संसद के बजट सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने अभिभाषण में कहा कि भारत ने यह साबित कर दिया है कि प्रगति और प्रकृति दोनों एक साथ चल सकते हैं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि सरकर का फोकस हरित विकास पर है. राष्ट्रपति के अभिभाषण की ये पंक्तियां बहुत खास है क्योंकि कल यानी एक फरवरी को देश का बजट पेश होना है और राष्ट्रपति ने एक तरह से संकेत दे दिया है कि केंद्र सरकार पर्यावरण को लेकर गंभीर है और वह क्लामेंट चेंज की चुनौतियों से निपटने के लिए योजनाएं लेकर आयेगी.
द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि सरकार का फोकस ग्रीन ग्रोथ पर है, इसके लिए सरकार पूरे विश्व को मिशन लाइफ से जोड़ने की योजना पर जोर दे रही है ताकि पर्यावरण को संरक्षित किया जा सके. इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए सरकार ने कुछ दिन पहले लाइफ मिशन की शुरुआत की थी. इस मिशन के तहत लोगों को पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली अपनाने के लिए तैयार किया जायेगा.
राष्ट्रपति ने कहा कि उनकी सरकार पर्यावरण को संरक्षित करना चाहती है यही वजह है कि उनकी सरकार ने पिछले आठ वर्ष में सौर ऊर्जा की क्षमता को करीब 20 गुना बढ़ाया है, जिसकी वजह से रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में भारत चौथे स्थान पर आ गया है. भारत आज अपने बिजली उत्पादन का 40 प्रतिशत ग्रीन एनर्जी के जरिये प्राप्त कर रहा है और यह एक बड़ी उपलब्धि है. राष्ट्रपति ने 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन के संकल्प को एक बार फिर दोहराया है. द्रौपदी मुर्मू ने पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनाॅल के मिश्रण सहित हाइड्रोजन मिशन की बातों का जिक्र भी अपने अभिभाषण में किया.
बेशक ये तमाम बातें हरित ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियां हैं. लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह है कि सरकारें हरित विकास के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन जो कार्य सामने आते हैं उन्हें देखकर यह महसूस होता है कि अभी बहुत कुछ किया जाना है. भारत सरकार ने यह तय किया था कि वह 2022 के अंत तक 175 गीगावाट हरित ऊर्जा का उत्पादन करेगी लेकिन यह लक्ष्य पूरा नहीं हो सका और हरित ऊर्जा का उत्पादन 55 गीगावाट पर ही थम गया. यही वजह है कि इस बार के केंद्रीय बजट से लोगों की कई अपेक्षाएं हैं.
केंद्रीय बजट 2023-24 में इस बात की व्यवस्था की जायेगी कि ग्रीन एनर्जी का भंडारण किया जाये और बिजली का उचित वितरण किया जाये. केंद्रीय बजट से यह उम्मीद इसलिए की जा रही है क्योंकि आने वाले वर्षों में क्लामेंट चेंज की चुनौतियों से निपटने के लिए भारत दुनिया को राह दिखाने वाला है. ऐसे में भारत को ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में ऐसे कार्य करने होंगे जो उदाहरण हों. बिजली मंत्रालय ने योजना के लिए चालू वित्त वर्ष में 7566 करोड़ रुपये से 15,000 करोड़ रुपये का अधिक आवंटन मांगा है. ऐसे में भारत के 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य को पूरा करने के लिए इस बार के बजट में कई नयी और क्रांतिकारी योजनाओं की उम्मीद की जा रही है.