पब्लिक स्कूलों के बच्चों की किताब-कॉपी अभिभावकों की जेब कर रही है खाली, कमीशन के खेल ने निकाला लोगों का दिवाला
पिछले साल की तुलना में इस बार कॉपी-किताबें जहां 20 - 30 फीसदी तक महंगी हो गई हैं. वहीं इसके साथ किताब दुकानदारों की ‘धांधली’ से लोग परेशान हैं. वह अभिभावकों को कॉपी - किताब के साथ जिल्द, पेंसिल सेट, कलर भी उसी दुकान से खरीदने के लिए मजबूर कर देते हैं.
आटा, चावल, तेल, चीनी जैसी रोजमर्रा की चीजों की महंगाई से लोग पहले से ही परेशान हैं, अब रही-सही कसर बच्चों की कॉपी-किताबों की महंगाई पूरी कर रही है. स्कूलों में नये शैक्षणिक सत्र शुरू हो रहे हैं. इसके साथ ही कॉपी-किताबों की दुकानों पर भीड़ बढ़ गयी है. अभिभावक भी बढ़ी कीमत से हैरान हैं. कॉपी-किताबों की ऊंची कीमत उनकी जेब पर भारी पड़ रही है. शहर के अधिकतर स्कूलों ने इस वर्ष पहले ही अपनी ट्यूशन फीस में 10 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी कर दी है. उस पर कॉपी-किताबों की बढ़ी कीमतों ने परेशान कर दिया है.
पिछले साल की तुलना में इस बार कॉपी-किताबें जहां 20 – 30 फीसदी तक महंगी हो गई हैं. वहीं इसके साथ किताब दुकानदारों की ‘धांधली’ से लोग परेशान हैं. वह अभिभावकों को कॉपी – किताब के साथ जिल्द, पेंसिल सेट, कलर भी उसी दुकान से खरीदने के लिए मजबूर कर देते हैं. इनमें एक भी चीज लेने से मना करने पर दुकानदार बुकसेट देने से इंकार कर रहे हैं.
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कमीशन के लिए एनसीइआरटी की जगह प्राइवेट प्रकाशकों की किताब
सभी जानते हैं कि एनसीइआरटी की सभी कक्षाओं की किताबें सस्ती होती हैं, लेकिन सीबीएसइ बोर्ड से संबद्ध स्कूलों में निजी प्रकाशकों की किताब अभिभावकों को खरीदने के लिए बाध्य किया जा रहा है. अब किताब-कॉपियों की कीमत में बढ़ोतरी का असर लोगों की जेब पर दिखने लगा है. स्कूल संचालक अपना अलग-अलग पब्लिकेशन लागू करके कमीशन वसूल रहे हैं. स्कूलों द्वारा यह कमीशन लाखों में लिए जाते हैं, लेकिन इसका अंतिम बोझ अभिभावकों को ही उठाना होता है. स्कूल प्रशासन प्रकाशकों से 20 से 45 प्रतिशत तक कमीशन ने ले रहे हैं.
प्रकाशक के साथ दुकान भी फिक्स
स्कूलों का प्रकाशकों के साथ गहरा रिश्ता होता है. स्कूल द्वारा एक ही प्रकाशक की किताबें चलायी जाती है. इसी तरह स्कूल द्वारा किताब दुकान भी फिक्स कर दी गयी है. उस स्कूल की किताब कहीं और नहीं मिलेंगी. ऐसी किताब दुकानों के संचालक एक से एकाधिकार समझते हैं. अभिभावकों को भी दूसरे दुकानों में किताब नहीं मिलती है. इसका भरपूर लाभ कमा रहे हैं.
अखरने लगे किताबों के बढ़े दाम
तीसरी कक्षा के एनसीइआरटी पब्लिकेशन की किताबों का पूरा सेट मात्र 260 रुपये में आ जाता है, लेकिन सीबीएसइ संबद्ध स्कूलों में इसकी कीमत 2050 से लेकर 6450 रुपये वसूली जा रही है. पिछले वर्ष तीसरी कक्षा की किताब 1600 रुपये लेकर 5200 रुपये तक में आ जाती था. सीबीएसइ संबद्ध स्कूलों से अधिक महंगी सीआइसीएसइ बोर्ड की किताबों की कीमत है. तीसरी कक्षा की सीबीएसइ की किताब 1600 से लेकर 2050 रुपये में मिल रहे हैं. वहीं सीआइसीएसइ बोर्ड से संबद्ध स्कूलों में तीसरी कक्षा की किताब-कॉपी 4500 से लेकर 6450 रुपये में मिल रहे हैं.
10वीं से अधिक महंगी तीसरी की किताब
सीआइसीएसइ बोर्ड से संबद्ध स्कूलों की 10वीं कक्षा की किताब उसी स्कूल की तीसरी और चौथी कक्षा की किताब- कॉपी की कीमत से कम हैं. 10वीं का किताब चार से पांच हजार के बीच मिल रहे हैं. वहीं तीसरी कक्षा के किताबों की कीमत 4500 से लेकर 6450 रुपये हैं.
कॉपियों के दाम बढ़ाए, पेज घटाए
स्टेशनरी व्यवसायी पंकज गुप्ता ने बताया कि कॉपियों की कीमत में दो तरीके से इजाफा हुआ है. ब्रांडेड कंपनियों ने कॉपियों के कीमत बढ़ाने की जगह पेज कम कर दिए, 128 पेज की कॉपी अब 120 पेज की हो गयी है. कुछ कंपनियों ने आकार (लंबाई-चौड़ाई) कम कर दी है. वहीं लोकल ब्रांड की कॉपियों के दाम बढ़ाने के साथ कुछ पेजों की संख्या भी कम कर दी गयी है. उन्होंने बताया कुछ कंपनियों ने पेज कम करने के साथ कीमत भी 15-20 रुपए बढ़ा दिये हैं. 64 पेज की कापी जो 10 रुपए में आती थी, वह अब 48 पेज की कर दी गई है और उसकी कीमत 15 रुपये कर दी गयी है.