फ़िल्म: ब्रह्मास्त्र-पार्ट वन शिवा
निर्माता: करण जौहर
निर्देशक-अयान मुखर्जी
कलाकार: रणबीर कपूर,आलिया भट्ट,अमिताभ बच्चन,मौनी रॉय,नागार्जुन ,शाहरुख खान,डिंपल कपाड़िया और अन्य
रेटिंग: तीन
हिंदी सिनेमा की अब तक की सबसे महंगी फ़िल्म करार दी जा चुकी ब्रह्मास्त्र (Brahmastra) ने आखिरकार आज सिनेमाघरों में दस्तक दे दी है. निर्देशक अयान मुखर्जी को ब्रह्मास्त्र की कहानी को अपनी सोच से निकालकर परदे तक लाने में 11 सालों का लंबा समय लगा है.फंतासी और एडवेंचर जॉनर वाली कहानियां बॉलीवुड फिल्मकारों को बहुत कम ही अपील कर पायी हैं, हालांकि हॉलीवुड के इस जॉनर पर बनी फिल्मों का भारत कितना बड़ा बाजार है.यह बात किसी से छिपी नहीं है.ऐसे में अयान मुखर्जी निश्चित तौर पर सबसे पहले बधाई के पात्र हैं कि उन्होंने हिंदी सिनेमा के लिए कुछ अलहदा और खास करने की कोशिश की है. अयान की यह फ़िल्म कहानी के लिहाज से थोड़ी कमज़ोर रह गयी है,लेकिन यह दर्शकों को एक कमाल का सिनेमैटिक अनुभव देती है. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है.
अयान मुखर्जी ने प्रभात खबर के साथ अपने खास इंटरव्यू में इस बात स्वीकार किया था कि मार्वल सीरीज की फिल्में उनकी प्रेरणा रही हैं, तो मार्वल सीरीज की फिल्मों की तरह यहां भी दुनिया को बचाने वाला मामला है,. कुछ बुरी शक्तियां हैं जो ब्रह्मास्त्र के टुकड़ों को हासिल करना चाहती है ताकि वह अपने ब्रहदेव को जगा सकें. ब्रह्मदेव जिनका लुक बहुत हद तक एक्वामैन जैसा है. खैर लुक पर नहीं कहानी पर आते हैं. एक के बाद एक ब्रह्मास्त्र के रक्षकों को मारकर उनसे ब्रह्मास्त्र के टुकड़ों को हासिल करने का सिलसिला शुरू हो जाता है.शिवा(रणबीर कपूर) इन सब घटनाओं को अपने सपनों में देखता है,मगर वह इसे हकीकत मानने से इनकार करता है. शिवा अपनी शक्तियों से भी अंजान है.वह अपनी शक्तियों को कैसे जान पाएगा? क्या वह बुरी शक्तियों से दुनिया को तबाह होने से रोक पाएगा. इसके लिए आपको फ़िल्म देखनी होगी .
दर्शक के तौर पर इस फ़िल्म की स्क्रिप्ट की खूबियों और खामियों की बात करें तो अयान की यह फ़िल्म मॉडर्न दौर में स्थापित होने के बावजूद काल्पनिक ही सही पौराणिक दुनिया को भी कहानी से जोड़ती है. जो इस फ़िल्म को अलग बनाती है. फ़िल्म की कहानी में ज़्यादा उतार-चढ़ाव नहीं है,लेकिन यह आपको बांधे रखता है.फ़िल्म का आखिरी आधा घंटा कहानी थोड़ी खींच गयी है और क्लाइमेक्स भी उस कदर असर नहीं छोड़ पाया है.जैसा फ़िल्म के फर्स्ट हाफ ने उम्मीद जगायी थी. फ़िल्म के रनटाइम को 20 से 25 मिनट तक कम किया जा सकता था. फ़िल्म की कहानी में ब्रह्मास्त्र की शक्ति से बड़ी प्यार की शक्ति को बताया गया है.ईशा और शिवा के प्यार की शक्ति को है,लेकिन यह रोमांस अपील नहीं करता है, उनका पहली नज़र में प्यार हो जाना अखरता है. उनका प्यार थोपा हुआ सा महसूस होता है.
अभिनय की बात करें तो पूरी फिल्म रणबीर कपूर और आलिया भट्ट के इर्द गिर्द बुनी गयी है .उन्होंने अपने किरदारों को बखूबी जिया है.परदे पर दोनों बहुत आकर्षक नज़र आए हैं, .मौनी रॉय फ़िल्म में लीड नकारात्मक भूमिका में है.इतनी बड़ी जिम्मेदारी को उन्होंने बखूबी निभाया है. अमिताभ बच्चन अपने दृश्यों में लाजवाब रहे हैं हालांकि फिल्म में उन्हें कम स्पेस मिली है.साउथ सुपरस्टार नागार्जुन की भूमिका भी चंद मिनटों की है.डिंपल कपाड़िया तीन दृश्यों में हैं,तो दीपिका पादुकोण की झलक भर नज़र आयी है.शाहरुख खान अपने 15 मिनट के गेस्ट अपीयरेंस में ज़रूर दिल जीत ले जाते हैं.
सितारों से सजी इस फ़िल्म का सबसे अहम स्टार वीएफएक्स है. इस फ़िल्म की वीएफएक्स टीम बधाई की पात्र है. हॉलीवुड की सुपरहीरोज वाली फिल्मों के वीएफएक्स को भले ही पार नहीं कर पाएं हैं,लेकिन इस फ़िल्म को उसके नजदीक तक ज़रूर लेकर गए हैं. फ़िल्म के स्पेशल इफेक्ट्स लाजवाब हैं. फ़िल्म में ऐसे दृश्यों की भरमार है.जो आपको तालियां बजाने को मजबूर कर देंगे. फ़िल्म का चेसिंग दृश्य लाजवाब बन गया है. फ़िल्म का कैमरावर्क फ़िल्म को खास बनाता है. तकनीकी रूप से यह बहुत ही समृद्ध फ़िल्म है .स्क्रीन ब्लैकआउट वाला एक्सपीरिएंस काफी अलग है.
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फ़िल्म के गीत संगीत की बात करें तो संगीतकार प्रीतम और गीतकार अमिताभ भट्टाचार्य का गीत -संगीत पहले ही लोकप्रिय हो चुका है.फ़िल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक भी असरदार है. डायलॉग ज़रूर कमज़ोर रह गए हैं. उनपर काम करने की ज़रूरत थी.
कुलमिलाकर अस्त्रावर्स की दुनिया का पहला भाग ब्रह्मास्त्र ना सिर्फ प्रभावित करता है बल्कि दूसरे भाग को देखने की उत्सुकता को भी बढ़ाता है. यह फ़िल्म तीन पार्ट में कही जाएगी.दूसरे पार्ट में देव की कहानी होगी. ब्रह्मास्त्र के खत्म होने पर मेकर्स ने इस बात की घोषणा कर दी है.