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Brihaspati Dev Ji Ki Aarti: गुरुवार के दिन जरूर पढ़ें ये आरती, कुंडली में देवगुरु बृहस्पति होंगे मजबूत

Brihaspati Dev Ji Ki Aarti: गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है. गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति की पूजा करने से सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही करियर और कारोबार को नया आयाम मिलता है.

By Radheshyam Kushwaha | September 14, 2023 7:12 AM

Brihaspati Dev Ji Ki Aarti: गुरुवार का दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होता है. इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा-उपासना की जाती है. इस दिन देवगुरु बृहस्पति की भी आराधना की जाती है. गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही करियर और कारोबार को नया आयाम मिलता है. अगर किसी जातक की कुंडली में गुरु कमजोर होता है, तो उन्हें देवगुरु बृहस्पति की पूजा और गुरुवार का व्रत करने कुंडली में देवगुरु मजबूत होते है. गुरुवार का व्रत करने से विवाहित महिलाओं को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वहीं, अविवहित जातकों (लड़कियों) की शीघ्र शादी के योग बनने लगते हैं. अगर आप भी देवगुरु बृहस्पति की कृपा पाना चाहते हैं, तो गुरुवार के दिन पूजा के समय देवगुरु बृहस्पति जी की आरती जरूर करें…

बृहस्पति देव की आरती

जय बृहस्पति देवा,

ऊँ जय बृहस्पति देवा ।

छिन छिन भोग लगा‌ऊँ,

कदली फल मेवा ॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा,

जय बृहस्पति देवा ॥

तुम पूरण परमात्मा,

तुम अन्तर्यामी ।

जगतपिता जगदीश्वर,

तुम सबके स्वामी ॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा,

जय बृहस्पति देवा ॥

चरणामृत निज निर्मल,

सब पातक हर्ता ।

सकल मनोरथ दायक,

कृपा करो भर्ता ॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा,

जय वृहस्पति देवा ॥

तन, मन, धन अर्पण कर,

जो जन शरण पड़े ।

प्रभु प्रकट तब होकर,

आकर द्घार खड़े ॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा,

जय वृहस्पति देवा ॥

दीनदयाल दयानिधि,

भक्तन हितकारी ।

पाप दोष सब हर्ता,

भव बंधन हारी ॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा,

जय वृहस्पति देवा ॥

सकल मनोरथ दायक,

सब संशय हारो ।

विषय विकार मिटा‌ओ,

संतन सुखकारी ॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा,

जय बृहस्पति देवा ॥

जो को‌ई आरती तेरी,

प्रेम सहित गावे ।

जेठानन्द आनन्दकर,

सो निश्चय पावे ॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा,

जय बृहस्पति देवा ॥

सब बोलो विष्णु भगवान की जय ।

बोलो बृहस्पति देव भगवान की जय ॥

भगवान विष्णु की आरती

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।

भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥

जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।

सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।

तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥

तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥

पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥

तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥

दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।

श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥

तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।

तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥

जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।

कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥

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