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Breathe: Into The Shadows Season 2 Review: अति नाटकीय हो गया है अभिषेक बच्चन के शो का ये सीजन

Breathe: Into The Shadows Season 2 Review: साइकोलॉजिकल थ्रिलर ब्रीद सीजन की शुरूआत आर माधवन और अमित साध के साथ हुई थी, पहले सीजन ने खूब सराहना बटोरी थी, जिसके बाद अभिषेक बच्चन इस सीरीज से जुड़ गए और मेकर्स ने नए सिरे से ब्रीद इनटू द शैडोज की शुरुआत की.

वेब सीरीज- ब्रीद-इनटू द शैडोज 2

निर्देशक-मयंक शर्मा

कलाकार-अभिषेक बच्चन,नित्या मेनन,अमित साध,नविन कस्तूरिया,सैयामी खेर, इवाना और अन्य

प्लेटफार्म- अमेज़न प्राइम वीडियो

रेटिंग- दो

साइकोलॉजिकल थ्रिलर ब्रीद सीजन की शुरूआत आर माधवन और अमित साध के साथ हुई थी,पहले सीजन ने खूब सराहना बटोरी थी ,जिसके बाद अभिषेक बच्चन इस सीरीज से जुड़ गए और मेकर्स ने नए सिरे से ब्रीद इनटू द शैडोज की शुरुआत की. गौर करें तो पिछले सीजन में यह सीरीज वह प्रभाव पर्दे पर दोहरा नहीं पायी थी जो माधवन वाली कहानी ने किया था. टेक्निकली तौर पर ब्रीद का यह तीसरा भाग जिसे ब्रीद इनटू द शैडोज 2 कहा जा रहा है, कमज़ोर ही रह गया है. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि परदे पर जो भी घट रहा है ,वह अति नाटकीय हो गया है.

कहानी में ज़रूरत से ज़्यादा नाटकीयता

अविनाश (अभिषेक)उर्फ जे अभी भी मेन्टल अस्पताल में है. उसका इलाज चल रहा है. तीन साल बीत चुके हैं. सबकुछ लगता है कि ठीक हो रहा है लेकिन सबकुछ ठीक नहीं हुआ है. जे को अभी भी उन सभी लोगों को सजा देनी है जिसने अविनाश को दुख दिया है. वो किसी भी हालात में दोषियों को सजा देना चाहता है. इस बार जे का साथ एक और खतरनाक इंसान दे रहा है. मतलब साफ है कि अफसर कबीर सावंत (अमित साध) का इस बार एक नहीं बल्कि दो कातिलों से सामना है. क्या वह इनको रोक पाएगा यही आगे की कहानी है.

कहानी के अच्छे पहलुओं की बात करें तो बीते सीजन में भी मेटाफर के तौर पर रावण के तौर पर किरदार के आल्टर ईगो को दिखाया गया था. रावण के दस सिर उसकी दस बुराइयों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो दस इंसानों में है।4 को सजा मिल गयी है. 6 और बचे हैं. यह बात एंगेजिंग है कि जे कैसे ये सब करेगा, लेकिन दूसरी तरफ तीन एपिसोड्स के बाद कहानी में दोहराव नज़र आने लगता है. मर्डर का प्लान हो या उसको करने का तरीका सबकुछ जल्दीबाजी में किया लगता है. सीरीज में एक के बाद एक हो रहे मर्डर और उसके बाद जिस तरह से मर्डरर वहां से भागने मे कामयाब होते है. वह विश्वास से परे लगता है. सबकुछ ज़रूरत से ज़्यादा नाटकीय भी हो गया है.

नवीन कस्तूरिया चमके हैं अभिनय में

अभिनय की बात करें अभिषेक बच्चन अपने किरदार के साथ न्याय करने में सफल रहे है,इस बार उन्होंने अविनाश और जे के किरदार को बिना किसी मुखौटे के जिया है. अमित साध अपने चित-परिचित अंदाज़ में नज़र आए हैं. नवीन कस्तूरिया इन सब में बाज़ी मार ले जाते हैं. वे परदे पर ऐसा कुछ करते नज़र आ रहे हैं, जो अब तक उन्होंने नहीं किया है और उसे उन्होंने पूरी विश्वसनीय तरीके से जिया है. अभिनेत्रियों की बात करें तो चाहे नित्या मेनन हो या सैयामी खेर दोनों का किरदार कहानी में हाशिए पर था. दोनों को करने के लिए कुछ खास नहीं था.

देखें या ना देखें

पिछले सीजन से भी कमजोर यह सीजन रह गया है.

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