पश्चिम बंगाल के कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने राज्य के संशोधनागारों में महिला कैदियों की दुर्दशा पर गंभीर चिंता जतायी है. दरअसल जेलों में बढ़ती भीड़ पर 2018 में कोर्ट ने खुद एक्शन लेते हुए एक न्याय मित्र (एमिकस क्यूरी) एडवोकेट तापस कुमार भांजा को जिम्मेदारी सौंपी थी, कि वे मामले की जांच करें. एमिकस क्यूरी ने गुरुवार को हाईकोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें दावा किया गया है कि पश्चिम बंगाल के की जेलों में बंद महिला कैदी गर्भवती हो रही हैं. वहीं अलग-अलग जेलों में 196 बच्चे भी पल रहे हैं. उन्होंने सलाद दी कि महिला बैरक में पुरुष कर्मचारी के जाने पर रोक लगे.
मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम की अध्यक्षता वाली बेंच ने इसे क्रिमिनल डिवीजन ट्रांसफर करने का आदेश दिया है. तापस कुमार ने 25 जनवरी को दिए एक नोट में यह सुझाव भी दिए थे कि सभी जिला जज अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले सुधार गृहों में विजिट करें, ताकि यह पता लगाया जा सके कि सुधार गृहों में रहने के दौरान कितनी महिला कैदी गर्भवती हुई हैं. उन्होंने महिला कैदियों का यौन शोषण रोकने के लिए उन्हें सुधार गृह भेजने से पहले उनका गर्भावस्था परीक्षण कराने की भी सलाह दी थी. उन्होंने कहा था कि इसकी शुरुआत पश्चिम बंगाल के सभी पुलिस स्टेशनों से की जा सकती है. इसके लिए कोर्ट द्वारा जरूरी आदेश / निर्देश दिए जा सकते हैं.
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हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश करने के दौरान एमिकस क्यूरी ने एक गर्भवती महिला और एक सुधार गृह के भीतर पैदा हुए 15 बच्चों की आंखों-देखी भी बताई. तापस कुमार भांजा ने कहा कि कुछ बच्चों का जन्म तो उनकी आंखों के सामने हुआ. पश्चिम बंगाल की जेलें संकट से जूझ रही हैं क्योंकि यहां भीड़भाड़ खतरनाक स्तर तक पहुंच गई है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की 2023 में पब्लिश रिपोर्ट के मुताबिक बंगाल की जेलों में उनकी क्षमता से 1.3 गुना अधिक कैदी हैं. भारत में जेल सांख्यिकी-2022 की रिपोर्ट में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल की जेलों में 19 हजार 556 पुरुष और 1 हजार 920 महिलाएं कैद हैं.
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