फिल्म निर्माता अनिल सूरी का कोरोना से निधन, कई अस्पतालों ने भर्ती करने से किया था इंकार
bollywood film producer anil suri dies due to coronavirus: बॉलीवुड फिल्म निर्माता अनिल सूरी का कोरोना वायरस के कारण निधन हो गया. उनकी उम्र 77 वर्ष थी. वह 'कर्मयोगी', 'बेगुनाह' और 'राज तिलक' जैसी फिल्मों के लिए जाने जाते थे. अनिल सूरी के भाई राजीव सूरी ने उनके निधन की पुष्टि की है.
बॉलीवुड फिल्म निर्माता अनिल सूरी का कोरोना वायरस के कारण निधन हो गया. उनकी उम्र 77 वर्ष थी. वह ‘कर्मयोगी’, ‘बेगुनाह’ और ‘राज तिलक’ जैसी फिल्मों के लिए जाने जाते थे. अनिल सूरी के भाई राजीव सूरी ने उनके निधन की पुष्टि की है. राजीव सूरी ने बताया कि उन्हें दो जून को बुखार था, लेकिन अगले दिन सांस लेने में तकलीफ होने लगी. जिसके बाद उनकी स्थिति बिगड़ गई.
राजीव ने आरोप लगाया कि कई बड़े अस्पतालों ने उन्हें एडमिट करने से इंकार कर दिया. पीटीआई से बातचीत में राजीव सूरी ने बताया, ‘दो जून को अनिल सूरी को बुखार आया था. अगले ही दिन सांस लेने में तकलीफ होने लगी और स्थिति खराब हो गई. हम उन्हें लीलावती और हिंदुजा जैसे अस्पतालों में ले गए लेकिन उन्होंने भर्ती करने से इंकार कर दिया.’
उन्होंने यह भी कहा कि, बड़े अस्पतालों में भर्ती करने से मना करने के बाद उन्हें बुधवार को म्युनिसिपलिटी के अस्पताल में भर्ती किया गया. वह कोरोना से संक्रमित हो गए थे. इसके बाद अगले ही दिन गुरुवार को डॉक्टरों ने कहा कि उनकी स्थिति खराब है और उन्हें वेंटिलेटर पर डाल दिया गया. शाम करीब 7:00 बजे उनका निधन हो गया.’
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अनिल सूरी का अंतिम संस्कार शुक्रवार सुबह ओशिवारा श्मशान घाट पर किया गया, जिसमें परिवार के चार करीबी लोग ही शामिल हुए. सभी ने व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) पहने थे. अनिल सूरी अपने पीछे पत्नी और दो बच्चों को छोड़ गए हैं.
राजीव सूरी, जिन्होंने अमिताभ बच्चन और मौसमी चटर्जी की विशेषता वाली बासु चटर्जी की 1979 की फ़िल्म “मंज़िल” का निर्माण किया था, ने कहा कि उसी दिन अपने पसंदीदा निर्देशकों और भाई में से एक को खोना दिल तोड़ने वाला था.
बता दें कि मशहूर फिल्म निर्माता बासु चटर्जी का उम्र संबंधी बीमारियों के कारण गुरुवारको निधन हो गया था. वह ‘‘छोटी सी बात”, ‘चितचोर’ और ‘‘रजनीगंधा” जैसी फिल्मों के लिए जाने जाते थे. बासु चटर्जी ने अपने करियर की शुरुआत बॉम्बे (अब मुंबई) में प्रकाशित साप्ताहिक टैब्लॉइड ब्लिट्ज के साथ एक रोस्टर और कार्टूनिस्ट के रूप में की थी. यहां उन्होंने 18 साल तक काम किया. इसके बाद उन्होंने राज कपूर और वहीदा रहमान अभिनीत फिल्म ‘केसरी’ (1966) में बासु भट्टाचार्य की सहायता की, जिसने बाद में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता. इसके बाद उन्होंने फिल्म निर्माण के करियर को चुना. आखिरकार, उन्होंने 1969 में ‘सारा आकाश के साथ अपने निर्देशन की शुरुआत की, जिसने उन्हें सर्वश्रेष्ठ पटकथा का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार दिलाया.
posted by: Budhmani Minj