कोलकाता हाईकोर्ट ने कोरोना वायरस के तेजी से बढ़ते संक्रमण के बीच चुनावी रैली और जनसभा को लेकर तल्ख टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा है कि निर्वाचन आयोग अपनी शक्ति का प्रयोग नहीं कर रही है, जिसके कारण कोरोना से राज्य की हालात लगातार खराब होती जा रही है. वहीं कोर्ट ने चुनावी रैली पर रोक लगाने का कोई भी आदेश देने से इंकार कर दिया है.
बांग्ला चैनल की रिपोर्ट के अनुसार कलकत्ता हाईकोर्ट ने चुनावी रैली से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए आयोग के कामकाज को लेकर टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग अपने शक्ति का प्रयोग करना भूल गई है. सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश टीबीएन राधाकृष्णन ने कहा कि अगर आयोग अपने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषण के कामकाज का 10% भी कर लेते तो हालात बेहतर रहती.
आयोग खुद ले एक्शन– हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम चुनावी रैली को रोकने पर कोई निर्देश नहीं देंगे, क्योंकि कोई भी राजनीतिक दल ने इस पर याचिका दाखिल नहीं की है. कोर्ट ने कहा कि चुनावी रैली पर निर्वाचन आयोग खुद फैसला लें. बता दें कि पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है. पिछले 24 घंटे में 58 मरीजों की मौत हो गई है. वहीं करीब 10 हजार से अधिक नए केस मिले हैं.
टीएमसी ने किया आयोग पर अटैक– वहीं हाईकोर्ट की टिप्पणी पर टीएमसी ने चुनाव आयोग पर अटैक किया है. टीएमसी सांसद सौगत राय ने कहा कि हम शुरू से मांग कर रहे हैं कि बंगाल में आठ चरण में चुनाव न हो. ममता बनर्जी कई बार इसको लेकर बोल चुकी हैं, लेकिन आयोग ने हमारी बात नहीं सुनी और अब हाईकोर्ट ने यह कहा है तो आयोग को सोचना चाहिए.
टीएन शेषण के बारे में- टीएन शेषण साल 1990 में भारत के दसवें मुख्य चुनाव आयुक्त बनें. बताया जाता है कि टीएन शेषन के पहले आचार संहिता केवल कागजों में थी, जिसे उन्होंने कड़ाई और सख्ती से लागू किया था. उनके समय यह कहा जाता था कि भारतीय राजनेता केवल दो से डरते हैं- ईश्वर से और शेषन से. उन्होंने बिहार में विधानसभा चुनाव के दौरान कई बार चुनाव को धांधली के आरोप में रद्द कर दिया था.
Posted By: Avinish kumar mishra