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गोल्फ ग्राउंड की शोभा बढ़ा रहीं भैंसें, स्पोर्ट्स कांप्लेक्स में गड्ढे ही गड्ढे

धनबाद की खेल जगत में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, लेकिन उन प्रतिभाओं को सामने लाने के लिए आवश्यक संसाधन की कमी है. इससे अधिक दुर्भाग्य की बात क्या हो सकती है कि लगभग 30 लाख की आबादी वाले धनबाद जिला में आज एक भी ऐसा सार्वजनिक स्टेडियम, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स नहीं है, जहां खिलाड़ी जा कर नियमित प्रैक्टिस कर सके

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 27, 2020 5:38 AM

गिरजेश पासवान, धनबाद : धनबाद की खेल जगत में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, लेकिन उन प्रतिभाओं को सामने लाने के लिए आवश्यक संसाधन की कमी है. इससे अधिक दुर्भाग्य की बात क्या हो सकती है कि लगभग 30 लाख की आबादी वाले धनबाद जिला में आज एक भी ऐसा सार्वजनिक स्टेडियम, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स नहीं है, जहां खिलाड़ी जा कर नियमित प्रैक्टिस कर सके. क्रिकेट को छोड़ दें तो फुटबॉल, हॉकी, तैराकी, एथलेटिक्स, कबड्डी जैसे खेल को बढ़ावा देने के लिए भी कोई मैदान नहीं है.

इसके लिए न तो किसी खेल संघ के पास कोई विजन है और न ही सरकार के पास कोई नीति. इन खेलों से जुड़े प्रशिक्षक और खिलाड़ी कहते हैं कि अगर उन्हें कोई टूर्नामेंट का आयोजन करवाना रहता है तो उन्हें मैदान प्राइवेट स्कूलों से मांगने पड़ते हैं.

हर प्रखंड में स्टेडियम बनाने का सरकार का था दावा : राज्य की भाजपा सरकार ने खेल को बढ़ावा देने के लिए सभी प्रखंडों में स्टेडियम बनाने की घोषणा की थी. कुछ प्रखंडों में स्टेडियम का काम शुरू भी हुआ. लेकिन, सब आधी-अधूरी रह गयी. राजगंज, तोपचांची में स्टेडियम निर्माण के दौरान ही बाउंड्रीवाल गिर गयी. इसकी जांच हुई.

यह मामला सरकारी फाइलों में ही लटक रह गयी. कई प्रखंडों में तो स्टेडियम निर्माण का काम भी शुरू नहीं हुआ. खुले मैदान, खेत-खलिहान में ही बच्चे खेलने को मजबूर हैं. इस कारण बच्चों की प्रतिभा कहीं न कहीं दब कर रह जाती है. अभी सरकार बदली है तो लोगों की उम्मीद जगी है.

29 वर्ष में भी नहीं बन पाया स्टेडियम : खेल के प्रति सरकार की उदासीन नीति धनबाद में पुरानी रही है. शहर में अवस्थित रणधीर वर्मा स्टेडियम का निर्माण वर्ष 1991 में शुरू हुआ. 29 वर्ष बाद भी उसका निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया. अलबत्ता गोल्फ ग्राउंड को छोटे कर एक हिस्से में होमगार्ड का दफ्तर, हॉस्टल बना दिया गया. मैदान में चार कमरे व एक हिस्सा में चंद सीढ़ियां बना कर उसे छोड़ दिया गया. अभी इस मैदान में छोटे बच्चे क्रिकेट का प्रैक्टिस करते हैं.

कुछ लोग मॉर्निंग वाक करते हैं. दिन में यहां लोग गाड़ी सीखने आते हैं, जबकि गाय-भैंस भी यहां घास चर कर अपना पेट भरती हैं. इन दिनों गोल्फ ग्राउंड में चारों ओर तालाब बना हुआ है. इसका इस्तेमाल परिवहन विभाग द्वारा गाड़ियां रखने के लिए हो रहा है. कोविड -19 के चलते बच्चों का खेल प्रैक्टिस भी पूरी तरह बंद है. इसलिए यह भैंस-गाय के चरने की जगह बनी हुई है.

13 वर्षों में भी नहीं बन पाया मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स : धनबाद के नावाडीह के पास क्रिकेट को छोड़ दूसरे खेल को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2007 में मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बनाने का निर्णय हुआ. इसके लिए उस समय लगभग पांच करोड़ की योजना स्वीकृत हुई. वर्ष 2009 तक इसे पूर्ण करने का लक्ष्य था. लेकिन, आज तक यह स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स नहीं बन पाया.

महंगाई के कारण इसकी प्राक्कलन राशि जरूर बढ़ कर सात करोड़ रुपया से ज्यादा हो गयी. इस मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में एथलेटिकों के लिए सिंथैटिक ट्रैक बिछाया जाना है. फुटबॉल, हॉकी जैसे खेल के लिए भी इसमें व्यवस्था होनी है. मेगा स्पोट‍्र्स कॉम्प्लेक्स के पूर्ण रूप से नहीं बनने से खिलाड़ियों में निराशा है.

posted by : Pritish sahay

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