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Buddha Purnima 2022: 16 मई को मनाई जाएगी बुद्ध पूर्णिमा, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Buddha Purnima 2022: वैशाख मास की पूर्णिमा 16 मई दिन सोमवार को है पूर्णिमा की तिथि का प्रारंभ 15 मई को रात्रि 12:45 से 16 मई की रात्रि 9:45 तक रहेगा. बुद्ध पूर्णिमा का व्रत 16 मई दिन सोमवार को रखा जाएगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 13, 2022 2:49 PM

Buddha Purnima 2022: इस वर्ष बुद्ध पूर्णिमा 16 मई सोमवार के दिन पड़ रही है. आधुनिक वास्तु एस्ट्रो विशेषज्ञ दीप्ति जैन के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा वैशाख की पूर्णिमा के दिन भगवान बुद्ध के जन्म दिवस व निर्वाण दिवस के रूप में पूरे विश्व में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाते हैं.

वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि (Vaishakh Purnima 2022 Shubh Muhurt)

वैशाख मास की पूर्णिमा 16 मई दिन सोमवार को है पूर्णिमा की तिथि का प्रारंभ 15 मई को रात्रि 12:45 से 16 मई की रात्रि 9:45 तक रहेगा. बुद्ध पूर्णिमा का व्रत 16 मई दिन सोमवार को रखा जाएगा.

बुद्ध पूर्णिमा पर व्रत के फायदे

बुद्ध पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और चंद्र देव की उपासना करने से आर्थिक तंगी दूर हो सकती है. आत्मबल में वृद्धि होती है और धन लाभ के योग बनते हैं. मान सम्मान में भी वृद्धि होती है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन दान करना अत्यंत शुभ होता है और इस दिन किए गए दान का फल कई गुना मिलता है. वैशाख पूर्णिमा का व्रत रखने से बुरे या पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है.

पीपल वृक्ष है महत्वपूर्ण

पीपल का वृक्ष 24 घंटे शुद्ध ऑक्सीजन का स्रोत होता है. साथ ही व्यक्ति में मानसिक स्थिरता लाने का काम भी करता है. हमें हमारे शनि ग्रह के दुष्प्रभाव से हमें बचाता है. लगभग 40 दिनों की साधना के पश्चात उन्हें निर्वाण , स्थायीता की स्थिति प्राप्त हुई.

बुद्ध पूर्णिमा के दिन करें ये उपाय

बुद्ध पूर्णिमा के दिन खीर का वितरण करना शुभ मानते हैं. चावल एवं मेवे से बनी खीर वितरित करने से मन को शांति व बल प्राप्त होता है. हमारे जीवन में संतुलन व समरसता का भाव विकसित होता है.

बुद्ध पूर्णिमा की पूजन विधि

पूर्णिमा तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्त्व माना गया है. बुद्ध पूर्णिमा के दिन प्रात: काल में स्नान के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य दें और बहते जल में तिल प्रवाहित करें.

प्रत्येक माह की पूर्णिमा जगत के पालनकर्ता श्री हरि विष्णु भगवान को समर्पित होती है. ऐसे में इस दिन पीपल के वृक्ष को भी जल अर्पित करना चाहिए. इसके अलावा अंत में दान-दक्षिणा दें.

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