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बसपा ने बरेली में कभी फहराया था परचम, अब पर्चा भरने वालों के पड़े लाले, SP-BJP के उम्मीदवारों पर नजर

बसपा हर बार चुनाव तीन से चार साल पहले ही विधानसभा क्षेत्रों में प्रत्याशियों की घोषणा कर देती थी, लेकिन इस बार पार्टी अभी तक बरेली की नौ विधानसभा सीट में से एक पर भी प्रत्याशी नहीं उतार पाई है.

UP Chunav 2022: यूपी विधानसभा चुनाव में हर बार बसपा (BSP) तीन से चार साल पहले ही विधानसभा क्षेत्रों में प्रत्याशियों की घोषणा कर देती थी. यह घोषित प्रत्याशी वर्षों पूर्व से ही अपने और पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने लगते थे, लेकिन इस बार पार्टी बरेली की नौ विधानसभा सीट में से एक पर भी प्रत्याशी नहीं उतार पाई है. पार्टी की निगाह सपा और भाजपा के दावेदारों पर लगी है. इनको सपा-भाजपा से टिकट ना मिलने पर बसपा चुनाव लड़ाने की तैयारी में है.

बसपा ने कभी फहराया था परचम

यूपी के 2007 विधानसभा चुनाव में बसपा ने बरेली की नौ में चार सीट पर जीत का परचम फहराया था. इसके बाद सरकार भी बनी थी. 2012 के चुनाव में सिर्फ बिथरी चैनपुर और मीरगंज की दो सीट ही जीत पाई, लेकिन 2017 के चुनाव में बसपा बरेली में एक भी सीट नहीं जीत पाई थी. ऐसे में अब बसपा के इस नए फैसले से बरेली में पार्टी के कमजोर होने की चर्चा शुरू होने लगी है.

बिथरी में युवा पर लगाएगी दांव

बसपा बिथरी चैनपुर सीट को 2012 में जीत चुकी है. इससे पहले बिथरी सन्हा के नाम से जानी जाती थी, तब भी 2002 में बसपा प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी. मगर, इस बार पूर्व विधायक के युवा पुत्र को चुनाव लड़ाने की तैयारी है. इसकी घोषणा काफी समय से लटकी है. युवा नेता की बसपा सुप्रीमो मायावती से भी मुलाकात हो चुकी है.

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बसपा के दिग्गजों अब सपा में शामिल 

बसपा बरेली मंडल में काफी मजबूत थी, लेकिन बसपा के दिग्गज चुनाव से पहले ही सपाई हो चुके हैं. 2017 के चुनाव में बसपा से चुनाव लड़ने वाले सभी प्रमुख नेता सपा में आ गए हैं. मीरगंज से पूर्व विधायक सुल्तान बेग, भोजीपुरा से सुलेमान बेग, बहेड़ी से नसीम अहमद, आंवला से इंजीनियर अगम मौर्य, शहर सीट से इंजीनियर अनीस अहमद खां, फरीदपुर से पूर्व विधायक विजयपाल सिंह बसपा से काफी पहले सपा में आ गए थे.

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बिथरी से चुनाव लड़ने वाले पूर्व विधायक वीरेंद्र सिंह की मृत्यु हो चुकी है, जबकि कैंट से चुनाव लड़ने वाले राजेन्द्र गुप्ता भाजपाई हो चुके हैं. नवाबगंज से हाथी के सिंबल पर चुनाव लड़ने वाली शहला ताहिर भी जल्द सपाई हो जाएंगी. क्योंकि, उनके करीबी माने जाने वाले शिवपाल यादव और अखिलेश के बीच लगभग सभी मुद्दों पर समझौता हो चुका है.

ब्राह्मण-ओबीसी और दलित को टिकट में तरजीह

बसपा इस बार टिकट वितरण में ब्राह्मणों को तरजीह देगी.उसका फोकस ओबीसी और दलितों पर भी रहेगा.2007 में सोशल इंजीनियरिंग के सहारे सत्ता का स्वाद चख चुकीं मायावती ने हाल ही में संपन्न हुए पंचायत चुनाव में भी सामान्य सीट वाली हर विधानसभा में एक-एक ब्राह्मण जिला पंचायत सदस्य को टिकट दिया था.

रिपोर्ट: मुहम्मद साजिद

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