Buddha Purnima/Super Moon: हो जाइए तैयार सबसे चमकीला और बड़ा चांद देखने के लिए, साल का आखिरी सुपरमून
Vaishakh Purnima, Buddha Jayanti, Super Flower Moon 2020: वैशाख मास की पूर्णिमा कल मनाई जायेगी. इसे बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) के नाम से भी जाना जाता हैं. इसी दिन भगवान गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था. इस बार पूर्णिमा पर चांद का आकार अधिक बड़ा और चमकीला दिखाई देगा. क्योंकि 07 मई को साल का आखिरी सुपरमून दिखाई देने वाला है. इस दिन चांद धरती के सबसे करब होते है.
Vaishakh Purnima, Buddha Jayanti, Super Flower Moon 2020: वैशाख मास की पूर्णिमा कल मनाई जायेगी. इसे बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) के नाम से भी जाना जाता हैं. इसी दिन भगवान गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था. इस बार पूर्णिमा पर चांद का आकार अधिक बड़ा और चमकीला दिखाई देगा. क्योंकि 07 मई को साल का आखिरी सुपरमून दिखाई देने वाला है. इस दिन चांद धरती के सबसे करब होते है. इस दूरी को विज्ञान की भाषा में एपोजी कहा जाता है. वहीं, जब चंद्रमा और पृथ्वी सूरज का चक्कर लगाते हुए एक-दूसरे से सबसे करीब आ जाते हैं, तब इनके बीच की दूरी 3,56,500 किमी होती है.
इसे पेरिजी कहते हैं. जिस दिन और जिस समय चांद और धरती एक-दूसरे के सबसे करीब होते हैं, यानी पेरिजी में होते हैं, उसी दिन सुपरमून दिखाई देता है. सुपरमून को सुपर फ्लावर मून भी कहा जाता है. चांद पृथ्वी के सबसे करीब होने के कारण वह ज्यादा चमकीला और ज्यादा बड़ा दिखाई देता है. 7 मई के बाद आप सुपर पिंक मून को 27 अप्रैल 2021 में देख पायेंगे. नासा के अनुसार, सुपर फ्लावर मून भारतीय समयानुसार गुरुवार 7 मई की शाम 4.15 बजे अपने पूर्ण प्रभाव में दिखाई देगा.
वैशाख की पूर्णिमा को अत्यंत ही पवित्र माना जाता है. इस दिन को बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस दिन नदी में स्नान करने का विशेष महत्व रहता है. लेकिन कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन किया गया है, इस कारण इस बार नदी में नहीं, बल्कि अपने घरों में ही स्नान कर पूजा-अर्चना की जाएगी. क्योंकि इस दिन तीर्थ स्थल पर जाकर स्नान कर पाना संभव नहीं है.
वैशाख पूर्णिमा का दिन जैन धर्म के अनुयायियों के लिए भी खास होता है. क्योंकि इस दिन भगवान गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था. उन्होंने अपने प्रवचनों के माध्यम से जीवन जीने के तरीके बताए है. भगवान बुद्ध ने ही बौद्ध धर्म की स्थापना की थी. उनकी दी हुई शिक्षाएं आज भी लोगों के जीवन का मूल मंत्र है. गौतम बुद्ध को 35 वर्ष की आयु में ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. संसार का मोह त्याग कर तपस्वी बन गए थे और परम ज्ञान की खोज में चले गए थे.