Durga Puja 2023: खूंटी में दिखेगा बौद्ध मंदिर का नजारा, पहली बार यहां 159 रुपये में हुई थी पूजा, इस बार 12 लाख

Navratri 2023 : शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो गई है. दुर्गोत्सव को लेकर पूरे जिले में युद्धस्तर पर तैयारियां चल रही है. शहर में कई आकर्षक पूजा पंडाल का निर्माण किया जा रहा है. शहर के सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति भगत सिंह चौक में तैयारियां जोरों से चल रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | October 17, 2023 12:41 PM

खूंटी, चंदन कुमार : रविवार को कलश स्थापना के साथ ही शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो गई है. दुर्गोत्सव को लेकर पूरे जिले में युद्धस्तर पर तैयारियां चल रही है. शहर में कई आकर्षक पूजा पंडाल का निर्माण किया जा रहा है. शहर के सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति भगत सिंह चौक में तैयारियां जोरों से चल रही है. यहां इस वर्ष लगभग 20 लाख रुपये की लागत से पूजा का आयोजन किया जा राहा है. यहां इस वर्ष थाईलैंड का बौद्ध मंदिर का दृश्य नजर आयेगा. पूरा काम स्टील और एल्युमिनियम के बर्तन और अन्य सामानों से किया गया है जिससे यह रात की रोशनी में चांदी की तरह दिखेगा. वहीं कोलकाता से मां दुर्गा की प्रतिमा बनकर आई है. समिति के अध्यक्ष रूपेश जायसवाल के अनुसार पूजा पंडाल के निर्माण में लगभग 12 लाख रुपये का खर्च हुआ है. जिसका निर्माण दीघा कटई के कारीगरों द्वारा किया गया है. वहीं पंडाल में 12 फीट की प्रतिमा स्थापित की गई. प्रतिमा में भी स्टील का काम किया गया है. प्रतिमा की लागत लगभग ढाई लाख रुपये है. इसके अलावा चंदननगर और स्थानीय चौरसिया लाइट से विद्युत सज्जा की जायेगी. 20 अक्टूबर को षष्ठी तिथि में पूजा पंडाल का पट खोल दिया जायेगा.

अन्य लोग भी पूजा को सफल बनाने दे रहे हैं योगदान

पूजा को सफल बनाने में समिति के अध्यक्ष रूपेश जायसवाल, राजीव राम गंजू, सुयश जायसवाल, संजय गुप्ता, शैलेंद्र मांझी, मुकेश जायसवाल, रितेश जायसवाल, अरिंदम दास, विश्वजीत देवघरिया, भोला गुप्ता, आकाश गोप, सुमित मिश्रा, रोहित जैन, अजय कुमार सिंह, गौतम कुमार धान, विपिन भगत, अरविंद मिश्रा, अमित जैन सहित अन्य योगदान दे रहे हैं.

1959 से हो रही है पूजा

सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति भगत सिंह चौक में वर्ष 1959 से ही पूजा की जा रही है. तब संस्थापक सदस्य स्वर्गीय डॉ मनमथ नाथ शर्मा, अखिल नाथ देवघरिया, रामकिशोर भगत, हरोनाथ धान सहित अन्य ने पूजा की शुरुआत किया गया था. तब महज 159 रुपये में पूजा का आयोजन किया गया था. तब से लेकर अब तक यहां भव्य पूजा का आयोजन किया जाता रहा है.

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