पूर्णिया : महज कुछ माह पहले बिहार के पूर्णिया जिले के मल्डीहा गांव की जिस देहरी पर खुशियों का आलम था, वहां आज मातम का मंजर है. गांव छोड़ने के सत्रह साल बाद सिने अभिनेता बन कर सुशांत मई 2019 को मल्डीहा अपने पैतृक गांव लौटे थे और यहां कुछ दिन रहने के बाद बचपन की यादों को समेटे हुए खगड़िया स्थित अपने ननिहाल के लिए निकल गये थे. तब मल्डीहा गांव में मेला लग गया था. अपने नाते-रिश्तेदार तो थे ही, दूर दराज से लोग मिलने के लिए भी पहुंच रहे थे.
सुशांत सिंह राजपूत को उस रूप में देख कर पूरा गांव गौरवान्वित था. मगर, सुशांत की मौत की खबर ने सबको रुला दिया है. साल भर पहले जिस देहरी पर लोग सुशांत को गले लगाने के लिए आ रहे थे उसी देहरी पर आज लोग संवेदना व्यक्त कर रहे हैं.
सिनेमाई दुनिया में अपने अभिनय का परचम लहराने वाले सुशांत सिंह राजपूत के चचेरे भाई हैं बबन सिंह. बबन बचपन के मित्र भी. गांव में जब किसी ने टीवी स्क्रीन पर आ रही इस खबर के बारे में बताया उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ कि एक साल पहले जिसे गले लगा कर गांव से विदा किया था, वह दुनिया से विदा हो गया. कहते-कहते बबन रो पड़ते हैं. वे दौड़े-दौड़े घर गये और जब टीवी स्क्रीन पर नजर गयी, तो आंखें फटी रह गयीं. आंसुओं से भरी आंखें और रुंधी हुई आवाज में वे अपने आप से सवाल करते हैं कि आखिर ऐसा क्यों हो गया. सब कुछ तो ठीक-ठाक चल रहा था. व्यथित मन से जवाब नहीं मिलता तो वे रो पड़ते हैं.
सुशांत सिंह राजपूत की मौत की खबर ने संतोष सिंह को भी झकझोर कर रख दिया है. वे सुशांत के ग्रामीण मित्र ही नहीं रिश्तेदार भी हैं. पूछने पर सिर्फ इतना कहते हैं कि सुशांत उन्हें छोड़ कर चले गये. क्यों चले गये, कैसे हुआ यह सब? उनके मन में उठते सवालों की झलक चेहरे पर भी दिख जाती है. यह खबर जैसे-जैसे फैल रही है वैसे-वैसे ग्रामीणों की भीड़ दरवाजे पर जुटने लगती है. यहां नजर आने वाला आज गमगीन है और सबकी आंखें नम हैं.
जिले के बड़हरा कोठी प्रखंड का मल्डीहा गांव और अपने इस गांव में बॉलीवुड अभिनेता के रूप में आये सुशांत का फ्री स्टाइल लोग भूल नहीं पा रहे हैं. बॉलीवुड के लटके-झटकों को छोड़ गांव में आने के बाद देशी अंदाज में घूमना-मिलना लोगों की नजरों से उतर नहीं रहा है. सुशांत का गांव आना, उचक-उचक कर दोस्तों के घर जाने और गांव के आम बगान में कभी बांध के मचान पर बैठने तो कभी टहनी पकड़ लटक जाने का पूरा नजारा ग्रामीणों की आंखों में उतर आया है. किसी को लगता ही नहीं कि यह एक साल पहले का दृश्य है. सब यही कहते हैं कि अभी-अभी तो सुशांत गांव से गया है, फिर तुरंत यह सब कैसे हो सकता है.
रिश्ते में चाचा लगने वाले अशोक कुमार सिंह काफी मर्माहत हैं. वे कहते हैं कि सुशांत बचपन से मेधावी और खुशमिजाज स्वभाव का था. वह ऐसा भी कर सकता है, बात गले से नहीं उतर रही. अशोक बाबू कहते हैं कि पिछले साल जब उसे इस तरह फ्री होकर गांव में घूमते देखा तो समझाया था कि तुम अब बहुत बड़े स्टार बन गये हो, इस तरह अकेला गांव में घूमना और आमबाड़ी में चहकना अच्छा नहीं. मगर, इस बात को वह हंसते हुए यह कहकर टाल देता था कि मैं बड़ा कहां हूं. कहते-कहते अशोक बाबू रो पड़ते हैं.
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उधर, सुशांत के चाचा रामकिशोर सिंह इस खबर से किंकर्तव्यविमूढ़ वाली स्थिति में हैं. उम्र के इस पड़ाव में जवान भतीजे की मौत ने उन्हें अंदर से झकझोर दिया है. वे कुछ कहना चाहते हैं पर आंसुओं के साथ उनकी बातें मन की व्यथा बयां कर जाती हैं.
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