Jharkhand news: लातेहार का ब्लड बैंक इन दिनों खून की कमी से जूझ रहा है. 14 मार्च को ब्लड बैंक में मात्र तीन यूनिट रक्त ही उपलब्ध था. ऐसा नहीं है कि यह पहली बार हुआ है. रक्तदाताओं की कमी के कारण ब्लड बैंक में हमेशा ही रक्त का अभाव रहता है. हालांकि, जिला प्रशासन, रेडक्रॉस सोसाइटी, वोलेंटरी ब्लड डोनर्स एसोसिएशन एवं अन्य सामाजिक संगठनों द्वारा विभिन्न अवसरों में रक्तदान शिविरों का आयोजन अवश्य किया जाता है, लेकिन इन शिविरों में रक्तदाताओं (Blood donors) की उपस्थित काफी कम होती है. ऐसे में लक्ष्य के अनुसार रक्त संग्रह नहीं हो पाता है.
रक्तदान के लिए युवा आगे आयें : डीसी
डीसी अबु इमरान ने युवाओं से रक्तदान करने के लिए आगे आने की अपील की है. उन्होंने कहा कि मानव खून का कोई विकल्प नहीं है. रक्तदान (blood donation) करके ही खून को इकट्ठा किया जा सकता है. पिछले दिनों आयोजित एक बैठक में डीसी ने जिला एवं प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों से भी नियमित रक्तदान करने की अपील की. कहा कि रक्त संग्रहण के लिए रक्तदान शिविरों का आयोजन करना आवश्यक है. मालूम हो कि डीसी के अपील के बाद आयोजित एक शिविर में डीसी समेत जिले के कई आला अधिकारियों ने रक्तदान किया था.
एक सप्ताह में ब्लड बैंक में खून की उपलब्धता की स्थिति
तारीख : यूनिट
14 मार्च : 03
13 मार्च : 11
12 मार्च : 05
11 मार्च : 06
10 मार्च : 07
09 मार्च : 13
50 से 60 यूनिट खून की है खपत
ब्लड बैंक के लैब टेक्नीशियन विनय कुमार सिंह ने बताया कि ब्लड बैंक को 6 फ्रीज उपलब्ध कराये गये हैं और इसमें 300 यूनिट तक खून इकट्ठा किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि हर महीने औसतन 50 से 60 यूनिट खून की खपत होती है, लेकिन रक्तदान शिविरों में रक्त दाताओं की कमी के कारण यहां हमेशा खून का अभाव रहता है.
वोलेंटरी ब्लड डोनर्स एसोसिएशन के सदस्य करते हैं रक्तदान
रेड क्रॉस सोसाइटी के सचिव विकास कांत पाठक ने बताया कि रक्तदान करने के लिए वाट्सएप ग्रुप ‘वोलेंटरी ब्लड डोनर्स एसोसिएशन’ बनाया गया है. जरूरत पड़ने पर ग्रुप के सदस्य जरूरतमंदों के लिए रक्तदान करते हैं. श्री पाठक ने बताया कि अब तक ग्रुप के सदस्यों ने 250 यूनिट से अधिक रक्तदान किया है. बताया कि लातेहार में आयोजित रक्तदान शिविरों में लोगों की उपस्थिति काफी ही निराशाजनक होती है. हालांकि, उन्होंने कहा कि जन्मदिन या अन्य शुभ अवसरों पर लातेहार में रक्तदान करने की एक अच्छी परंपरा की शुरुआत हुई है.
रिपोर्ट : आशीष टैगोर, लातेहार.