Bhadrapad Pradosh Vrat 2023: आज 27 सितंबर दिन बुधवार को भाद्रपद माह का बुध प्रदोष व्रत है. भाद्रपद मास का यह प्रदोष व्रत बहुत खास माना जा रहा है. प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है. गणेश उत्सव के दौरान पड़ने वाला प्रदोष व्रत की विशेष खासियत है. प्रदोष व्रत हर माह के त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है.आज के दिन सुबह से रवि योग बना है. बुध प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा विधि विधान से करते हैं और बुध प्रदोष व्रत की कथा सुनते हैं. इस व्रत को करने से समस्त इच्छाओं की पूर्ति होती है और शिव कृपा प्राप्त होती है. आज के दिन भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न कर सकते हैं.
इस साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत 27 सितंबर 2023 दिन बुधवार यानि आज है, इसलिए ये बुध प्रदोष व्रत कहलाएगा. गणेश उत्सव में बुध प्रदोष व्रत की खास महीमा होती है. इस दिन व्रती को कभी न खत्म होने वाला पुण्य मिलता है. ज्योतिषाचार्य के अनुसार हर माह के त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को समर्पित है. इस दिन पूजा-व्रत करने से शिव-पार्वती संग गणपति की विशेष कृपा बरसती है. धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने पर विवाह, वैवाहिक जीवन और आर्थिक मामलों में आ रही परेशानियों का अंत होता है.
पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 27 सितंबर 2023 को प्रात: 01 बजकर 45 मिनट पर शुरू होगी और उसी दिन रात 10 बजकर 18 मिनट पर खत्म होगी. ये भाद्रपद का आखिरी प्रदोष व्रत होगा. इस दिन शिव पूजा का शुभ समय 27 सितंबर 2023 दिन बुधवार को शाम 06 बजकर 12 मिनट से रात 08 बजकर 36 मिनट तक है. शुभ-उत्तम मुहूर्त आज शाम 07 बजकर 42 मिनट से रात 09 बजकर 12 मिनट तक है. वहीं रवि योग सुबह 07 बजकर 10 मिनट से शाम 07 बजकर 07 मिनट तक रहेगा.
-
पंचक: आज पूरे दिन
-
राहुकाल: दोपहर 12 बजकर 12 मिनट से 13 बजकर 42 मिनट तक
Also Read: Vrat Festival List: जितिया-नवरात्रि, दशहरा और ग्रहण कब है? जानें अक्टूबर माह के प्रमुख व्रत-त्योहारों की लिस्ट
1. ओम नम: शिवाय
2. नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय, भस्मांग रागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय, तस्मै नकाराय नमः शिवाय।
3. जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं, प्रभो पाहि आपन्नामामीश शम्भो॥
प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय प्रदोष काल में होती है. इस दिन सुबह शिव जी को याद करके व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. इसके बाद शाम के शुभ मुहूर्त में किसी शिव मंदिर जाकर या घर पर ही भगवान भोलेनाथ की विधिपूर्वक पूजा करें. पूजा के दौरान शिवलिंग को गंगाजल और गाय के दूध से स्नान कराएं. उसके बाद सफेद चंदन का लेप लगाएं. महादेव को बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी का पत्ता, सफेद फूल, शहद, भस्म, शक्कर आदि अर्पित करें. इस दौरान ‘ओम नमः शिवाय’ मंत्र का उच्चारण करते रहें. इसके बाद शिव चालीसा का पाठ करें और बुध प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें. फिर घी का दीपक जलाएं और शिव जी की आरती करें. इसके बाद पूजा का समापन क्षमा प्रार्थना से करते हुए शिवजी के सामने अपनी मनोकामना व्यक्त कर दें. इसके अगले दिन सुबह स्नान आदि के बाद फिर से शिव जी की पूजा करें. फिर सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें.
गंगा जल से भगवान शिव को अभिषेक करें. दूध, आक के फूल , बेलपत्र , धूप , दीप अक्षत , रोली , मिठाई और अन्य पुष्प, सफेद चंदन आदि सभी चीजों की जरूरत होती है. जल से भरा हुआ कलश बेलपत्र धतूरा भांग और आरती करने के सामान की जरूरत होती है. इसके साथ ही मां पार्वती को चुनरी और सुहाग सामग्री जरूर चढ़ाएं.
हिन्दू धर्म के अनुसार, प्रदोष व्रत कलियुग में अति मंगलकारी और शिव कृपा प्रदान करनेवाला होता है. माह की त्रयोदशी तिथि में सायं काल को प्रदोष काल कहा जाता है. मान्यता है कि प्रदोष के समय महादेव कैलाश पर्वत के रजत भवन में इस समय नृत्य करते हैं और देवता उनके गुणों का स्तवन करते हैं, जो भी लोग अपना कल्याण चाहते हों यह व्रत रख सकते हैं. प्रदोष व्रत को करने से सब प्रकार के दोष मिट जाता है. प्रदोष व्रत विधि के अनुसार दोनों पक्षों की प्रदोषकालीन त्रयोदशी को मनुष्य निराहार रहे. निर्जल तथा निराहार व्रत सर्वोत्तम है परंतु यदि यह सम्भव न हो तो नक्तव्रत करे. पूरे दिन सामर्थ्यानुसार हो सके तो कुछ न खाये नहीं तो फल ले. अन्न पूरे दिन नहीं खाना। सूर्यास्त के थोड़े से थोड़े 72 मिनट उपरान्त हविष्यान्न ग्रहण कर सकते हैं. शिव पार्वती युगल दम्पति का ध्यान करके पूजा करके प्रदोषकाल में घी के दीपक जलायें.
Also Read: Shardiya Navratri 2023: शारदीय नवरात्रि इस दिन से शुरू, जानें सही तिथि, शुभ मुहूर्त और कलश स्थापना का समय
-
रविवार के दिन प्रदोष व्रत आप रखते हैं तो सदा नीरोग रहेंगे.
-
सोमवार के दिन व्रत करने से आपकी इच्छा फलित होती है.
-
मंगलवार कोप्रदोष व्रत रखने से रोग से मुक्ति मिलती है और आप स्वस्थ रहते हैं.
-
बुधवार के दिन इस व्रत का पालन करने से सभी प्रकार की कामना सिद्ध होती है.
-
बृहस्पतिवार के व्रत से शत्रु का नाश होता है. शुक्र प्रदोष व्रत से सौभाग्य की वृद्धि होती है.
-
शनि प्रदोष व्रत से पुत्र की प्राप्ति होती है.