बरेली के एक गांव से खौफजदा थी ब्रिटिश हुकूमत, फ़ौज ने आजादी के दीवानों पर ढाए थे जुल्म-ओ-सितम

Bareilly News: महात्मा गांधी ने देश में वर्ष 1920 में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ असहयोग आंदोलन छेड़ रखा था. इसमें बरेली के प्रमुख क्रांतिकारी पृथ्वीराज सिंह भी शामिल थे. उनके साथ पूरा गांव खड़ा था.

By Prabhat Khabar News Desk | August 17, 2022 11:45 AM
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Bareilly News: मुल्क (देश ) की आजादी में बरेली की अहम भूमिका है. शहर से लेकर गांवों तक से जंग-ए-आजादी के लिए क्रांतिकारियों ने कुर्बानियां दी हैं.बरेली के फरीदपुर तहसील के बुधौली गांव के क्रांतिकारियों के हौसलों से ब्रिटिश हुकूमत की फौज भी घबराती थी. जिसके चलते बुधौली को ब्रिटिश फौज ने घेराबंदी की. मगर, यह फौज क्रांतिकारियों के हौसलों को कमजोर नहीं कर पाई.

महात्मा गांधी ने देश में वर्ष 1920 में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ असहयोग आंदोलन छेड़ रखा था. इसमें बरेली के प्रमुख क्रांतिकारी पृथ्वीराज सिंह भी शामिल थे. उनके साथ पूरा गांव खड़ा था. जिसके चलते ब्रिटिश हुकूमत ने बुधौली की घेराबंदी की. पृथ्वीराज सिंह,उनकी पत्नी शीला देवी को फौज ने नजरबंद कर दिया. शीला देवी महिला कांग्रेस की कमांडर थीं. मगर, इसके बाद भी जंग-ए-आजादी के दीवानों के हौसले कमजोर नहीं पड़े. क्रांतिकारी नजरबंदी से रिहाई के बाद फिर अपने रास्ते पर आगे बढ़ने लगे.

पृथ्वीराज सिंह के हौसले पस्त करने को ब्रिटिश फौज ने उनके परिवार के साथ ही गांव वालों पर भी ज़ुल्म किए. यह गांव मुल्क के आजाद होने तक स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का गढ़ बना रहा. बुधौली गांव निवासी राय बहादुर ठाकुर लखन सिंह के इस सपूत ने देश को आजाद कराने के लिए महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू के आह्वान पर ब्रिटिश हुकूमत की डिप्टी कलेक्टरी की नौकरी छोड़ दी.उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का झंडा उठा लिया.उनके बड़े भाई ठाकुर बख्तावर सिंह भी डिप्टी कलेक्टर थे. उन्होंने छोटे भाई को नौकरी न छोड़ने को लेकर समझाया. मगर, वह नहीं मानें.

जिसके चलते पैतृक जमीदारी और कोठी के बीच दीवार खड़ी कर दी गई.वह गांव से निकलकर बरेली, मंडल और फिर प्रदेश भर में कांग्रेस के बड़े नेता के रूप में उभरे. पृथ्वीराज सिंह ने ब्रिटिश हुकूमत को परेशान कर दिया था. कांग्रेस मजबूत होने लगी. इसके कुछ समय बाद ही कांग्रेस के घर-घर से कार्यकर्ता- नेता निकलने लगे. इससे ब्रिटिश हुकूमत ने पाबंदियां लगानी शुरू कर दीं. यह गांव क्रांतिकारियों की शरणस्थली बन गया.

कांग्रेस ने भेजा लोकसभा

मुल्क की आजादी के बाद क्रांतिकारी पृथ्वीराज सिंह के पुत्र बृजराज सिंह आछू बाबू को 1962 में बरेली संसदीय सीट से टिकट दिया गया. उनको जनता ने अपना प्रतिनिधि बनाकर लोकसभा में भेजा. इसके बाद 1978 में भी दोबारा से सांसद बनाकर दिल्ली भेजा गया. इसी गांव के कुंवर सर्वराज सिंह, राजवीर सिंह को लोकसभा और विधानसभा भेजा. यहां की सुमनलता सिंह विधानसभा बिथरी चैनपुर (सन्हा) विधायक रहीं.कुंवर महाराज सिंह वर्तमान में एमएलसी हैं.बताया जाता है कि, इस गांव को महाराजा परीक्षित के वंशज मुरलीधर सिंह ने बसाया था. उस दौरान नील की खेती होती थी. यहां के जमीदारों ने शिकार के लिए पीलीभीत का माला जंगल खरीद लिया था.

रिपोर्ट : मोहम्मद साजिद

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