विश्वविद्यालयों में कार्यवाहक कुलपति नियुक्त करने के पक्ष में नहीं राज्य सरकार : मंत्री ब्रात्य बसु
कुलपतियों की नियुक्तियों से जुड़ी फाइलें यूं ही पड़ी रहती हैं. गेंद को एक-दूसरे के पाले में डालने का खेल जारी है. राजभवन की कार्रवाई से विश्वविद्यालयों में अव्यवस्था की स्थिति पैदा हो गयी है.
पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने कहा कि राज्य सरकार विश्वविद्यालयों में कार्यवाहक कुलपति नियुक्ति करने के पक्ष में नहीं है. क्योंकि राजभवन के इस तरह के निर्णय से विश्वविद्यालयों में अव्यवस्था की स्थिति पैदा हो गयी है. राज्यपाल सीवी आनंद बोस द्वारा प्रोफेसर बुद्धदेव साउ को यादवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) का कार्यवाहक कुलपति नियुक्त किए जाने के तीन दिन बाद शिक्षा मंत्री की यह टिप्पणी आयी है. राज्यपाल पर निशाना साधते हुए शिक्षा मंत्री ने विधानसभा में कहा कि राज्य द्वारा संचालित या राज्य से सहायता प्राप्त विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति से संबंधित फाइलें राज्यपाल के कार्यालय में ऐसे ही पड़ी हैं.
विश्वविद्यालयों में स्थायी कुलपति की नियुक्ति चाहते हैं
उन्होंने कहा, ‘‘उच्च शिक्षा विभाग द्वारा गठित सर्च कमेटी की अनुशंसाओं पर विचार नहीं किया जा रहा है. कुलपतियों की नियुक्तियों से जुड़ी फाइलें यूं ही पड़ी रहती हैं. गेंद को एक-दूसरे के पाले में डालने का खेल जारी है. राजभवन की कार्रवाई से विश्वविद्यालयों में अव्यवस्था की स्थिति पैदा हो गयी है.’’ यादवपुर विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति के रूप में श्री साउ की नियुक्ति के बारे में पूछे जाने पर शिक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘हम अंतरिम कुलपति नियुक्त करने के पक्ष में नहीं हैं. हम विभिन्न विश्वविद्यालयों में स्थायी कुलपति की नियुक्ति चाहते हैं.’’ यादवपुर विश्वविद्यालय को कथित तौर पर रैगिंग और यौन उत्पीड़न के बाद स्नातक प्रथम वर्ष के एक छात्र की मौत को लेकर आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.
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मातृभाषा पढ़ने में रुचि नहीं ले रहे विद्यार्थी : शिक्षा मंत्री
सिलीगुड़ी से भाजपा विधायक शंकर घोष ने सदन के प्रश्नकाल में एक सवाल रखते हुए कहा कि राज्य के कुछ स्कूलों में बच्चे मातृभाषा में रुचि नहीं ले रहे हैं. शुद्ध पढ़ भी नहीं पाते हैं. इस पर शिक्षा विभाग को ध्यान देना चाहिए. जवाब में मंत्री ब्रात्य बसु ने कहा कि बहुत से सरकारी विद्यालयों में विद्यार्थी बांग्ला भाषा पढ़ने में रुचि नहीं ले रहे हैं. उनमें बांग्ला या किसी अन्य मातृभाषा के बजाय अंग्रेजी के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है. यह हमारे लिए भी चिंता का विषय हैं. मंत्री ने कहा कि सरकारी स्कूलों में मातृभाषा की पढ़ाई पर जोर दिया जा रहा है. बच्चों के लिए ओरिएंटेशन प्रोग्राम का आयोजन किया जा रहा है. शिक्षकों के प्रशिक्षण पर भी जोर दिया जा रहा है.
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शिक्षा आयोग के गठन के लिए विधानसभा में पेश होगा विधेयक
भाजपा विधायक के एक सवाल के जवाब में मंत्री ने बताया कि राज्य में वेस्ट बंगाल क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट रेगुलेटरी कमीशन के तर्ज पर शिक्षा आयोग का गठन किया जायेगा. इसके लिए कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है. अब विधानसभा में विधेयक पेश किये जाने को लेकर केबिनेट की मंजूरी ली जायेगी. 28 अगस्त को होने वाले कैबिनेट की बैठक में इस पर चर्चा होने की उम्मीद हैं. उन्होंने विपक्ष से इस विधेयक का समर्थन करने की अपील की. शिक्षा मंत्री ने बताया कि मध्यवर्गीय परिवार के बच्चे बड़े निजी स्कूलों में नहीं पढ़ पाते हैं. ऐसे स्कूलों में शिक्षा को पैसे से तोला जाता है. ऐसे में निजी अस्पतालों की तरह ही स्कूलों पर भी नकेल कसने की तैयारी की जा रही है. इसलिए विधानसभा में विधेयक पेश करने की तैयारी की जा रही है.
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चार तक चलेगा विधानसभा का विस्तारित मॉनसून सत्र
विधानसभा का विस्तारिक मॉनसून सत्र चार सिंतबर तक चलेगा. इस दौरान विधानसभा में श्रम, भूमि व भूमिक सुधार समेत कुल तीन विधेयक पेश किये जायेंगे. यह जानकारी संसदीय कार्यमंत्री शोभन देव चट्टोपाध्याय ने दी. उन्होंने बताया कि बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (बीए) की बैठक में यह निर्णय लिया गया है. उन्होंने बताया कि विधानसभा में 28 अगस्त को कैबिनेट की बैठक होगी. वहीं, बुधवार को श्रम विभाग का विधेयक विधानसभा में पेश होगा. बताया कि दो दिन पहले वैज्ञानिक विकास सिन्हा का निधन हुआ था. इस वजह से दोपहर लंच टाइम के बाद सदन की कार्रवाही रद्द कर दी गयी.
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