइवेट लिमिटेड को काली सूची में डाल दिया था.
अप्रैल माह में लखनऊ के डॉ राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के मातृ शिशु अस्पताल को कोविड-19 अस्पताल में बदला जा रहा था. इस अस्पताल में मेडिकल गैस पाइप लाइन के विस्तार का टेंडर 16 अप्रैल को निकला था. यह ठेका भी पुष्पा सेल्स ने हासिल किया था. गोरखपुर कांड की जानकारी मिलने के बाद आनन-फानन में ठेके को रद्द किया गया था. पुष्पा सेल्स प्राइवेट लिमिटेड के सीइओ मनीष भंडारी ने कहा कि गोरखपुर मामले का विवाद हाइकोर्ट में विचाराधीन है. नियम है कि जिस राज्य में ब्लैकलिस्टेड हैं, वहां काम नहीं कर सकते हैं. एसएनएमएमसीएच में काम चल रहा है.
Posted By : Guru Swarup Mishra