पश्चिम बंगाल भाजपा में टूट : टीएमसी के पूर्व नेता शंकुदेव पांडा ने छोड़ी पार्टी, बताई ये वजह
शंकुदेव पांडा ने यह कदम अभिनेता से नेता बने हिरणमय चट्टोपाध्याय के पार्टी छोड़ने के कुछ दिनों बाद उठाया है. हिरणमय चटोपाध्याय ने पिछले साल भाजपा के लिए खड़गपुर सदर विधानसभा सीट जीती थी.
कोलकाता : पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद से ही प्रदेश भाजपा में टूट का सिलसिला लगातार जारी है. विधानसभा चुनाव के बाद से ही भाजपा की बंगाल इकाई के कई नेता पार्टी छोड़ चुके हैं. ताजा घटनाक्रम में फरवरी 2019 में भाजपा का दामन थामने वाले तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के पूर्व नेता शंकुदेव पांडा ने पार्टी छोड़ दिया है. फिलहाल, उन्होंने पश्चिम बंगाल भाजपा के सभी व्हाट्सएप ग्रुपों को यह कहते हुए छोड़ दिया कि राज्य युवा मोर्चा को पुनर्गठित किया जा रहा है. शंकुदेव पांडा भाजपा के उपाध्यक्ष भी थे.
शंकुदेव पांडा ने बताई वजह
शंकुदेव पांडा ने मीडिया को बताया कि नेतृत्व ने फैसला किया है कि 35 से अधिक उम्र के लोग युवा मोर्चा (युवा मोर्चा) में शामिल नहीं होंगे. मैंने उस उम्र को पार कर लिया है. इसलिए, मैंने व्हाट्सएप ग्रुप छोड़ने का फैसला किया. शंकुदेव पांडा को मुकुल रॉय ने भाजपा में शामिल कराया था, जो कि पिछले साल जून में टीएमसी में वापस लौट चुके हैं.
हिरणमय चट्टोपाध्याय को पार्टी छोड़ने के बाद उठाया यह कदम
शंकुदेव पांडा ने यह कदम अभिनेता से नेता बने हिरणमय चट्टोपाध्याय के पार्टी छोड़ने के कुछ दिनों बाद उठाया है. हिरणमय चटोपाध्याय ने पिछले साल भाजपा के लिए खड़गपुर सदर विधानसभा सीट जीती थी. भगवा पार्टी के सभी व्हाट्सएप ग्रुपों को छोड़ते हुए उन्होंने कहा था कि नेतृत्व द्वारा उनकी अनदेखी की जा रही है. चट्टोपाध्याय ने भी भगवा खेमे में शामिल होने से पहले टीएमसी युवा मोर्चा के लिए काम किया था.
4 जनवरी को शांतनु ठाकुर ने छोड़ा था व्हाट्सएप ग्रुप
बताते चलें कि पिछले 4 जनवरी को केंद्रीय राज्य मंत्री और मटुआ समुदाय के नेता शांतनु ठाकुर ने भी बंगाल भाजपा के व्हाट्सएप के सभी ग्रुपों को यह कहते हुए छोड़ दिया था कि दिसंबर में राज्यव्यापी फेरबदल के दौरान गठित नई संगठनात्मक समितियों में मटुआ का ठीक से प्रतिनिधित्व नहीं किया गया था. इन घटनाओं को बंगाल भाजपा में असंतोष के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है.
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दिसंबर में पुराने नेताओं को बदला गया
इसके साथ ही, बता दें कि पिछले साल दिसंबर महीने में भाजपा के कई पुराने नेताओं को भी बदल दिया गया था, जबकि टीएमसी से आए कुछ नेताओं को बरकरार रखा गया था. भगवा पार्टी ने 11 नए उपाध्यक्षों, पांच महासचिवों, 42 संगठनात्मक जिला इकाई अध्यक्षों और 12 राज्य सचिवों के नामों की घोषणा की थी. पार्टी ने सात नए मोर्चा के अध्यक्ष भी बनाए थे.