कोलकाता : भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा है कि नरेंद्र मोदी सरकार का बजट 2021 कंपनी राज को बढ़ावा देने वाला बजट है. मोदी सरकार के इस बजट में खतरनाक रूप से नीचे गिर रही अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने की दिशा में कोई कोशिश नहीं की गयी है.
श्री भट्टाचार्य ने कहा कि बजट में नौकरियां खो चुके लोगों जीवनयापन के स्तर में भारी गिरावट से परेशान लोगों के लिए कोई तात्कालिक राहत नहीं दी गयी है. उल्टे इसमें संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था के बोझ को जनता के कंधों पर डालकर कॉर्पोरेट कंपनियों के लिए अकूत संपत्ति जमा करने के और अवसर बना दिये गये हैं.
अर्थव्यवस्था में सरकारी निवेश और खर्च बढ़ाने की सख्त जरूरत है, लेकिन यह बजट थोक के भाव में विनिवेश और निजीकरण की दिशा में केंद्रित है. रोजगार सृजन, आय में बढ़ोतरी और आम आदमी की क्रय शक्ति में इजाफा करने की दिशा में इस बजट को केंद्रित होना चाहिए था, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं किया गया है.
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भारत के 100 सर्वाधिक धनी अरबपतियों की संत्तियों में महामारी और लॉकडाउन के दौरान भारी बढ़ोतरी (लगभग 13 लाख करोड़) हुई. लेकिन बजट इस संपत्ति को वैसे ही छोड़ दे रहा है. इस पर वेल्थ टैक्स या ट्रांजैक्शन टैक्स क्यों नहीं लगाया जा सकता था? राजस्व नीति में सुधार कर अति धनाढ्यों से राजस्व वसूली बढ़ाने और मध्य वर्ग को जीएसटी और आय कर में राहत देने की जगह बजट पहले की तरह ही अत्यधिक अमीरपरस्त राजस्व नीति पर चल रहा है.
सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की किसानों की लंबे समय से चली आ रही मांग को सरकार ने एक बार फिर खारिज कर दिया है. भारत के छोटे किसान और माइक्रो फाइनांस कंपनियों के कर्ज तले दबे लोग परेशान हैं.
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पूरे देश में छोटे कर्जदारों के कर्जे माफ करने की मांग लगातार उठ रही है, लेकिन बजट 2021 ने इस महत्वपूर्ण मांग को नहीं माना है. श्री भट्टाचार्य ने कहा कि अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने की दिशा में यह बजट पूरी तरह से विफल है. उन्होंने सरकार से मांग की कि इस बजट पर पूरे विस्तार में पुनर्विचार किया जाये.
Posted By : Mithilesh Jha