यूनियन बजट की ABCD, इनका मतलब नहीं जाना तो सबकुछ ‘बाउंसर’ जैसा सिर के ऊपर से निकल जाएगा
Budget 2021: एक फरवरी को देश का बजट पेश होने वाला है. प्री-बजट मीटिंग में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कई बार कह चुकी हैं कि इस बार का बजट सबसे अलग होगा. ऐसा बजट पहले कभी नहीं देखा गया है. इस बार बजट प्रकाशित नहीं होगा. ऑनलाइन होगा.
Budget 2021: एक फरवरी को देश का बजट पेश होने वाला है. प्री-बजट मीटिंग में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) कई बार कह चुकी हैं कि इस बार का बजट सबसे अलग होगा. ऐसा बजट पहले कभी नहीं देखा गया है. इस बार बजट प्रकाशित नहीं, ऑनलाइन होगा. दरअसल, एक वित्त वर्ष में सरकार कितनी कमाई करेगी? उसका कहां और कितना खर्च होगा? इसकी पूरी जानकारी देने वाला दस्तावेज बजट कहा जाता है. इसे आम या यूनियन बजट भी कहते हैं.
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आम बजट के तीन प्रकार
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बैलेंस बजट: सरकार की कमाई और खर्च बराबर
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सरप्लस बजट: सरकार की कमाई खर्च से ज्यादा
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डेफिसिट बजट: सरकार की कमाई खर्च से कम
बड़े काम का शब्द महंगाई दर
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महंगाई दर: इसके बढ़ने का मतलब करंसी की वैल्यू गिरने से है. इससे खरीदने की क्षमता घट जाती है. खरीदने की क्षमता घटने का मतलब मांग में कमी आने से है.
सरकार की कमाई का रास्ता
बजट में विनिवेश का भी होता है. सरकार कम कमाई होने की सूरत में अपनी संपत्ति बेचकर भरपाई करती है. इसे ही विनिवेश मतलब डिस-इन्वेस्टमेंट कहा जाता है.
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विनिवेश: सरकारी संपत्ति बेचकर घाटी की भरपाई करना.
जीडीपी का मतलब भी जानिए
बजट में जीडीपी का भी खूब जिक्र किया जाता है. किसी भी देश की अर्थव्यवस्था और बजट के लिए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) मायने रखता है. भारतीय जीडीपी में सबसे ज्यादा योगदान सर्विस सेक्टर का है.
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जीडीपी: एक वित्तीय वर्ष में उपभोक्ता, व्यापार, सरकार के खर्च को जोड़ने पर जीडीपी निकलता है. कितने मूल्य की गुड्स और सर्विस को पैदा करना भी जीडीपी कहा जाता है.
डायरेक्ट और इन-डायरेक्ट टैक्स
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प्रत्यक्ष कर: किसी व्यक्ति और संस्थान की आय पर लगने वाला टैक्स प्रत्यक्ष कर (डायरेक्ट टैक्स) कहलाता है. इसमें इनकम, कारपोरेट और इनहेरिटेंस टैक्स शामिल हैं.
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अप्रत्यक्ष कर: गुड्स और सर्विस पर लगने वाले टैक्स अप्रत्यक्ष कर (इन-डायरेक्ट टैक्स) होते हैं. इसमें कस्टम ड्यूटी (सीमा शुल्क), एक्साइज ड्यूटी (उत्पाद शुल्क), जीएसटी शामिल हैं.
मौद्रिक नीति को जानते हैं क्या?
देश के आम बजट को समझने के लिए आपको मौद्रिक नीति को भी समझना होगा. मौद्रिक नीति को मॉनिटरी पॉलिसी भी कहा जाता है. इसमें रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था में रुपए की आपूर्ति को कंट्रोल करता है. इससे महंगाई पर रोक लगती है. इससे आर्थिक विकास दर के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है.
वित्त विधेयक मतलब फाइनांस बिल
बजट की घोषणाओं के बाद उसे लागू करने की प्रक्रिया शुरू होती है. उसके लिए आम बजट को पेश करने के तुरंत बाद बिल पास किया जाता है. उसे वित्त विधेयक (फाइनांस बिल) कहा जाता है. वित्त विधेयक में सरकार की आय के तमाम स्रोतों को जिक्र होता है. वित्त विधेयक लागू करना सबसे अहम कदम होता है.
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कोरोना संकट और आम बजट
इस बार देखें तो कोरोना संकट में लॉकडाउन का असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा. लॉकडाउन के कारण कई लोगों की रोजगार और नौकरियां चली गई. भारत की आर्थिक विकास दर भी निगेटिव हुई. आर्थिक विकास दर सरकार का प्रोजेक्शन भी होता है. लॉकडाउन में वेतन कटौती भी देखी गई. सरकार ने 20 लाख करोड़ के पैकेज का भी ऐलान किया. लेकिन, सैलरी क्लास को कुछ खास नहीं मिला. अब उम्मीदें और निगाहें एक फरवरी पर टिकी हैं, जब केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी.