Buddha Purnima 2022: बुद्ध पूर्णिमा की तारीख हर साल अलग-अलग होती है इस कारण यह है कि बुद्ध पूर्णिमा की तिथि एशियाई चंद्र-सौर कैलेंडर पर आधारित है. हालांकि यह आमतौर पर हिंदी महीने में वैशाख पूर्णिमा (Vaishakh Purnima) के दिन पड़ता है, पश्चिमी ग्रेगोरियन कैलेंडर में तारीख अलग-अलग होती है. इस वर्ष भगवान बुद्ध की 2584वीं जयंती है और जानें इस साल बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima 2022) कब है?
बुद्ध पूर्णिमा 16 मई को मनाई जाएगी. पूर्णिमा तिथि 15 मई को दोपहर 12:45 बजे से 16 मई को सुबह 9:43 बजे तक प्रभावी रहेगी.
राजकुमार सिद्धार्थ के रूप में एक शाही परिवार में पैदा होने के बावजूद, उन्होंने विलासी जीवन को त्याग दिया और 30 साल की उम्र में घर छोड़ दिया, तपस्या कर जीवन व्यतीत किया, उस सत्य की तलाश में जो पीड़ा (दुख) से मुक्त करता है. ज्ञान प्राप्ति के बाद ये गौतम बुद्ध कहलाए. इन्होंने ही बौद्ध धर्म की स्थापना की. हिंदू मान्यताओं के अनुसार बुद्ध को नौवां विष्णु अवतार (पुनर्जन्म) माना जाता है.
दुनिया भर के बौद्ध और हिंदू गौतम बुद्ध के जन्म को बुद्ध जयंती के रूप में मनाते हैं. बुद्ध का जन्म एक राजकुमार सिद्धार्थ गौतम के रूप में, 563 ईसा पूर्व में पूर्णिमा के दिन हुआ था. इनकी जन्म स्थली लुंबिनी (आधुनिक नेपाल में एक क्षेत्र) है. इसलिए, उनकी जयंती के दिन को बुद्ध पूर्णिमा या वैसाखी बुद्ध पूर्णिमा या वेसाक के रूप में भी जाना जाता है.
बुद्ध पूर्णिमा का बहुत बड़ा महत्व है. दुनिया भर के बौद्ध समुदाय (Buddhism), मठ प्रार्थना करते हैं, मंत्रोच्चार करते हैं, ध्यान करते हैं, उपवास करते हैं, उनके उपदेशों पर चर्चा करते हैं और उनकी शिक्षाओं को संजोते हैं. बुद्ध जयंती पर पवित्र गंगा में डुबकी लगाने की परंपरा भी है.
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गौतम बुद्ध एक अभूतपूर्व व्यक्ति थे – एक दार्शनिक, आध्यात्मिक मार्गदर्शक, धार्मिक नेता, ध्यानी, जिन्होंने बोधगया में बोधि (बरगद) के पेड़ के नीचे 49 दिनों तक निरंतर ध्यान के बाद ज्ञान प्राप्त किया; और ‘पीड़ा’ को समाप्त करने के रहस्य को उजागर किया. उन्होंने कहा, समाधान चार आर्य सत्यों में निहित है. गौतम ने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया था. उन्होंने 45 वर्षों तक ‘धर्म’, अहिंसा, सद्भाव, दया, ‘निर्वाण’ के मार्ग का उपदेश दिया. बौद्ध धर्म भगवान बुद्ध ( Lord Buddha) की शिक्षाओं पर आधारित है, जो ‘सुत्त’ नामक संकलन है.