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अदाणी पावर की बिजली परियोजना मामले में कलकत्ता हाइकोर्ट ने ममता बनर्जी सरकार से पूछा ये सवाल

याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि इलाके में प्रत्येक वर्ष जो आम का उत्पादन होता है, उस पर यहां के कृषकों की जीविका निर्भर है. अदाणी पावर का ट्रांसमिशन लगाने व हाइ टेंशन तार ले जाने के लिए पेड़ों को काटा गया है. इस पर न्यायाधीश ने पूछा कि अब तक कितने पेड़ काटे गये हैं.

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के फरक्का में अदाणी पावर की बिजली परियोजना की वजह से कितने कृषकों को नुकसान हुआ है. कितने लोगों को अब तक जमीन का मुआवजा मिला है और कितनों को मिलना बाकी है. मंगलवार को इससे संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान ऐसी ही जानकारी कलकत्ता हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव व न्यायाधीश राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ ने मांगी है. हाइकोर्ट ने 17 अप्रैल तक विस्तृत रिपोर्ट तलब की है.

आम के उत्पादन पर निर्भर है किसानों की जीविका

याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि इलाके में प्रत्येक वर्ष जो आम का उत्पादन होता है, उस पर यहां के कृषकों की जीविका निर्भर है. अदाणी पावर का ट्रांसमिशन लगाने व हाइ टेंशन तार ले जाने के लिए पेड़ों को काटा गया है. इस पर कलकत्ता हाइकोर्ट केन्यायाधीश ने पूछा कि अब तक कितने पेड़ काटे गये हैं.

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परियोजना से सिर्फ बांग्लादेश को होगा फायदा – याचिकाकर्ता

वहीं, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि इस परियोजना से बांग्लादेश सरकार को लाभ होगा, न कि भारतीय नागरिकों को. यह क्षेत्र वन विभाग के अंतर्गत नहीं पड़ता है, इसलिए यह वन संरक्षण कानून के अंतर्गत नहीं पड़ता. इसकी वजह से यहां पेड़ों की कटाई नहीं रोकी जा सकी. साथ ही आरोप लगाया कि जिन लोगों के पेड़ काटे गये हैं, उन्हें पर्याप्त मुआवजा भी नहीं मिला. अब हाइकोर्ट ने इस मामले में पूरी जानकारी मांगी है.

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